इन वजहों से बढ़ रहा हैं लिव-इन रिलेशनशिप का चलन :

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पश्चिमी देशों की तर्ज पर अब भारतीय युवाओं में ‘लिव-इन रिलेशनशिप ( Live-In Relation) का क्रेज बढ़ रहा है। एक सर्वे के मुताबिक, हर दूसरा भारतीय युवा शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है। इसको लेकर हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की थी और ‘लिव-इन रिलेशनशिप को भारतीय समाज के लिए कलंक बताया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह भारतीय समाज के मूल्यों व सिद्धांतों के विपरीत आयातित दर्शन है। युवा शादी के बजाय, इसलिए लिव-इन रिलेशन को तरजीह दे रहे हैं क्योंकि इससे अलग होना काफी आसान है।


दुनियाभर में विभिन्न सामाजिक और अन्य मुद्दों पर शोध करने वाली संस्था ‘रिसर्चगेट भारतीय युवाओं में बढ़ते लिव-इन रिलेशनशिप के क्रेज को लेकर शोध करके यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इसकी वजह किया है। रिसर्चगेट ने अपनी शोध में युवाओं में बढ़ते लिव-इन रिलेशनशिप क्रेज के पांच प्रमुख वजह बताया है। इस शोध के लिए संस्था ने सेकेंड्री आंकड़ों जैसे,ऑनलाइन सर्वे, सोशल मीडिया, समाचार रिपोर्ट आदि को शामिल किया। इसमें शहरीकरण व आधुनिकीकरण‌, आर्थिक रूप से सक्षम व समान जिम्मेदारी के साथ-साथ आपस में विवाद होने पर शादी की तुलना में आसानी से अपनी-अपनी राह को अलग कर लेना प्रमुख वजह है।

ये हैं 5 प्रमुख वजह

शहरीकरण और आधुनिकीकरण : शोध में कहा गया है कि भारतीय समाज में यह गलत धारणा फैली है कि लिव-इन रिश्ते मुख्य रूप से शारीरिक सुख के इर्द-गिर्द घूमते हैं, जबकि वास्तव में हर मामले में ऐसा नहीं होता है। इसमें कहा गया गया है कि युवाओं को लिव-इन रिलेशनशिप चुनने के लिए कई तरह की प्रेरणाएं मिलती है और इसमें से शहरीकरण, खासकर महानगरीय जीवन शैली और आधुनिकीकरण जो समकालीन जीवन के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं। शोध में कहा गया है कि शहरी परिवेश रिश्तों के प्रति अधिक उदार दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है जो उन पारंपरिक मानदंडों को चुनौती देता है जो कभी विवाह की पवित्रता को निर्धारित करते थे। साथ ही कहा है कि इसकी वजह से युवा लिव रिलेशनशिप को तरजीह देते हैं।

वैश्वीकरण और शिक्षा : शोध में कहा गया है कि वैश्वीकरण, मीडिया और शिक्षा का प्रभाव ने संस्कृतियों और विचारों का अदला बदली किया है, जिससे शहरी लोगों ने पश्चिमी समाजों में प्रचलित रिश्तों के वैकल्पिक मॉडल लिवइन रिलेशनशिप से अवगत कराया है। इसमें कहा गया है कि टेलीविजन, फिल्मों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म सहित जनसंचार माध्यमों ने लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा को सामान्य बना दिया है और शहरी युवाओं के बीच इसकी स्वीकृति को बढ़ाया।

वैवाहिक जीवन का पूर्वाभ्यास है लिव-इन रिलेशनशिप : इसमें कहा गया है कि युवा शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में इसलिए रहना चाहते हैं क्योंकि वे विवाह करने के पहले, पूर्वाभ्यास करके लॉन्ग टाइम रिलेशन के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले उनकी अनुकूलता का आकलन कर सकें। शोध में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान, इस रिश्ते में रहने वाले युवा पार्टनरों का लक्ष्य पैसा, लिंग, धर्म और राजनीति जैसे विभिन्न पहलुओं पर एक-दूसरे के साझा हितों और दृष्टिकोण को समझता है। साथ ही कहा गया है कि ऐसा इसलिए करते हैं कि एक सफल रिश्ते की नींव रख सकें। इसमें कहा गया है लिव-इन रिलेशनशिप जोड़ों को शादी के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले उनकी अनुकूलता का आंकलन करने की अनुमति देता है।


वित्तीय निर्णय लेने की आजादी और समान जिम्मेदारी : शोध में कहा गया है कि वैवाहिक जीवन में आर्थिक निर्णय आमतौर पर पति-पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से लिए जाते हैं और दोनों इसका पालन करने के लिए बाध्य होते हैं। वहीं लिव-इन रिलेशन में, लड़का-लड़की अपने स्वयं के वित्तीय निर्णयों पर स्वायत्तता बरकरार रखते हैं। इसका मतलब यह है कि जब एक साथी अपना पैसा खर्च करना चाहता है, तो वह दूसरे के हस्तक्षेप के बिना ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। इसके अतिरिक्त, दोनों भागीदार कुछ वित्तीय जिम्मेदारियां साझा करना चुन सकते हैं। इसकी वजह से उनके बीच कम झगड़े होते हैं। साथ ही कहा कि इस रिश्ते में विवाह की तुलना में जिम्मेदारी का बोझ काफी कम होता है क्योंकि विवाह, पीढ़ियों से चली आ रही एक पारंपरिक संस्था है, जो अक्सर प्रत्येक पति की जिम्मेदारी तय करता है।

आसानी से अलग होना : शोध में कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप के प्रति युवाओं में क्रेज इसलिए बढ़ रही है क्योंकि इस रिश्ते की अवधारणा पारंपरिक प्रतिबद्धताओं के बिना रिश्तों की चाहत के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव से उत्पन्न होती है। विवाह के विपरीत, लिव-इन संबंधों में भागीदारों के बीच कानूनी दायित्वों की कमी होती है, जिसकी वजह से इस रिश्ते में शामिल होना और अलग होना आसान हो जाता है। वहीं एक बार शादी होने के बाद अलग होने में काफी जटिल कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।

हर दूसरा युवा लिव-इन में रहना चाहता है : एक अन्य सर्वे में कहा गया है कि हर दो भारतीयों युवा में से एक लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है। यह सर्वे ओटीटी प्लैटफॉर्म लायंसगेट प्ले एक अन्य संस्था के साथ मिलकर किया। इस सर्वे में कहा गया कि 34 फीसदी युवाओं ने कहा कि उनके माता-पिता को लिव-इन रिलेशनशिप पर कोई आपत्ति नहीं है।

- 92 फीसदी महिलाएं और 87 फीसदी पुरुष प्रेम में ‌दोस्ती को बेहद जरूरी मानते हैं। सर्वें में शामिल 50 फीसदी महिलाओं ने कहा कि घर का खर्च महिलाओं और पुरुषों को आधा-आधा बांटना चाहिए। वहीं महज 37 फीसदी पुरुषों ने कहा कि घर का खर्च दोनों को समान रूप से उठाना चाहिए।

- 66 फीसदी पुरुष सब कुछ भूलकर अपने पहले प्यार के पास वापस जाने के लिए तैयार रहते हैं, जबकि 53 महिलाएं अपने पुराने प्रेमी को भूलकर नई शुरुआत करती हैं।


पश्चिमी देशों की तर्ज पर अब भारतीय युवाओं में ‘लिव-इन रिलेशनशिप ( Live-In Relation) का क्रेज बढ़ रहा है। एक सर्वे के मुताबिक, हर दूसरा भारतीय युवा शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है। इसको लेकर हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की थी और ‘लिव-इन रिलेशनशिप को भारतीय समाज के लिए कलंक बताया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह भारतीय समाज के मूल्यों व सिद्धांतों के विपरीत आयातित दर्शन है। युवा शादी के बजाय, इसलिए लिव-इन रिलेशन को तरजीह दे रहे हैं क्योंकि इससे अलग होना काफी आसान है।


दुनियाभर में विभिन्न सामाजिक और अन्य मुद्दों पर शोध करने वाली संस्था ‘रिसर्चगेट भारतीय युवाओं में बढ़ते लिव-इन रिलेशनशिप के क्रेज को लेकर शोध करके यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इसकी वजह किया है। रिसर्चगेट ने अपनी शोध में युवाओं में बढ़ते लिव-इन रिलेशनशिप क्रेज के पांच प्रमुख वजह बताया है। इस शोध के लिए संस्था ने सेकेंड्री आंकड़ों जैसे,ऑनलाइन सर्वे, सोशल मीडिया, समाचार रिपोर्ट आदि को शामिल किया। इसमें शहरीकरण व आधुनिकीकरण‌, आर्थिक रूप से सक्षम व समान जिम्मेदारी के साथ-साथ आपस में विवाद होने पर शादी की तुलना में आसानी से अपनी-अपनी राह को अलग कर लेना प्रमुख वजह है।

ये हैं 5 प्रमुख वजह

शहरीकरण और आधुनिकीकरण : शोध में कहा गया है कि भारतीय समाज में यह गलत धारणा फैली है कि लिव-इन रिश्ते मुख्य रूप से शारीरिक सुख के इर्द-गिर्द घूमते हैं, जबकि वास्तव में हर मामले में ऐसा नहीं होता है। इसमें कहा गया गया है कि युवाओं को लिव-इन रिलेशनशिप चुनने के लिए कई तरह की प्रेरणाएं मिलती है और इसमें से शहरीकरण, खासकर महानगरीय जीवन शैली और आधुनिकीकरण जो समकालीन जीवन के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं। शोध में कहा गया है कि शहरी परिवेश रिश्तों के प्रति अधिक उदार दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है जो उन पारंपरिक मानदंडों को चुनौती देता है जो कभी विवाह की पवित्रता को निर्धारित करते थे। साथ ही कहा है कि इसकी वजह से युवा लिव रिलेशनशिप को तरजीह देते हैं।

वैश्वीकरण और शिक्षा : शोध में कहा गया है कि वैश्वीकरण, मीडिया और शिक्षा का प्रभाव ने संस्कृतियों और विचारों का अदला बदली किया है, जिससे शहरी लोगों ने पश्चिमी समाजों में प्रचलित रिश्तों के वैकल्पिक मॉडल लिवइन रिलेशनशिप से अवगत कराया है। इसमें कहा गया है कि टेलीविजन, फिल्मों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म सहित जनसंचार माध्यमों ने लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा को सामान्य बना दिया है और शहरी युवाओं के बीच इसकी स्वीकृति को बढ़ाया।

वैवाहिक जीवन का पूर्वाभ्यास है लिव-इन रिलेशनशिप : इसमें कहा गया है कि युवा शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में इसलिए रहना चाहते हैं क्योंकि वे विवाह करने के पहले, पूर्वाभ्यास करके लॉन्ग टाइम रिलेशन के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले उनकी अनुकूलता का आकलन कर सकें। शोध में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान, इस रिश्ते में रहने वाले युवा पार्टनरों का लक्ष्य पैसा, लिंग, धर्म और राजनीति जैसे विभिन्न पहलुओं पर एक-दूसरे के साझा हितों और दृष्टिकोण को समझता है। साथ ही कहा गया है कि ऐसा इसलिए करते हैं कि एक सफल रिश्ते की नींव रख सकें। इसमें कहा गया है लिव-इन रिलेशनशिप जोड़ों को शादी के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले उनकी अनुकूलता का आंकलन करने की अनुमति देता है।


वित्तीय निर्णय लेने की आजादी और समान जिम्मेदारी : शोध में कहा गया है कि वैवाहिक जीवन में आर्थिक निर्णय आमतौर पर पति-पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से लिए जाते हैं और दोनों इसका पालन करने के लिए बाध्य होते हैं। वहीं लिव-इन रिलेशन में, लड़का-लड़की अपने स्वयं के वित्तीय निर्णयों पर स्वायत्तता बरकरार रखते हैं। इसका मतलब यह है कि जब एक साथी अपना पैसा खर्च करना चाहता है, तो वह दूसरे के हस्तक्षेप के बिना ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। इसके अतिरिक्त, दोनों भागीदार कुछ वित्तीय जिम्मेदारियां साझा करना चुन सकते हैं। इसकी वजह से उनके बीच कम झगड़े होते हैं। साथ ही कहा कि इस रिश्ते में विवाह की तुलना में जिम्मेदारी का बोझ काफी कम होता है क्योंकि विवाह, पीढ़ियों से चली आ रही एक पारंपरिक संस्था है, जो अक्सर प्रत्येक पति की जिम्मेदारी तय करता है।

आसानी से अलग होना : शोध में कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप के प्रति युवाओं में क्रेज इसलिए बढ़ रही है क्योंकि इस रिश्ते की अवधारणा पारंपरिक प्रतिबद्धताओं के बिना रिश्तों की चाहत के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव से उत्पन्न होती है। विवाह के विपरीत, लिव-इन संबंधों में भागीदारों के बीच कानूनी दायित्वों की कमी होती है, जिसकी वजह से इस रिश्ते में शामिल होना और अलग होना आसान हो जाता है। वहीं एक बार शादी होने के बाद अलग होने में काफी जटिल कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।

हर दूसरा युवा लिव-इन में रहना चाहता है : एक अन्य सर्वे में कहा गया है कि हर दो भारतीयों युवा में से एक लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है। यह सर्वे ओटीटी प्लैटफॉर्म लायंसगेट प्ले एक अन्य संस्था के साथ मिलकर किया। इस सर्वे में कहा गया कि 34 फीसदी युवाओं ने कहा कि उनके माता-पिता को लिव-इन रिलेशनशिप पर कोई आपत्ति नहीं है।

- 92 फीसदी महिलाएं और 87 फीसदी पुरुष प्रेम में ‌दोस्ती को बेहद जरूरी मानते हैं। सर्वें में शामिल 50 फीसदी महिलाओं ने कहा कि घर का खर्च महिलाओं और पुरुषों को आधा-आधा बांटना चाहिए। वहीं महज 37 फीसदी पुरुषों ने कहा कि घर का खर्च दोनों को समान रूप से उठाना चाहिए।

- 66 फीसदी पुरुष सब कुछ भूलकर अपने पहले प्यार के पास वापस जाने के लिए तैयार रहते हैं, जबकि 53 महिलाएं अपने पुराने प्रेमी को भूलकर नई शुरुआत करती हैं।


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