रास्ते में बिछी हुई थीं लाशें, हज से लौटे यात्रियों ने बताया सऊदी अरब की गर्मी का हाल:

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मुंबई.  सऊदी अरब में इस बार हज यात्रा के दौरान करीब 900 लोगों की मौत हो गई जिनमें से 98 भारतीय भी हैं। इस बार हज यात्रा के दौरान सऊदी अरब में भीषण गर्मी पड़ रही थी। मक्का शहर गर्मी की वजह से भट्ठी बन गया था। यहां अधिकतम तापमान 51.8 डिग्री तक पहुंच गया। पिछळे साल की बात करें तो हज यात्रा के दौरान 200 लोगों की मौत हुई थी और 2000 की तबीतय बिगड़ी थी। बीते साल अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक ही दर्ज किया गया था। वहीं इस बार हज यात्रा के दौरान पारा 51 डिग्री से ऊपर पहुंच गया। 

बीते महीने सऊदी अरब में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया कि हर दशक में तापमान में 0.4 डिग्री की वृद्धि हो रही है। मुंबई में मीरा रोड के रहने वाले आसिफ अली ने बताया कि इस साल पड़ने वाली गर्मी कोई सामान्य नहीं थी। हज कमेटी की तरफ से उनकी सीट के ऐलान के बाद ही उन्होंने खुद को इस यात्रा के लिए तैयार करना शुरू  कर दिया था। उन्होंने कहा, यह मेरी पहली हज यात्रा थी। मैंने खूब इसके बारे में जानकारी हासिल कर ली थी। 

उन्होंने आगे बताया, होटल से नमाज के लिए निकलते वक्त मैं गीला कपड़ा अपने सिर पर रख लेता था। वहीं पास में एक बोतल रखता था और लगातार पानी पीता रहता था। गर्मी के बारे में कुछ भी बता पाना मुश्किल है बस इसे अनुभव किया जा सकता था। 35 साल के ओवैस रिजवी ने बताया कि काबा के पास काफी इंतजाम किया गया था। हालांकि यात्री जब मीना से लोग पत्थऱ मारने की रस्म के लिए निकले तो बहुत सारे लोगों की हालत बिगड़ने लगी। 

दरअसल हज यात्री रातभर जाकते हैं और फिर सुबह की नमाज के बाद जल्दी ही वे निकल पड़ते हैं। लोगों को पांच से 10 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। रास्ते में कोई शेल्टर भी नहीं है जिसकी वजह से लोगों को परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा बहुत सारे बुजुर्ग करते हैं। जब मैं शैतान के पत्थऱ मारने के बाद वापस आ रहा था तो देखा कि 18 से 20 लाशें सड़क पर ही पड़ी हैं। इस लंबे रास्ते पर 20 लाख लोगों के लिए पर्याप्त इंतजाम कर पाना बेहद मुश्किल काम है। 

मुंबई के ही रहने वाले 65 साल के अबरार तौकीर हुसैन सैयद ने कहा कि हज कमेटी की तरफ से इस बार भी अडवाइजरी जारी की गई थी। हालांकि सऊदी  अरब ने इसका ऐलान बहुत देरी से किया जिससे कि समय से सबको संदेश नहीं मिल पाया। पांच से 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान अकसर हंगामा देखने को मिलता है। वहां कोई वॉलंटियर भी नजर नहीं आता था। केवल पुलिसकर्मी ही भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे। अगर रास्ते में ठीक से इंतजाम कर दिए जाएं तो बहुत सारे लोगों की जान बचाई जा सकती है। 

हज कमेटी से जुड़े एक सदस्य ने कहा कि यात्रियों को भीषण गर्मी के लिए पहले ही तैयार किया गया था। लोगों का ओरिंएंटेशन प्रोग्राम करवाया गया था। यह पुरानी परंपरा है। हालांकि बहुत सारे लोग अशिक्षित और बेहद बुजुर्ग होते हैं। वे ओरिएंटेशन कार्यक्रम मेंबताई गई चीजों का पालन नहीं कर पाते हैं। सऊदी अरब की सरकार के मुताबिक इस बार हज यात्रा में 18 लाख लोग शामिल हुए थे।


मुंबई.  सऊदी अरब में इस बार हज यात्रा के दौरान करीब 900 लोगों की मौत हो गई जिनमें से 98 भारतीय भी हैं। इस बार हज यात्रा के दौरान सऊदी अरब में भीषण गर्मी पड़ रही थी। मक्का शहर गर्मी की वजह से भट्ठी बन गया था। यहां अधिकतम तापमान 51.8 डिग्री तक पहुंच गया। पिछळे साल की बात करें तो हज यात्रा के दौरान 200 लोगों की मौत हुई थी और 2000 की तबीतय बिगड़ी थी। बीते साल अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक ही दर्ज किया गया था। वहीं इस बार हज यात्रा के दौरान पारा 51 डिग्री से ऊपर पहुंच गया। 

बीते महीने सऊदी अरब में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया कि हर दशक में तापमान में 0.4 डिग्री की वृद्धि हो रही है। मुंबई में मीरा रोड के रहने वाले आसिफ अली ने बताया कि इस साल पड़ने वाली गर्मी कोई सामान्य नहीं थी। हज कमेटी की तरफ से उनकी सीट के ऐलान के बाद ही उन्होंने खुद को इस यात्रा के लिए तैयार करना शुरू  कर दिया था। उन्होंने कहा, यह मेरी पहली हज यात्रा थी। मैंने खूब इसके बारे में जानकारी हासिल कर ली थी। 

उन्होंने आगे बताया, होटल से नमाज के लिए निकलते वक्त मैं गीला कपड़ा अपने सिर पर रख लेता था। वहीं पास में एक बोतल रखता था और लगातार पानी पीता रहता था। गर्मी के बारे में कुछ भी बता पाना मुश्किल है बस इसे अनुभव किया जा सकता था। 35 साल के ओवैस रिजवी ने बताया कि काबा के पास काफी इंतजाम किया गया था। हालांकि यात्री जब मीना से लोग पत्थऱ मारने की रस्म के लिए निकले तो बहुत सारे लोगों की हालत बिगड़ने लगी। 

दरअसल हज यात्री रातभर जाकते हैं और फिर सुबह की नमाज के बाद जल्दी ही वे निकल पड़ते हैं। लोगों को पांच से 10 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। रास्ते में कोई शेल्टर भी नहीं है जिसकी वजह से लोगों को परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा बहुत सारे बुजुर्ग करते हैं। जब मैं शैतान के पत्थऱ मारने के बाद वापस आ रहा था तो देखा कि 18 से 20 लाशें सड़क पर ही पड़ी हैं। इस लंबे रास्ते पर 20 लाख लोगों के लिए पर्याप्त इंतजाम कर पाना बेहद मुश्किल काम है। 

मुंबई के ही रहने वाले 65 साल के अबरार तौकीर हुसैन सैयद ने कहा कि हज कमेटी की तरफ से इस बार भी अडवाइजरी जारी की गई थी। हालांकि सऊदी  अरब ने इसका ऐलान बहुत देरी से किया जिससे कि समय से सबको संदेश नहीं मिल पाया। पांच से 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान अकसर हंगामा देखने को मिलता है। वहां कोई वॉलंटियर भी नजर नहीं आता था। केवल पुलिसकर्मी ही भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे। अगर रास्ते में ठीक से इंतजाम कर दिए जाएं तो बहुत सारे लोगों की जान बचाई जा सकती है। 

हज कमेटी से जुड़े एक सदस्य ने कहा कि यात्रियों को भीषण गर्मी के लिए पहले ही तैयार किया गया था। लोगों का ओरिंएंटेशन प्रोग्राम करवाया गया था। यह पुरानी परंपरा है। हालांकि बहुत सारे लोग अशिक्षित और बेहद बुजुर्ग होते हैं। वे ओरिएंटेशन कार्यक्रम मेंबताई गई चीजों का पालन नहीं कर पाते हैं। सऊदी अरब की सरकार के मुताबिक इस बार हज यात्रा में 18 लाख लोग शामिल हुए थे।


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