चिंता, घबराहट होना इन दिनों काफी कॉमन हो गया है। वजह है हमारे आसपास का माहौल, जो हमें लगातार कॉम्पिटिशन, अपेक्षाओं के बोझ तले जीने को मजबूर कर रही है। ये कॉम्पिटीशन और अपेक्षाएं करियर या परिवार या रिलेशन किसी में भी हो सकती है। इन्हीं चिंताओं का असर हमारे दिमाग पर होता है और अक्सर लोग अनजान घबराहट से बेचैन रहने लगते हैं। दिमाग में चल रहीं इन अनवरत चिंताओं के समाधान के लिए आध्यात्मिक गुरु सद्गुर बता रहे हैं।
चिंता का समाधान नही है 'जाने दो'
अगर आपको एंजायटी और चिंता सताती रहती है और कोई कहे कि इस बारे में 'ध्यान ना दो'। तो ये समाधान नही है। जरूरी है कि अपनी एंजायटी और घबराहट के बारे में पता किया जाए और फिर समाधान निकाला जाए।
जरूरी है कारण जानना
सद्गुरु कहते हैं कि जरूरी है कि दिमाग को मशीन के जैसा ट्रीट किया जाए और समझा जाए कि जब किसी मशीन को चलने में दिक्कत होती है तो उसे देखभाल की जरूरत है। उसी तरह से इंसान को जेनेटिक्स या सोशल चीजों को कारण ना मानकर दिमाग को ठीक से चलाने पर फोकस करना चाहिए।
अपनी पसंदीदा चीज के साथ रहें
सद्गुरु बताते हैं कि एंजायटी, चिंता जैसी चीजों को मैनेज करने का बहुत ही सरल तरीका बताया। सद्गुरु कहते हैं कि बस उस चीज को देखें जो आपको सबसे ज्यादा प्रिय हो। फिर वो चाहे आकाश हो, सूरज, चांद, तारे, पेड़ या कोई शख्स, कोई बच्चा या फेवरेट एनिमल। कुछ भी बस उसे अपने हाथों में 10-12 मिनट पकड़कर रखते हैं। तो इससे चिंता और एंचायटी में कमी महसूस होती है।
कैसे पड़ता है एंजायटी पर असर
जब आप अपनी पसंदीदा चुनी हुई चीज को बड़े ही प्यार से देखते हैं और उसके महत्व को जीवन में पहचानते हैं। तो इससे मानसिक स्थिति में बदलाव आता है। दिमाग में शांति और संतुलन का भाव पैदा होता है। जिससे एंजायटी खत्म होती है।
चिंता, घबराहट होना इन दिनों काफी कॉमन हो गया है। वजह है हमारे आसपास का माहौल, जो हमें लगातार कॉम्पिटिशन, अपेक्षाओं के बोझ तले जीने को मजबूर कर रही है। ये कॉम्पिटीशन और अपेक्षाएं करियर या परिवार या रिलेशन किसी में भी हो सकती है। इन्हीं चिंताओं का असर हमारे दिमाग पर होता है और अक्सर लोग अनजान घबराहट से बेचैन रहने लगते हैं। दिमाग में चल रहीं इन अनवरत चिंताओं के समाधान के लिए आध्यात्मिक गुरु सद्गुर बता रहे हैं।
चिंता का समाधान नही है 'जाने दो'
अगर आपको एंजायटी और चिंता सताती रहती है और कोई कहे कि इस बारे में 'ध्यान ना दो'। तो ये समाधान नही है। जरूरी है कि अपनी एंजायटी और घबराहट के बारे में पता किया जाए और फिर समाधान निकाला जाए।
जरूरी है कारण जानना
सद्गुरु कहते हैं कि जरूरी है कि दिमाग को मशीन के जैसा ट्रीट किया जाए और समझा जाए कि जब किसी मशीन को चलने में दिक्कत होती है तो उसे देखभाल की जरूरत है। उसी तरह से इंसान को जेनेटिक्स या सोशल चीजों को कारण ना मानकर दिमाग को ठीक से चलाने पर फोकस करना चाहिए।
अपनी पसंदीदा चीज के साथ रहें
सद्गुरु बताते हैं कि एंजायटी, चिंता जैसी चीजों को मैनेज करने का बहुत ही सरल तरीका बताया। सद्गुरु कहते हैं कि बस उस चीज को देखें जो आपको सबसे ज्यादा प्रिय हो। फिर वो चाहे आकाश हो, सूरज, चांद, तारे, पेड़ या कोई शख्स, कोई बच्चा या फेवरेट एनिमल। कुछ भी बस उसे अपने हाथों में 10-12 मिनट पकड़कर रखते हैं। तो इससे चिंता और एंचायटी में कमी महसूस होती है।
कैसे पड़ता है एंजायटी पर असर
जब आप अपनी पसंदीदा चुनी हुई चीज को बड़े ही प्यार से देखते हैं और उसके महत्व को जीवन में पहचानते हैं। तो इससे मानसिक स्थिति में बदलाव आता है। दिमाग में शांति और संतुलन का भाव पैदा होता है। जिससे एंजायटी खत्म होती है।