रायपुर: कम उम्र होेने के बाद भी कुछ बच्चे ऐसी बहादुरी का काम कर दिखाते हैं, जिसके बारे में कोई सोच नहीं सकता। अपनी जान जोखिम में डालकर जिस दिलेरी से राज्य के 3 नन्हें जांबाजों ने अलग-अलग घटनाओं में बिना देर किए औरों की जान बचाने में तत्परता दिखाई, वह सराहनीय है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद रायपुर ने इस बार राज्य वीरता पुरस्कार के लिए इन 3 बहादुर बच्चों का चयन किया है, जो उम्र तो छोटे हैं, पर उनकी बहादुरी बड़ों को भी प्रभावित कर जाती है।
परिषद के उपाध्यक्ष राजेंद्र निगम, जूरी कमेटी की मेंबर इंदिरा जैन ने संयुक्त रूप से बताया, जान जोखिम में डालकर दूसरों की जिंदगी बचाने वाले साहसी बच्चों को गणतंत्र दिवस के मौके पर राज्यपाल अनुसुईया उइके के हाथों राज्य वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इन बच्चों में ग्राम भानबेड़ा, तहसील भानुप्रतापपुर की 8 वर्षीय बालिका जंबावती भूआर्य, ग्राम चुहका जिला बेमेतरा के 12 वर्ष के बहादुर बच्चे सीताराम यादव और खल्लारी महासमुंद की रहने वाली बहादुर बालिका छाया विश्वकर्मा शामिल हैं।
8 वर्ष की बालिका जंबावती ने बताया, उसे तैरना नहीं आता। 4 सितंबर 2022 की घटना है, जब उनकी मां मजदूरी कार्य करने नदी के उस पार चली गई थी, जंबावती और उसकी बहन अपनी मां को ढूंढते हुए नदी किनारे तक पहुंच गए। नदी पार करने बांध के ऊपर से जाने लगे, पर इस दौरान बच्चों के पैर फिसल जाने के कारण वे नदी में गिर गए। जहां बच्चे गिरे थे, वहां नदी में झाड़ियां थीं, बड़ी बहन जंबावती ने एक हाथ से छोटी बहन के हाथ को पकड़े रखा और दूसरे हाथ से झाड़ियों को पकड़े रही। दोनों ही बच्चों के मुंह, नाक से पेट के अंदर पानी जा रहा था। बच्चे चिल्लाने लगे, उनकी आवाज सुनकर माता व अन्य लोग दौड़कर आए और दोनों को नदी से बाहर निकाला। खास बात ये रही बहादुर बच्ची जंबावती ने नदी में गिरने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी, एक हाथ से झाड़ियों का सहारा लिए और दूसरे हाथ से बहन को पकड़कर नदी में स्वयं और बहन को डूबने से बचा लिया। जंबावती ने पत्रकारों को बताया, वे कक्षा तीसरी की छात्रा हैं।
रायपुर: कम उम्र होेने के बाद भी कुछ बच्चे ऐसी बहादुरी का काम कर दिखाते हैं, जिसके बारे में कोई सोच नहीं सकता। अपनी जान जोखिम में डालकर जिस दिलेरी से राज्य के 3 नन्हें जांबाजों ने अलग-अलग घटनाओं में बिना देर किए औरों की जान बचाने में तत्परता दिखाई, वह सराहनीय है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद रायपुर ने इस बार राज्य वीरता पुरस्कार के लिए इन 3 बहादुर बच्चों का चयन किया है, जो उम्र तो छोटे हैं, पर उनकी बहादुरी बड़ों को भी प्रभावित कर जाती है।
परिषद के उपाध्यक्ष राजेंद्र निगम, जूरी कमेटी की मेंबर इंदिरा जैन ने संयुक्त रूप से बताया, जान जोखिम में डालकर दूसरों की जिंदगी बचाने वाले साहसी बच्चों को गणतंत्र दिवस के मौके पर राज्यपाल अनुसुईया उइके के हाथों राज्य वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इन बच्चों में ग्राम भानबेड़ा, तहसील भानुप्रतापपुर की 8 वर्षीय बालिका जंबावती भूआर्य, ग्राम चुहका जिला बेमेतरा के 12 वर्ष के बहादुर बच्चे सीताराम यादव और खल्लारी महासमुंद की रहने वाली बहादुर बालिका छाया विश्वकर्मा शामिल हैं।
8 वर्ष की बालिका जंबावती ने बताया, उसे तैरना नहीं आता। 4 सितंबर 2022 की घटना है, जब उनकी मां मजदूरी कार्य करने नदी के उस पार चली गई थी, जंबावती और उसकी बहन अपनी मां को ढूंढते हुए नदी किनारे तक पहुंच गए। नदी पार करने बांध के ऊपर से जाने लगे, पर इस दौरान बच्चों के पैर फिसल जाने के कारण वे नदी में गिर गए। जहां बच्चे गिरे थे, वहां नदी में झाड़ियां थीं, बड़ी बहन जंबावती ने एक हाथ से छोटी बहन के हाथ को पकड़े रखा और दूसरे हाथ से झाड़ियों को पकड़े रही। दोनों ही बच्चों के मुंह, नाक से पेट के अंदर पानी जा रहा था। बच्चे चिल्लाने लगे, उनकी आवाज सुनकर माता व अन्य लोग दौड़कर आए और दोनों को नदी से बाहर निकाला। खास बात ये रही बहादुर बच्ची जंबावती ने नदी में गिरने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी, एक हाथ से झाड़ियों का सहारा लिए और दूसरे हाथ से बहन को पकड़कर नदी में स्वयं और बहन को डूबने से बचा लिया। जंबावती ने पत्रकारों को बताया, वे कक्षा तीसरी की छात्रा हैं।