रायपुर के पचपेड़ी नाका स्थित कालडा बर्न सेंटर की मनमानी, मरीज को पैसों के लिए परेशान करने का मामला सामने आया है। रायपुर की ही रहने वाली एक मानसिक रुप से कमजोर युवती के हादसे में जलने के बाद घरवाले उसे यहां इलाज के लिए लेकर पहुंचे। अस्पताल ने पहले ही आयुष्मान कार्ड होते हुए भी इसे नहीं माना, यहीं से मनमानी और वसूली का खेल शुरू हो गया।
युवती के भाई रमेश यादव ने बताया कि 10 फरवरी को घर में हुए हादसे में मेरी बहन झुलस गई। हम 10 फरवरी को बहन को लेकर कालडा बर्न सेंटर में लेकर आए। आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से अस्पताल ने मना किया, हम मजबूरी में जैसे-तैसे पैसों का बंदोबस्त करते हुए रुपए देते रहे। हम से अस्पताल वालों ने तरह-तरह की फीस, डॉक्टर के चार्ज और दवाओं की बात कहकर 95 हजार रुपए ले लिए। गुरुवार को बहन की मौत हो गई तो शव देने से इनकार कर दिया। रमेश कहता रह गया कि उसकी बहन का शव उसे दे दिया जाए। फिर भी अस्पताल ने उसे शव नहीं सौपा।
5 घंटे घुमाया और फिर लगाया पोस्टमॉर्टम का नियम
रमेश के मुताबिक पैसों और बिल के चक्कर में कालडा अस्पताल वालों ने उसकी बहन का शव उसे नहीं सौंपा। अचानक 2 लाख के बिल की बात कहने लगे। तब रमेश ने कहा कि पहले तो कुछ बताया नहीं, अब इतने पैसे कहां से लाऊं। अस्पताल वालों ने कह दिया पैसे दोगे तो शव देंगे। अस्पताल वालों ने कह दिया बिल तो ऐसी ही है 55 हजार तो देने ही पड़ेंगे।
एक तरफ युवती की जान जा चुकी थी, इस वजह से परिवार परेशान था। दूसरी तरफ अस्पताल में वसूली का दबाव परिवार के लिए बड़ी मुसीबत बना। करीब 5 घंटे इसी तरह परेशान करने के बाद रात हुई तो अस्पताल वालों ने पुलिस को खबर कर दी, कह दिया कि पोस्टमॉर्टम का नियम होता है। पुलिस अस्पताल आई और शव ले जाने दिया गया। अब पोस्टमॉर्टम के बाद शुक्रवार की दोपहर बहन का शव रमेश को मिलेगा। अस्पताल वालों ने लाश के बदले रुपए भी वसूले हैं।
रायपुर के पचपेड़ी नाका स्थित कालडा बर्न सेंटर की मनमानी, मरीज को पैसों के लिए परेशान करने का मामला सामने आया है। रायपुर की ही रहने वाली एक मानसिक रुप से कमजोर युवती के हादसे में जलने के बाद घरवाले उसे यहां इलाज के लिए लेकर पहुंचे। अस्पताल ने पहले ही आयुष्मान कार्ड होते हुए भी इसे नहीं माना, यहीं से मनमानी और वसूली का खेल शुरू हो गया।
युवती के भाई रमेश यादव ने बताया कि 10 फरवरी को घर में हुए हादसे में मेरी बहन झुलस गई। हम 10 फरवरी को बहन को लेकर कालडा बर्न सेंटर में लेकर आए। आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से अस्पताल ने मना किया, हम मजबूरी में जैसे-तैसे पैसों का बंदोबस्त करते हुए रुपए देते रहे। हम से अस्पताल वालों ने तरह-तरह की फीस, डॉक्टर के चार्ज और दवाओं की बात कहकर 95 हजार रुपए ले लिए। गुरुवार को बहन की मौत हो गई तो शव देने से इनकार कर दिया। रमेश कहता रह गया कि उसकी बहन का शव उसे दे दिया जाए। फिर भी अस्पताल ने उसे शव नहीं सौपा।
5 घंटे घुमाया और फिर लगाया पोस्टमॉर्टम का नियम
रमेश के मुताबिक पैसों और बिल के चक्कर में कालडा अस्पताल वालों ने उसकी बहन का शव उसे नहीं सौंपा। अचानक 2 लाख के बिल की बात कहने लगे। तब रमेश ने कहा कि पहले तो कुछ बताया नहीं, अब इतने पैसे कहां से लाऊं। अस्पताल वालों ने कह दिया पैसे दोगे तो शव देंगे। अस्पताल वालों ने कह दिया बिल तो ऐसी ही है 55 हजार तो देने ही पड़ेंगे।
एक तरफ युवती की जान जा चुकी थी, इस वजह से परिवार परेशान था। दूसरी तरफ अस्पताल में वसूली का दबाव परिवार के लिए बड़ी मुसीबत बना। करीब 5 घंटे इसी तरह परेशान करने के बाद रात हुई तो अस्पताल वालों ने पुलिस को खबर कर दी, कह दिया कि पोस्टमॉर्टम का नियम होता है। पुलिस अस्पताल आई और शव ले जाने दिया गया। अब पोस्टमॉर्टम के बाद शुक्रवार की दोपहर बहन का शव रमेश को मिलेगा। अस्पताल वालों ने लाश के बदले रुपए भी वसूले हैं।