भोपाल । शपथ के दौरान गफलत के बाद रामनिवास रावत मंत्री तो बन गए लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी? मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इसके बाद रावत को उद्योग या खनिज विभाग दे सकते हैं।
मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार का सोमवार को संक्षिप्त विस्तार हुआ। नए मंत्री के तौर पर श्योपुर जिले के विजयपुर से पूर्व विधायक रामनिवास रावत ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान गफलत की वजह से राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने उन्हें 15 मिनट में दो बार शपथ दिलाई। पहली बार में उन्होंने राज्य के मंत्री की जगह राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली थी। इस वजह से उन्हें दोबारा शपथ दिलाई गई। रावत के मंत्री बनने के बाद मध्य प्रदेश की मोहन सरकार में मंत्रियों की संख्या बढक़र अब 31 हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
मौजूदा मंंत्रियों के विभाग नहीं बदलेंगे
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि डॉ. मोहन यादव सरकार में उन्हें मिलाकर अब 32 मंत्री हो गए हैं। मौजूदा मंत्रियों के विभाग नहीं बदले जाएंगे। मुख्यमंत्री अपने पास के किसी विभाग की जिम्मेदारी रावत को सौंप सकते हैं। इस समय डॉ. यादव के पास सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी), गृह, जनसंपर्क, जेल, खनिज साधन, विमानन, औद्योगिक नीतियां और निवेश संवर्धन, नर्मदा घाटी विकास, लोक सेवा प्रबंधन, नर्मदा घाटी विकास, प्रवासी भारतीय समेत अन्य विभाग हैं। इनमें से खनिज साधन और औद्योगिक नीतियां और निवेश संवर्धन विभाग में से किसी एक विभाग की जिम्मेदारी रावत को सौंपी जा सकती है।
रावत ने संभाले हैं यह विभाग
छह बार के विधायक रामनिवास रावत 1993 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उनके पास उस समय श्रम, पंचायत, नगरीय प्रशासन और राजस्व जैसे अहम विभाग रहे हैं। इस समय रावत पूर्व विधायक हैं। छह माह के भीतर उन्हें फिर से चुनाव जीतना होगा। इसे देखते हुए मोहन सरकार में उन्हें किसी महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दिया जाना मुश्किल ही है।
कमलेश जीते तो बन सकते हैं मंत्री
मौजूदा नियमों के तहत विधानसभा के सदस्यों के 15 प्रतिशत के बराबर यानी 35 मंत्री बन सकते हैं। इस समय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या 32 ही है। तीन पद रिक्त है। अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में यदि कांग्रेस से भाजपा में आए कमलेश शाह जीत हासिल करते हैं तो उन्हें भी मंत्री बनाया जा सकता है। छह माह के भीतर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की छोड़ी हुई बुधनी (सीहोर जिला) और रावत की खाली की विजयपुर (श्योपुर जिला) सीटों पर उपचुनाव कराना है। बीना (सागर जिला) से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने भी भाजपा की सदस्यता तो ले ली है लेकिन उन्होंने अब तक विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है। इस वजह से उस सीट पर असमंजस बना हुआ है।
भोपाल । शपथ के दौरान गफलत के बाद रामनिवास रावत मंत्री तो बन गए लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी? मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इसके बाद रावत को उद्योग या खनिज विभाग दे सकते हैं।
मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार का सोमवार को संक्षिप्त विस्तार हुआ। नए मंत्री के तौर पर श्योपुर जिले के विजयपुर से पूर्व विधायक रामनिवास रावत ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान गफलत की वजह से राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने उन्हें 15 मिनट में दो बार शपथ दिलाई। पहली बार में उन्होंने राज्य के मंत्री की जगह राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली थी। इस वजह से उन्हें दोबारा शपथ दिलाई गई। रावत के मंत्री बनने के बाद मध्य प्रदेश की मोहन सरकार में मंत्रियों की संख्या बढक़र अब 31 हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
मौजूदा मंंत्रियों के विभाग नहीं बदलेंगे
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि डॉ. मोहन यादव सरकार में उन्हें मिलाकर अब 32 मंत्री हो गए हैं। मौजूदा मंत्रियों के विभाग नहीं बदले जाएंगे। मुख्यमंत्री अपने पास के किसी विभाग की जिम्मेदारी रावत को सौंप सकते हैं। इस समय डॉ. यादव के पास सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी), गृह, जनसंपर्क, जेल, खनिज साधन, विमानन, औद्योगिक नीतियां और निवेश संवर्धन, नर्मदा घाटी विकास, लोक सेवा प्रबंधन, नर्मदा घाटी विकास, प्रवासी भारतीय समेत अन्य विभाग हैं। इनमें से खनिज साधन और औद्योगिक नीतियां और निवेश संवर्धन विभाग में से किसी एक विभाग की जिम्मेदारी रावत को सौंपी जा सकती है।
रावत ने संभाले हैं यह विभाग
छह बार के विधायक रामनिवास रावत 1993 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उनके पास उस समय श्रम, पंचायत, नगरीय प्रशासन और राजस्व जैसे अहम विभाग रहे हैं। इस समय रावत पूर्व विधायक हैं। छह माह के भीतर उन्हें फिर से चुनाव जीतना होगा। इसे देखते हुए मोहन सरकार में उन्हें किसी महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दिया जाना मुश्किल ही है।
कमलेश जीते तो बन सकते हैं मंत्री
मौजूदा नियमों के तहत विधानसभा के सदस्यों के 15 प्रतिशत के बराबर यानी 35 मंत्री बन सकते हैं। इस समय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या 32 ही है। तीन पद रिक्त है। अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में यदि कांग्रेस से भाजपा में आए कमलेश शाह जीत हासिल करते हैं तो उन्हें भी मंत्री बनाया जा सकता है। छह माह के भीतर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की छोड़ी हुई बुधनी (सीहोर जिला) और रावत की खाली की विजयपुर (श्योपुर जिला) सीटों पर उपचुनाव कराना है। बीना (सागर जिला) से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने भी भाजपा की सदस्यता तो ले ली है लेकिन उन्होंने अब तक विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है। इस वजह से उस सीट पर असमंजस बना हुआ है।