बड़े ठेकेदार ले रहे काम, छोटे ठेकेदारों को नहीं दे रहे भुगतान :

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जल जीवन मिशन में मनमानी चरम पर, मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को लिखा पत्र

रायपुर।  छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के तहत छोटे ठेकेदारों का शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है। बड़े ठेकेदारों द्वारा कार्य पूरा करवाने के बावजूद छोटे ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया जा रहा। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग ने इस गंभीर समस्या को लेकर उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।




आयोग के प्रदेश महासचिव प्रदुमन शर्मा ने बताया कि कई छोटे ठेकेदारों की लाखों रुपए की राशि बकाया है। वे महीनों से चक्कर काट रहे हैं लेकिन ना तो भुगतान मिल रहा है और ना ही सुनवाई। कई मामलों में बिल पास होने के बावजूद पैसा रोका गया है।


6 प्रमुख समस्याएं, जो छोटे ठेकेदारों को बना रही पीड़ित
    1.    कार्य पूरा होने के बाद भी भुगतान रोक देते हैं बड़े ठेकेदार।
    2.    छोटे ठेकेदारों पर आर्थिक और मानसिक तनाव का खतरा बढ़ा |
    3.    अनैतिक कटौतियां की जाती हैं, रसीद भी नहीं दी जाती।
    4.    सुरक्षा निधि भी समय पर नहीं लौटाई जाती।
    5.    भुगतान की मांग करने पर धमकी और दबाव डाला जाता है।
    6.    कानूनी लड़ाई में फंसकर छोटे ठेकेदार आर्थिक रूप से टूट जाते हैं।


आयोग के सुझाव - भुगतान व्यवस्था में सुधार की जरूरत
    •    “ठेकेदार शिकायत निवारण प्रकोष्ठ” का गठन हो।
    •    छोटे ठेकेदारों की शिकायतों के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाए।
    •    डिजिटल प्रमाण के आधार पर भी भुगतान स्वीकार किया जाए।
    •    दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
    •    भुगतान की स्थिति की निगरानी के लिए पोर्टल हो।

छोटे ठेकेदारों पर मानसिक तनाव का खतरा बढ़ा

आयोग ने पत्र में लिखा है कि यह केवल वित्तीय शोषण नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का भी विषय है। कई छोटे ठेकेदार आर्थिक रूप से टूट चुके हैं और मानसिक तनाव झेल रहे हैं। अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।  पत्र की प्रतिलिपि कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और पीएचईडी विभाग को भी भेजी गई है।


जल जीवन मिशन में मनमानी चरम पर, मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को लिखा पत्र

रायपुर।  छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के तहत छोटे ठेकेदारों का शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है। बड़े ठेकेदारों द्वारा कार्य पूरा करवाने के बावजूद छोटे ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया जा रहा। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग ने इस गंभीर समस्या को लेकर उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।




आयोग के प्रदेश महासचिव प्रदुमन शर्मा ने बताया कि कई छोटे ठेकेदारों की लाखों रुपए की राशि बकाया है। वे महीनों से चक्कर काट रहे हैं लेकिन ना तो भुगतान मिल रहा है और ना ही सुनवाई। कई मामलों में बिल पास होने के बावजूद पैसा रोका गया है।


6 प्रमुख समस्याएं, जो छोटे ठेकेदारों को बना रही पीड़ित
    1.    कार्य पूरा होने के बाद भी भुगतान रोक देते हैं बड़े ठेकेदार।
    2.    छोटे ठेकेदारों पर आर्थिक और मानसिक तनाव का खतरा बढ़ा |
    3.    अनैतिक कटौतियां की जाती हैं, रसीद भी नहीं दी जाती।
    4.    सुरक्षा निधि भी समय पर नहीं लौटाई जाती।
    5.    भुगतान की मांग करने पर धमकी और दबाव डाला जाता है।
    6.    कानूनी लड़ाई में फंसकर छोटे ठेकेदार आर्थिक रूप से टूट जाते हैं।


आयोग के सुझाव - भुगतान व्यवस्था में सुधार की जरूरत
    •    “ठेकेदार शिकायत निवारण प्रकोष्ठ” का गठन हो।
    •    छोटे ठेकेदारों की शिकायतों के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाए।
    •    डिजिटल प्रमाण के आधार पर भी भुगतान स्वीकार किया जाए।
    •    दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
    •    भुगतान की स्थिति की निगरानी के लिए पोर्टल हो।

छोटे ठेकेदारों पर मानसिक तनाव का खतरा बढ़ा

आयोग ने पत्र में लिखा है कि यह केवल वित्तीय शोषण नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का भी विषय है। कई छोटे ठेकेदार आर्थिक रूप से टूट चुके हैं और मानसिक तनाव झेल रहे हैं। अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।  पत्र की प्रतिलिपि कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और पीएचईडी विभाग को भी भेजी गई है।


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