राजकुमार राव (Rajkumar Rao) और भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) की फिल्म ‘बधाई दो’ इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रही है। हालांकि, फिल्म काफी अच्छी है, जिसकी चर्चा करना भी बनता है। लेकिन इस फिल्म की रिलीज के बाद लैवेंडर मैरिज का मुद्दा सामने है, जिसके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर की फिल्म ‘बधाई दो’ की रिलीज के बाद 'लैवेंडर मैरिज' का नाम खूब सुनने को मिल रहा है। हालांकि, बहुत से लोग अभी भी इस तरह की शादी के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। वैसे आपको बता दें कि राजकुमार-भूमि की फिल्म कुछ इसी ही कॉन्सेप्ट पर बनी हुई है। दरअसल, दोनों के घरवालों द्वारा निरंतर मिल रहे शादी के दबाव से बचने के लिए राजकुमार-भूमि न केवल आपस में शादी कर लेते हैं बल्कि एक तरह के सेटलमेंट के साथ अपने आगे की जिंदगी का गुजर-बसर भी करते हैं।
लड़की का लड़की के प्यार में पड़ना न केवल गलत है बल्कि चाहकर भी इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। यही एक वजह भी है कि अपनी फीलिंग्स को जिंदा रखने के लिए राजकुमार और भूमि आपस में शादी कर लेते हैं। इस शादी को ही 'लैवेंडर मैरिज' कहा गया है। (सभी फाइल फोटोज- Istock)
कैसे फिक्स होती है लैवेंडर मैरिज?
लैवेंडर मैरिज देखने में बिल्कुल आम शादी जैसी ही लगती है, लेकिन इसके पीछे का सच केवल शादी के बंधन में बंधने जा रहे कपल्स ही जानते हैं। इस शादी में भी आम विवाह जैसी सभी रस्में निभाई जाती हैं, जोकि कपल्स की सहूलियत के हिसाब से ही होती हैं। इस तरह की शादी करने का मतलब यह है कि एक लड़का-लड़की होमोसेक्शुअल की बजाए हेट्रोसेक्शुअल कपल की तरह दिखते हैं, जोकि शादी का ठप्पा लग जाने के बाद गुपचुप तरीके से अपने पार्टनर के साथ अपनी आगे की जिंदगी बिताते हैं।
भारत में क्या है लैवेंडर शादियों का सच
6 सितंबर साल 2018 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। चीफ जस्टिस की अगुवाई में करीब 55 मिनट सुनाए इस फैसले में धारा 377 को पूरी तरह रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को अतार्किक और मनमानी बताते हुए कहा कि एलजीबीटी समुदाय को भी आम नागरिकों की तरह जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है। वह भी प्यार कर सकते हैं। वह भी अपने पसंद के साथी के साथ अपना घर बसा सकते हैं। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यौन प्राथमिकता बाइलोजिकल और प्राकृतिक है, जिन पर किसी का बस नहीं चल सकता। हालांकि, इस फैसले के सामने आने के बाद भी लोगों ने इसे पूरी तरह नहीं अपनाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि समान लिंग वाले लोगों को शादी करने या फिर साथ रहने की अनुमति नहीं है, जिसके पीछे की सबसे बड़ी वजह क्योंकि हमारे यहां लड़का-लड़की की शादी की ही इजाजत दी गई है।
लैवेंडर मैरिज उन लोगों के लिए केवल एकमात्र रास्ता है, जो समाज से लड़ने के मुकाबले बहुत ज़्यादा आसानी से अपनी जिंदगी जीना पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन प्रेमी जोड़ों के अंदर हमेशा एक डर बना रहता है, जिसमें लैवेंडर शादियां उनके लिए एक कवर के रूप में काम करती हैं। हालांकि, इस तरह की शादी के बाद भी कपल्स के सामने सबसे बड़ी समस्या बच्चा पैदा करने की आती है, जोकि फिल्म ‘बधाई दो’ में भी देखा जा सकता है। वैसे आपको बता दें कि असल शादियों में करीबी परिवारवाले इस तरह की बातों से अवगत होते हैं, जिसकी वजह से कपल्स का ज्यादा जोखिम नहीं उठाना पड़ता। वहीं जो कपल्स ऐसी सिचुएशन से गुजरते हैं, तो उनके सामने दूसरे तरह के भी बहुत रास्ते होते हैं। (सोर्स - NBT)
राजकुमार राव (Rajkumar Rao) और भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) की फिल्म ‘बधाई दो’ इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रही है। हालांकि, फिल्म काफी अच्छी है, जिसकी चर्चा करना भी बनता है। लेकिन इस फिल्म की रिलीज के बाद लैवेंडर मैरिज का मुद्दा सामने है, जिसके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर की फिल्म ‘बधाई दो’ की रिलीज के बाद 'लैवेंडर मैरिज' का नाम खूब सुनने को मिल रहा है। हालांकि, बहुत से लोग अभी भी इस तरह की शादी के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। वैसे आपको बता दें कि राजकुमार-भूमि की फिल्म कुछ इसी ही कॉन्सेप्ट पर बनी हुई है। दरअसल, दोनों के घरवालों द्वारा निरंतर मिल रहे शादी के दबाव से बचने के लिए राजकुमार-भूमि न केवल आपस में शादी कर लेते हैं बल्कि एक तरह के सेटलमेंट के साथ अपने आगे की जिंदगी का गुजर-बसर भी करते हैं।
लड़की का लड़की के प्यार में पड़ना न केवल गलत है बल्कि चाहकर भी इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। यही एक वजह भी है कि अपनी फीलिंग्स को जिंदा रखने के लिए राजकुमार और भूमि आपस में शादी कर लेते हैं। इस शादी को ही 'लैवेंडर मैरिज' कहा गया है। (सभी फाइल फोटोज- Istock)
कैसे फिक्स होती है लैवेंडर मैरिज?
लैवेंडर मैरिज देखने में बिल्कुल आम शादी जैसी ही लगती है, लेकिन इसके पीछे का सच केवल शादी के बंधन में बंधने जा रहे कपल्स ही जानते हैं। इस शादी में भी आम विवाह जैसी सभी रस्में निभाई जाती हैं, जोकि कपल्स की सहूलियत के हिसाब से ही होती हैं। इस तरह की शादी करने का मतलब यह है कि एक लड़का-लड़की होमोसेक्शुअल की बजाए हेट्रोसेक्शुअल कपल की तरह दिखते हैं, जोकि शादी का ठप्पा लग जाने के बाद गुपचुप तरीके से अपने पार्टनर के साथ अपनी आगे की जिंदगी बिताते हैं।
भारत में क्या है लैवेंडर शादियों का सच
6 सितंबर साल 2018 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। चीफ जस्टिस की अगुवाई में करीब 55 मिनट सुनाए इस फैसले में धारा 377 को पूरी तरह रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को अतार्किक और मनमानी बताते हुए कहा कि एलजीबीटी समुदाय को भी आम नागरिकों की तरह जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है। वह भी प्यार कर सकते हैं। वह भी अपने पसंद के साथी के साथ अपना घर बसा सकते हैं। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यौन प्राथमिकता बाइलोजिकल और प्राकृतिक है, जिन पर किसी का बस नहीं चल सकता। हालांकि, इस फैसले के सामने आने के बाद भी लोगों ने इसे पूरी तरह नहीं अपनाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि समान लिंग वाले लोगों को शादी करने या फिर साथ रहने की अनुमति नहीं है, जिसके पीछे की सबसे बड़ी वजह क्योंकि हमारे यहां लड़का-लड़की की शादी की ही इजाजत दी गई है।
लैवेंडर मैरिज उन लोगों के लिए केवल एकमात्र रास्ता है, जो समाज से लड़ने के मुकाबले बहुत ज़्यादा आसानी से अपनी जिंदगी जीना पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन प्रेमी जोड़ों के अंदर हमेशा एक डर बना रहता है, जिसमें लैवेंडर शादियां उनके लिए एक कवर के रूप में काम करती हैं। हालांकि, इस तरह की शादी के बाद भी कपल्स के सामने सबसे बड़ी समस्या बच्चा पैदा करने की आती है, जोकि फिल्म ‘बधाई दो’ में भी देखा जा सकता है। वैसे आपको बता दें कि असल शादियों में करीबी परिवारवाले इस तरह की बातों से अवगत होते हैं, जिसकी वजह से कपल्स का ज्यादा जोखिम नहीं उठाना पड़ता। वहीं जो कपल्स ऐसी सिचुएशन से गुजरते हैं, तो उनके सामने दूसरे तरह के भी बहुत रास्ते होते हैं। (सोर्स - NBT)