रायपुर । प्रवर्तिनी साध्वी शशिप्रभा का खड़कपुर में गुरुवार को प्रातः 11 बजे अंतिम संस्कार हुआ। सम्पूर्ण भारत से हजारों श्रद्धालुओं ने खड़कपुर पहुंचकर अश्रुपूरित विदाई दी। सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी में देववन्दन की क्रिया कर भावांजलि अर्पित की गई व 12 नवकार का जाप किया गया।
साध्वीजी का गुणानुवाद करते हुए सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के महासचिव महेन्द्र कोचर ने कहा कि शशिप्रभा श्रीजी ने साध्वी जीवन के 67 वर्षों में जैन धर्म की प्रभावना के कार्य उदारता पूर्वक किया। उन्होंने एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा कर सकल जैन समाज को एक सूत्र में पिरोने का अहम कार्य किया है। 13 वर्ष की बाल्यवस्था में दीक्षा ग्रहण कर 67 वर्षों तक अनेक मुमुक्षु बहनों को संयम जीवन प्रदान किया। प्रवर्तिनी शशिप्रभा श्रीजी ने 2000 में रायपुर जैन दादाबाड़ी में चातुर्मास किया एवं विगत 25 वर्षों से छत्तीसगढ़ से जीवंत संपर्क बनाए रखा। समाज के युवाओं को धर्म से जोड़े रखने में विशेष ध्यान दिया।
ट्रस्टी नीलेश गोलछा ने चैत्यवन्दन की विधि सम्पन्न की। नीलेश गोलछा ने कहा कि शशिप्रभा श्रीजी ने अपनी शिष्या सम्यकदर्शना के 2 चातुर्मास रायपुर को प्रदान किये जिन्होंने युवाओं के जीवन को नई दिशा प्रदान की है। देव वन्दन व गुणानुवाद सभा मे विशेष रूप से महेन्द्र कोचर, नीलेश गोलछा, डॉ योगेश बंगानी, मोतीलाल कोचर, कमलेश लुंकड़, अशोक कोचर, कपूर भंसाली, राजेन्द्र रांका, मंजू कोठारी, ज्योति कोचर, सूरज झाबक, सुशीला गोलछा, 9 उपवास की तपस्वी पलक बरड़िया , ममता बरड़िया उपस्थित थे। सकल जैन समाज ने साध्वी शशिप्रभा के देवलोक गमन को जैन समाज की अपूरणीय क्षति बताया है।
रायपुर । प्रवर्तिनी साध्वी शशिप्रभा का खड़कपुर में गुरुवार को प्रातः 11 बजे अंतिम संस्कार हुआ। सम्पूर्ण भारत से हजारों श्रद्धालुओं ने खड़कपुर पहुंचकर अश्रुपूरित विदाई दी। सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी में देववन्दन की क्रिया कर भावांजलि अर्पित की गई व 12 नवकार का जाप किया गया।
साध्वीजी का गुणानुवाद करते हुए सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के महासचिव महेन्द्र कोचर ने कहा कि शशिप्रभा श्रीजी ने साध्वी जीवन के 67 वर्षों में जैन धर्म की प्रभावना के कार्य उदारता पूर्वक किया। उन्होंने एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा कर सकल जैन समाज को एक सूत्र में पिरोने का अहम कार्य किया है। 13 वर्ष की बाल्यवस्था में दीक्षा ग्रहण कर 67 वर्षों तक अनेक मुमुक्षु बहनों को संयम जीवन प्रदान किया। प्रवर्तिनी शशिप्रभा श्रीजी ने 2000 में रायपुर जैन दादाबाड़ी में चातुर्मास किया एवं विगत 25 वर्षों से छत्तीसगढ़ से जीवंत संपर्क बनाए रखा। समाज के युवाओं को धर्म से जोड़े रखने में विशेष ध्यान दिया।
ट्रस्टी नीलेश गोलछा ने चैत्यवन्दन की विधि सम्पन्न की। नीलेश गोलछा ने कहा कि शशिप्रभा श्रीजी ने अपनी शिष्या सम्यकदर्शना के 2 चातुर्मास रायपुर को प्रदान किये जिन्होंने युवाओं के जीवन को नई दिशा प्रदान की है। देव वन्दन व गुणानुवाद सभा मे विशेष रूप से महेन्द्र कोचर, नीलेश गोलछा, डॉ योगेश बंगानी, मोतीलाल कोचर, कमलेश लुंकड़, अशोक कोचर, कपूर भंसाली, राजेन्द्र रांका, मंजू कोठारी, ज्योति कोचर, सूरज झाबक, सुशीला गोलछा, 9 उपवास की तपस्वी पलक बरड़िया , ममता बरड़िया उपस्थित थे। सकल जैन समाज ने साध्वी शशिप्रभा के देवलोक गमन को जैन समाज की अपूरणीय क्षति बताया है।