भागलपुर : हरियाली तीज इस बार 7 अगस्त को मनाई जाएगी. यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है. सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है. ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ मिश्रा के अनुसार, हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं पीपल पेड़ का डंठल तोड़कर छत पर पूजा करती हैं, जिससे उन्हें अत्यधिक फल मिलता है. श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
हरियाली तीज बिहार, झारखंड और अन्य कई राज्यों में मनाया जाता है. यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महिलाओं को अपने परिवार और जीवन साथी के लिए विशेष रूप से प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करता है.
पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि हरियाली तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था. उन्होंने रेत यानी बालू की शिवलिंग बनाकर तपस्या की थी. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान शिव माता पार्वती से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना को पूरा करने का वचन दिया. शिव जी ने कहा कि जो महिलाएं श्रावणी तीज पर विधि विधान से व्रत करेंगी, पूजा करेंगी और तुम्हारी कथा का पाठ सुनेंगी, उनके वैवाहिक जीवन के सारे संकट दूर होंगे और उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
इस वर्ष हरियाली तीज 7 अगस्त को मनाई जाएगी. तृतीया तिथि का प्रारंभ 6 अगस्त, मंगलवार को रात 7:52 बजे होगा और इसका समापन 7 अगस्त को रात 10:05 बजे होगा. तीज के दिन सुहागन महिलाओं को सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने मायके से आए कपड़े और श्रृंगार के सामान का उपयोग करना चाहिए. इस प्रकार से विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.
भागलपुर : हरियाली तीज इस बार 7 अगस्त को मनाई जाएगी. यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है. सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है. ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ मिश्रा के अनुसार, हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं पीपल पेड़ का डंठल तोड़कर छत पर पूजा करती हैं, जिससे उन्हें अत्यधिक फल मिलता है. श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
हरियाली तीज बिहार, झारखंड और अन्य कई राज्यों में मनाया जाता है. यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महिलाओं को अपने परिवार और जीवन साथी के लिए विशेष रूप से प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करता है.
पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि हरियाली तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था. उन्होंने रेत यानी बालू की शिवलिंग बनाकर तपस्या की थी. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान शिव माता पार्वती से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना को पूरा करने का वचन दिया. शिव जी ने कहा कि जो महिलाएं श्रावणी तीज पर विधि विधान से व्रत करेंगी, पूजा करेंगी और तुम्हारी कथा का पाठ सुनेंगी, उनके वैवाहिक जीवन के सारे संकट दूर होंगे और उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
इस वर्ष हरियाली तीज 7 अगस्त को मनाई जाएगी. तृतीया तिथि का प्रारंभ 6 अगस्त, मंगलवार को रात 7:52 बजे होगा और इसका समापन 7 अगस्त को रात 10:05 बजे होगा. तीज के दिन सुहागन महिलाओं को सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने मायके से आए कपड़े और श्रृंगार के सामान का उपयोग करना चाहिए. इस प्रकार से विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.