बिलासपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने मीडिया से बात की उन्होंने पत्रकारों से कहा है कि डेढ़ साल बाद भी किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर सरकार कौन चला रहा है। हम जैसे चालू टाइप नेता भी पता नहीं लगा पा रहे है। भाजपा के कुछ विधायक तो रोने की स्थिति में आ गए है।
उन्होंने कहा कि सरकार बने डेढ़ साल हो गए है। पूरे प्रदेश की स्वास्थ व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ अन्याय हो रहा है। उम्मीद है कि इस न्याय यात्रा से सरकार जागेगी और स्वास्थ व्यवस्था में सुधार लाएगी। जब डॉ महंत से पूछा गया कि प्रदेश में सरकार कैसे चल रही है तो उन्होंने कहा कि सांय सांय की सरकार वाली उपाधि दिए थे लेकिन सब गड़बड़ चल रहा है। सरकार कौन चला रहा है किसी को समझ हो नहीं आ रहा है। सरकार विष्णुदेव साय चला रहे है कि ओपी चौधरी चला रहे है या फिर प्रदेश के दो उप मुख्यमंत्री चला रहे है। सरकार कहां से चल रही है और कौन चला रहा है किसी को पता नहीं चल रहा है। हम जैसे चालू टाइप नेता भी पता नहीं लगा पा रहे है कि कौन चला रहा है और कैसे चल रही है। उन्होंने कहा कि एक आदिवासी समाज का मुख्यमंत्री बना था तो बड़ी उम्मीद थी। प्रदेश के आदिवासी, हरिजन, पिछड़ावर्ग के लोगों में बड़ा उत्साह था। लेकिन अब उत्साह धीरे धीरे खत्म हो रहा है। जब बीजेपी के विधायकों को फोन लगाओ विशेषकर उन विधायकों को जिनका दो महीने से नाम चल रहा है तो वे लोग अब रोने की स्थिति में आ गए है। जब डॉ महंत से पूछा गया कि विधानसभा में विपक्ष के विधायकों की तुलना में सत्ता पक्ष के विधायक ज्यादा मुखर है। क्या विपक्ष के विधायक सवाल पूछने से डर रहे है या अनुभव नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि जब तक सत्ता पक्ष के विधायक विपक्ष का काम करेंगे तब तक हमें ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है। नक्सलियों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि बस्तर से नक्सलियों को आप साफ कर दो हम सरकार के साथ है, बस्तर में आप शांति लिए हम अब साथ है, बस्तर में जो शांति आने वाली है या आएगी उसका लाभ वहां के लोगों को मिलना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि बस्तर को आप नक्सल मुक्त कर दिए। शांति का दिए इसके बाद पूरे क्षेत्र को उद्योगपतियों को सौंप दे। वहां की खनिज संपदा व्यापारियों को बेच दे। यदि ऐसा होगा तो हम इसका विरोध करेंगे। शांति प्रस्ताव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ठीक है नक्सलियों की तरफ से शांति प्रस्ताव आया होगा। लेकिन सरकार किससे बात करे। नक्सलियों की तरफ से कौन आएगा बात करने। कोई नेता तो तय करे जिसके पास बात करने का अधिकार हो।
बिलासपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने मीडिया से बात की उन्होंने पत्रकारों से कहा है कि डेढ़ साल बाद भी किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर सरकार कौन चला रहा है। हम जैसे चालू टाइप नेता भी पता नहीं लगा पा रहे है। भाजपा के कुछ विधायक तो रोने की स्थिति में आ गए है।
उन्होंने कहा कि सरकार बने डेढ़ साल हो गए है। पूरे प्रदेश की स्वास्थ व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ अन्याय हो रहा है। उम्मीद है कि इस न्याय यात्रा से सरकार जागेगी और स्वास्थ व्यवस्था में सुधार लाएगी। जब डॉ महंत से पूछा गया कि प्रदेश में सरकार कैसे चल रही है तो उन्होंने कहा कि सांय सांय की सरकार वाली उपाधि दिए थे लेकिन सब गड़बड़ चल रहा है। सरकार कौन चला रहा है किसी को समझ हो नहीं आ रहा है। सरकार विष्णुदेव साय चला रहे है कि ओपी चौधरी चला रहे है या फिर प्रदेश के दो उप मुख्यमंत्री चला रहे है। सरकार कहां से चल रही है और कौन चला रहा है किसी को पता नहीं चल रहा है। हम जैसे चालू टाइप नेता भी पता नहीं लगा पा रहे है कि कौन चला रहा है और कैसे चल रही है। उन्होंने कहा कि एक आदिवासी समाज का मुख्यमंत्री बना था तो बड़ी उम्मीद थी। प्रदेश के आदिवासी, हरिजन, पिछड़ावर्ग के लोगों में बड़ा उत्साह था। लेकिन अब उत्साह धीरे धीरे खत्म हो रहा है। जब बीजेपी के विधायकों को फोन लगाओ विशेषकर उन विधायकों को जिनका दो महीने से नाम चल रहा है तो वे लोग अब रोने की स्थिति में आ गए है। जब डॉ महंत से पूछा गया कि विधानसभा में विपक्ष के विधायकों की तुलना में सत्ता पक्ष के विधायक ज्यादा मुखर है। क्या विपक्ष के विधायक सवाल पूछने से डर रहे है या अनुभव नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि जब तक सत्ता पक्ष के विधायक विपक्ष का काम करेंगे तब तक हमें ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है। नक्सलियों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि बस्तर से नक्सलियों को आप साफ कर दो हम सरकार के साथ है, बस्तर में आप शांति लिए हम अब साथ है, बस्तर में जो शांति आने वाली है या आएगी उसका लाभ वहां के लोगों को मिलना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि बस्तर को आप नक्सल मुक्त कर दिए। शांति का दिए इसके बाद पूरे क्षेत्र को उद्योगपतियों को सौंप दे। वहां की खनिज संपदा व्यापारियों को बेच दे। यदि ऐसा होगा तो हम इसका विरोध करेंगे। शांति प्रस्ताव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ठीक है नक्सलियों की तरफ से शांति प्रस्ताव आया होगा। लेकिन सरकार किससे बात करे। नक्सलियों की तरफ से कौन आएगा बात करने। कोई नेता तो तय करे जिसके पास बात करने का अधिकार हो।