बरमकेला : करीब 500 की आबादी वाले गांव रंगाडीह । इनकी प्यास बुझाने के लिए सरकार की तरफ से 5 से 6 हैंड पंप के साथ एक बोर पंप और एक हजारों लीटर की नल जल योजना के तहत एक पानी टंकी की सुविधा दी गई है। बावजूद इसके दिन दिनों यहां के बाशिंदों को बूंद-बूंद पानी के लिए न सिर्फ तरसना पड़ रहा है, बल्कि खेत-खलिहान के रास्तों से होकर गुजरते हुए लगभग 1 किलोमीटर का सफर करना पड़ रहा है।
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रंगाडीह एक ऐसा गांव है, जहां आज भी ग्रामीण बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। लगभग 500 की जनसंख्या वाले इस गांव में वैसे तो कागजों में शासन की ओर से 5 से 6 हैंड पंप और एक ट्यूबवेल है।
करीब तीन महीने पहले नल जल योजना के तहत घर-घर पानी देने के लिए 4 हजार लीटर क्षमता की पानी टंकी भी बनवाई गई है, लेकिन पानी का जल स्तर गिरने की वजह से हैंड पंपों से जहां पानी की जगह सिर्फ हवा निकल रही है। वहीं बोर पंप का मोटर जलने की वजह से टंकी में पानी तक नहीं भरा जा पा रहा है। इससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है।
अब प्यास बुझाने के लिए ग्रामीण गांव के किसानों के निजी बोर पर आश्रित हैं, लेकिन इसके लिए लगभग आधे से एक किलोमीटर तक खेत खलिहानों के पगडंडी रास्तों से सफर करना पड़ रहा है। छोटे-छोटे मासूम बच्चे साइकिल में बाल्टी व डब्बे में पानी भर कर ला रहे हैं। ऐसी स्थिति हर साल बनती है। इसके बाद भी प्रशासन पेयजल समस्या का समाधान नहीं खोज सका है।
गांव में स्थिति के लिए ग्राम पंचायत के साथ पीएचई विभाग के जिम्मेदार लोग हैं। पानी की समस्या को दूर करने के लिए हर साल यहां हैंड पंप खनन कराया जाता है, लेकिन गर्मी के दिनों की बजाय बारिश के मौसम में पीएचई के लोग पंप खनन करने पहुंचते हैं। बारिश में जल स्तर ऊपर आ जाने की वजह से पानी 200 से 300 फीट के अंदर पानी मिल जाता है। जबकि गर्मी के दिनों में यह जलस्तर 600 फीट तक नीचे चला जाता है। इसकी वजह से पंप पानी की जगह गर्मी में आग उगलते हैं। अगर गर्मी के दिनों में ही पंप खनन किया जाता तो ज्यादा गहराई में खोदाई करनी पड़ती और पानी का जल स्तर नीचे नहीं जाता। इससे गांव में पेयजल संकट दूर किया जा सकता, लेकिन ऐसा पीएचई के अफसर नहीं करते।
चेक करवाने की बात कह रहे एसई - इस संबंध में जब पीएचई विभाग के सब इंजीनियर केआर सूर्यवंशी से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी नहीं हैं। वाटर लेवल या मोटर की समस्या हो सकती है। स्टॉफ को भेज कर चेक करवाता हूं।
बरमकेला : करीब 500 की आबादी वाले गांव रंगाडीह । इनकी प्यास बुझाने के लिए सरकार की तरफ से 5 से 6 हैंड पंप के साथ एक बोर पंप और एक हजारों लीटर की नल जल योजना के तहत एक पानी टंकी की सुविधा दी गई है। बावजूद इसके दिन दिनों यहां के बाशिंदों को बूंद-बूंद पानी के लिए न सिर्फ तरसना पड़ रहा है, बल्कि खेत-खलिहान के रास्तों से होकर गुजरते हुए लगभग 1 किलोमीटर का सफर करना पड़ रहा है।
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रंगाडीह एक ऐसा गांव है, जहां आज भी ग्रामीण बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। लगभग 500 की जनसंख्या वाले इस गांव में वैसे तो कागजों में शासन की ओर से 5 से 6 हैंड पंप और एक ट्यूबवेल है।
करीब तीन महीने पहले नल जल योजना के तहत घर-घर पानी देने के लिए 4 हजार लीटर क्षमता की पानी टंकी भी बनवाई गई है, लेकिन पानी का जल स्तर गिरने की वजह से हैंड पंपों से जहां पानी की जगह सिर्फ हवा निकल रही है। वहीं बोर पंप का मोटर जलने की वजह से टंकी में पानी तक नहीं भरा जा पा रहा है। इससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है।
अब प्यास बुझाने के लिए ग्रामीण गांव के किसानों के निजी बोर पर आश्रित हैं, लेकिन इसके लिए लगभग आधे से एक किलोमीटर तक खेत खलिहानों के पगडंडी रास्तों से सफर करना पड़ रहा है। छोटे-छोटे मासूम बच्चे साइकिल में बाल्टी व डब्बे में पानी भर कर ला रहे हैं। ऐसी स्थिति हर साल बनती है। इसके बाद भी प्रशासन पेयजल समस्या का समाधान नहीं खोज सका है।
गांव में स्थिति के लिए ग्राम पंचायत के साथ पीएचई विभाग के जिम्मेदार लोग हैं। पानी की समस्या को दूर करने के लिए हर साल यहां हैंड पंप खनन कराया जाता है, लेकिन गर्मी के दिनों की बजाय बारिश के मौसम में पीएचई के लोग पंप खनन करने पहुंचते हैं। बारिश में जल स्तर ऊपर आ जाने की वजह से पानी 200 से 300 फीट के अंदर पानी मिल जाता है। जबकि गर्मी के दिनों में यह जलस्तर 600 फीट तक नीचे चला जाता है। इसकी वजह से पंप पानी की जगह गर्मी में आग उगलते हैं। अगर गर्मी के दिनों में ही पंप खनन किया जाता तो ज्यादा गहराई में खोदाई करनी पड़ती और पानी का जल स्तर नीचे नहीं जाता। इससे गांव में पेयजल संकट दूर किया जा सकता, लेकिन ऐसा पीएचई के अफसर नहीं करते।
चेक करवाने की बात कह रहे एसई - इस संबंध में जब पीएचई विभाग के सब इंजीनियर केआर सूर्यवंशी से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी नहीं हैं। वाटर लेवल या मोटर की समस्या हो सकती है। स्टॉफ को भेज कर चेक करवाता हूं।