बहुचर्चित जमीन विवाद मामले में कांग्रेस नेता मेमन को हाईकोर्ट से राहत...:

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रायपुर । राजधानी के मोवा क्षेत्र की एक जमीन को लेकर चर्चित मामले में नया मोड़ आया है। इस मामले में पूर्व युवा कांग्रेस (युकां) अध्यक्ष आसिफ मेमन को हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा जारी किए गए जमीन की रजिस्ट्री को शून्य करने के आदेश को रद्द कर दिया है। अब इस मामले में आसिफ मेमन के पक्ष में रजिस्ट्री फिर से दर्ज की जाएगी।

हाईकोर्ट का निर्णय

हाईकोर्ट ने आसिफ मेमन के पक्ष में आदेश पारित करते हुए कहा कि निचली अदालत ने बिना समुचित समीक्षा के रजिस्ट्री को शून्य कर दिया था। अदालत ने कहा कि आसिफ मेमन जमीन की कीमत चुकाने को तैयार थे, लेकिन फिर भी रजिस्ट्री शून्य कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने इस आदेश को निरस्त करते हुए रजिस्ट्री को पुनः आसिफ मेमन के नाम पर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, आसिफ को 6 सप्ताह के भीतर नूर बेगम को सौदे की राशि 6 फीसदी ब्याज सहित चुकाने का आदेश दिया गया है।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह जमीन विवाद पिछले पांच सालों से चर्चा में है। इस मामले में आसिफ मेमन की शिकायत पर पहले नूर बेगम और दादून शाह के खिलाफ धारा 420, 384, 34 के तहत मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद नूर बेगम की याचिका पर स्थानीय न्यायालय ने आसिफ मेमन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया, जिसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। अब हाईकोर्ट से आसिफ मेमन के पक्ष में निर्णय आने के बाद उनकी जमानत हो गई है।

वकील का बयान

एडवोकेट आदित्य वर्मा ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने नूर बेगम की याचिका पर वर्ष 2018 में आसिफ मेमन के पक्ष में की गई रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर दिया था। इसके खिलाफ आसिफ ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने उनकी अपील को स्वीकार करते हुए उक्त शून्य रजिस्ट्री को पुनः स्थापित करने का आदेश पारित किया है।

इस आदेश के बाद आसिफ मेमन को न केवल राहत मिली है, बल्कि पिछले पांच सालों से चले आ रहे विवाद में भी एक नया मोड़ आया है। अब देखना होगा कि नूर बेगम इस निर्णय के खिलाफ कोई कदम उठाती हैं या नहीं।


रायपुर । राजधानी के मोवा क्षेत्र की एक जमीन को लेकर चर्चित मामले में नया मोड़ आया है। इस मामले में पूर्व युवा कांग्रेस (युकां) अध्यक्ष आसिफ मेमन को हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा जारी किए गए जमीन की रजिस्ट्री को शून्य करने के आदेश को रद्द कर दिया है। अब इस मामले में आसिफ मेमन के पक्ष में रजिस्ट्री फिर से दर्ज की जाएगी।

हाईकोर्ट का निर्णय

हाईकोर्ट ने आसिफ मेमन के पक्ष में आदेश पारित करते हुए कहा कि निचली अदालत ने बिना समुचित समीक्षा के रजिस्ट्री को शून्य कर दिया था। अदालत ने कहा कि आसिफ मेमन जमीन की कीमत चुकाने को तैयार थे, लेकिन फिर भी रजिस्ट्री शून्य कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने इस आदेश को निरस्त करते हुए रजिस्ट्री को पुनः आसिफ मेमन के नाम पर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, आसिफ को 6 सप्ताह के भीतर नूर बेगम को सौदे की राशि 6 फीसदी ब्याज सहित चुकाने का आदेश दिया गया है।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह जमीन विवाद पिछले पांच सालों से चर्चा में है। इस मामले में आसिफ मेमन की शिकायत पर पहले नूर बेगम और दादून शाह के खिलाफ धारा 420, 384, 34 के तहत मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद नूर बेगम की याचिका पर स्थानीय न्यायालय ने आसिफ मेमन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया, जिसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। अब हाईकोर्ट से आसिफ मेमन के पक्ष में निर्णय आने के बाद उनकी जमानत हो गई है।

वकील का बयान

एडवोकेट आदित्य वर्मा ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने नूर बेगम की याचिका पर वर्ष 2018 में आसिफ मेमन के पक्ष में की गई रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर दिया था। इसके खिलाफ आसिफ ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने उनकी अपील को स्वीकार करते हुए उक्त शून्य रजिस्ट्री को पुनः स्थापित करने का आदेश पारित किया है।

इस आदेश के बाद आसिफ मेमन को न केवल राहत मिली है, बल्कि पिछले पांच सालों से चले आ रहे विवाद में भी एक नया मोड़ आया है। अब देखना होगा कि नूर बेगम इस निर्णय के खिलाफ कोई कदम उठाती हैं या नहीं।


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