मुंबई । कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए हिंदुजा ग्रुप को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हिंदुजा ग्रुप ने एनसीएलटी में एक आवेदन देकर लेंडर्स को अंतिम भुगतान करने के लिए और समय मांगा है। हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (आईआईएचएल) ने अक्टूबर 2023 में रिलायंस कैपिटल के लिए 9,850 करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। आईआईएचएल को अधिग्रहण को पूरा करने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटर सहित सभी अहम मंजूरियां मिल चुकी हैं। रिलायंस कैपिटल की इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग को पूरा करने और भुगतान करने की समय सीमा 27 मई थी। हिंदुजा ग्रुप ने बताया कि डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड से विदेशी निवेश के लिए मंजूरी मिलने में देरी हुई है, इसकारण इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए और समय चाहिए।
रिलायंस कैपिटल के लेंडर्स का आरोप था कि आईआईएचएल द्वारा आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने में विफलता का खामियाजा कॉरपोरेट देनदार और उसके वित्तीय लेनदारों को नहीं उठाना चाहिए। मंजूरी मिलने में देरी पूरी तरह से आईआईएचएल के कारण है। आईआईएचएल ने अपने आवेदन में दावा किया है कि सभी मंजूरियां प्राप्त करना उसकी अकेले की जिम्मेदारी नहीं है, क्योंकि अधिकांश मंजूरियों के लिए प्रशासक या कॉर्पोरेट देनदार की परिचालन सहायक या सहयोगी कंपनियों के माध्यम से आवेदन करना आवश्यक है, इसलिए ग्रुप के हाथ में नहीं है। 2,750 करोड़ की इक्विटी निवेश के बारे में आवेदन में कहा गया है कि ग्रुप ने अपने ऑडिटर्स डी एंड जी एसोसिएट्स एलएलपी के जरिए एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। यह इस बात का प्रमाण है कि ग्रुप इक्विटी पूंजी निवेश करने के अपने दायित्व को पूरा करने के लिए कृतसंकल्प है।
मुंबई । कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए हिंदुजा ग्रुप को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हिंदुजा ग्रुप ने एनसीएलटी में एक आवेदन देकर लेंडर्स को अंतिम भुगतान करने के लिए और समय मांगा है। हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (आईआईएचएल) ने अक्टूबर 2023 में रिलायंस कैपिटल के लिए 9,850 करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। आईआईएचएल को अधिग्रहण को पूरा करने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटर सहित सभी अहम मंजूरियां मिल चुकी हैं। रिलायंस कैपिटल की इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग को पूरा करने और भुगतान करने की समय सीमा 27 मई थी। हिंदुजा ग्रुप ने बताया कि डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड से विदेशी निवेश के लिए मंजूरी मिलने में देरी हुई है, इसकारण इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए और समय चाहिए।
रिलायंस कैपिटल के लेंडर्स का आरोप था कि आईआईएचएल द्वारा आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने में विफलता का खामियाजा कॉरपोरेट देनदार और उसके वित्तीय लेनदारों को नहीं उठाना चाहिए। मंजूरी मिलने में देरी पूरी तरह से आईआईएचएल के कारण है। आईआईएचएल ने अपने आवेदन में दावा किया है कि सभी मंजूरियां प्राप्त करना उसकी अकेले की जिम्मेदारी नहीं है, क्योंकि अधिकांश मंजूरियों के लिए प्रशासक या कॉर्पोरेट देनदार की परिचालन सहायक या सहयोगी कंपनियों के माध्यम से आवेदन करना आवश्यक है, इसलिए ग्रुप के हाथ में नहीं है। 2,750 करोड़ की इक्विटी निवेश के बारे में आवेदन में कहा गया है कि ग्रुप ने अपने ऑडिटर्स डी एंड जी एसोसिएट्स एलएलपी के जरिए एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। यह इस बात का प्रमाण है कि ग्रुप इक्विटी पूंजी निवेश करने के अपने दायित्व को पूरा करने के लिए कृतसंकल्प है।