भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सत्ता संभालते ही अफसरों को ताकीद कर दिया था कि मंत्रियों-विधायकों को पूरा सम्मान देना होगा और जनता का हर काम करना होगा। बावजुद उसके जिलों में पदस्थ कई कलेक्टर-एसपी सहित अन्य मैदानी अफसरों ने नाफरमानी की। इससे मंत्री और विधायकों ने उनके खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। माननीयों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने मंडला कलेक्टर सहित 18 अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उन्हें साइड लाइन कर दिया है।
गौरतलब है कि सरकार अफसरों की कार्यप्रणाली पर लगातार नजर बनाए हुए है। फील्ड में पदस्थ अफसरों की लगातार मॉनीटरिंग हो रही है। सरकार मंत्रियों और विधायकों के सम्मान का कितना ध्यान रख रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीएम डॉ. मोहन यादव को रविवार सुबह मंडला जाना था, उसके चंद घंटे पहले शनिवार-रविवार की रात मंडला कलेक्टर सलोनी सिडाना को हटा दिया गया। आरोप है कि सिडाना मंत्री और विधायकों की नहीं सुनती थीं। चूंकि सीएम को रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम में शामिल होना था इसलिए उन्होंने सिडाना को हटाकर 2013 बैच के आइएएस सोमेश मिश्रा को कलेक्टर बना दिया। उधर, विदिशा कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य बीजा मंडल विवाद के बाद से घिरे थे। शहडोल कलेक्टर तरुण भटनागर पर माफिया से सांठगांठ व समन्वय में कमी के आरोप बढ़ रहे थे तो नीमच कलेक्टर दिनेश जैन भी कुछ इसी तरह के आरोपों से घिरे थे। जिन्हें हटा दिया गया।
सरकार ने जिन 47 आईएएस और आईपीएस अफसरों को बदला है, उनमें से 18 के खिलाफ कुछ न कुछ शिकायतें थीं, जबकि ज्यादातर लूपलाइन में थे। उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है तो बालाघाट कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा जैसे कुछ अफसरों को एक ही स्थान पर तीन साल से ज्यादा हो गए थे। इस कारण उन्हें हटाया गया। पीएस (श्रम) सचिन सिन्हा से श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल असंतुष्ट बताए जा रहे थे, इसलिए उन्हें हटाया। चंबल संभागायुक्त झा पर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के आरोप थे। प्रमोटी आइएएस केदार सिंह, अजय गुप्ता, सोमेश मिश्रा जैसे अफसर लंबे समय से लूपलाइन में थे जिन्हें मौका दिया गया। गुना बस हादसे के बाद से आइएएस तरुण राठी लूपलाइन में डाले गए थे, उन्हें अवसर मिला। मोहन सरकार के आते ही पंचायत से हटाकर लूप लाइन में भेजे गए आइएएस अफसर उमाकांत उमराव को श्रम विभाग का जिम्मा देकर अवसर दिया। अंशुल गुप्ता उज्जैन निगमायुक्त रहते सीएम की नजर में आए, इसलिए जनसंपर्क का जिम्मा मिला। तन्वी सुंदियाल पर उपेक्षा करने के आरोप लग रहे थे, उन्हें ग्रामीण सडक़ में लंबा समय हो गया था। डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा को लूपलाइन में भेजा गया, वह पूर्व की सरकार में चर्चा में रहे थे। उज्जैन जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीना समेत 2015 बैच के पांच आइएएस को जिलों में कलेक्टर बनाकर अवसर दिए हैं। शहडोल जोन एडीजीपी डीसी सागर के खिलाफ जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करने व अपराध रोकने में अनदेखी करने जैसी शिकायतें थीं। श्योपुर की विजयपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। एसपी अभिषेक आनंद की जगह एसपी मऊगंज वीरेंद्र जैन मंत्री रावत की नजर में ज्यादा फिट बताए जा रहे थे इसलिए उन्हें पदस्थ किया। मुरैना पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान, मंदसौर पुलिस अधीक्षक अनुराग सुजानिया को लेकर ठीक फीडबैक नहीं था, इसलिए लूपलाइन में भेजने की चर्चा। विदिशा से हटाए गए 2014 बैच के कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य को लेकर काफी चर्चा है। उन्हें मार्च 2024 में ही कलेक्टरी की कमान दी गई थी। यह पोस्टिंग पूर्व सीएम शिवराज सिंह का विश्वसनीय होने के कारण मिली थी। उनके प्रशासनिक नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव हुआ था। इस बीच शनिवार को समीकरण बदले और उन्हें गृह विभाग में उप सचिव बना दिया गया। बताया जाता है कि धार्मिक स्थल बीजा मंडल को पुरातात्विक विभाग के। के हवाले से मस्जिद बताने वाला पत्र बुद्धेश को हटाने की वजह हो सकता है। जिसका हिन्दू संगठनों ने विरोध किया था। अब 2015 बैच के रौशन सिंह को कलेक्टर बनाया गया है। वे उज्जैन निगमायुक्त रहे हैं। बीते कुछ महीनों से जनसंपर्क विभाग के संचालक थे। सागर हादसे के बाद हटाए गए कलेक्टर दीपक आर्य को सात दिन में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें मप्र ग्रामीण सडक़ विकास प्राधि. का सीईओ बनाया गया है।
मोहन सरकार की उक्त प्रशासनिक सर्जरी आखिरी नहीं है। अभी वल्लभ भवन से लेकर जिलों में जमावट बाकी है। कई अफसरों को हटाया जा सकता कई अफसरों को लूपलाइन से निकालकर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसमें तत्कालीन सरकार में उपेक्षितों को अच्छे पद मिल सकते हैं तो पहले से मलाईदार जैसे पदों पर बैठे अफसरों को लूपलाइन में भेजा जा सकता है। हालांकि सामने राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त है इसलिए बदलाव धीरे से किए जा सकते हैं। उधर, इस प्रशासनिक सर्जरी को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया पर तबादलों को लेकर लिखा कि अब क्या कानून/व्यवस्था की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर होगी, जनता की परेशानियां कम होंगी। पटलवार करते हुए प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पटवारी पर तंज कसते हुए लिखा कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार में जिन्होंने तबादला उद्योग ही चलाया हो, उन्हें प्रशासनिक सुधार और प्रक्रिया की क्या समझ आएगी। पहले आपकी सरकार में सुबह आदेश निकलता था और वल्लभ भवन के भ्रष्टाचारी कांग्रेसी दलालों के माध्यम से शाम को आदेश बदल जाता था।
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सत्ता संभालते ही अफसरों को ताकीद कर दिया था कि मंत्रियों-विधायकों को पूरा सम्मान देना होगा और जनता का हर काम करना होगा। बावजुद उसके जिलों में पदस्थ कई कलेक्टर-एसपी सहित अन्य मैदानी अफसरों ने नाफरमानी की। इससे मंत्री और विधायकों ने उनके खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। माननीयों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने मंडला कलेक्टर सहित 18 अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उन्हें साइड लाइन कर दिया है।
गौरतलब है कि सरकार अफसरों की कार्यप्रणाली पर लगातार नजर बनाए हुए है। फील्ड में पदस्थ अफसरों की लगातार मॉनीटरिंग हो रही है। सरकार मंत्रियों और विधायकों के सम्मान का कितना ध्यान रख रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीएम डॉ. मोहन यादव को रविवार सुबह मंडला जाना था, उसके चंद घंटे पहले शनिवार-रविवार की रात मंडला कलेक्टर सलोनी सिडाना को हटा दिया गया। आरोप है कि सिडाना मंत्री और विधायकों की नहीं सुनती थीं। चूंकि सीएम को रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम में शामिल होना था इसलिए उन्होंने सिडाना को हटाकर 2013 बैच के आइएएस सोमेश मिश्रा को कलेक्टर बना दिया। उधर, विदिशा कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य बीजा मंडल विवाद के बाद से घिरे थे। शहडोल कलेक्टर तरुण भटनागर पर माफिया से सांठगांठ व समन्वय में कमी के आरोप बढ़ रहे थे तो नीमच कलेक्टर दिनेश जैन भी कुछ इसी तरह के आरोपों से घिरे थे। जिन्हें हटा दिया गया।
सरकार ने जिन 47 आईएएस और आईपीएस अफसरों को बदला है, उनमें से 18 के खिलाफ कुछ न कुछ शिकायतें थीं, जबकि ज्यादातर लूपलाइन में थे। उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है तो बालाघाट कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा जैसे कुछ अफसरों को एक ही स्थान पर तीन साल से ज्यादा हो गए थे। इस कारण उन्हें हटाया गया। पीएस (श्रम) सचिन सिन्हा से श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल असंतुष्ट बताए जा रहे थे, इसलिए उन्हें हटाया। चंबल संभागायुक्त झा पर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के आरोप थे। प्रमोटी आइएएस केदार सिंह, अजय गुप्ता, सोमेश मिश्रा जैसे अफसर लंबे समय से लूपलाइन में थे जिन्हें मौका दिया गया। गुना बस हादसे के बाद से आइएएस तरुण राठी लूपलाइन में डाले गए थे, उन्हें अवसर मिला। मोहन सरकार के आते ही पंचायत से हटाकर लूप लाइन में भेजे गए आइएएस अफसर उमाकांत उमराव को श्रम विभाग का जिम्मा देकर अवसर दिया। अंशुल गुप्ता उज्जैन निगमायुक्त रहते सीएम की नजर में आए, इसलिए जनसंपर्क का जिम्मा मिला। तन्वी सुंदियाल पर उपेक्षा करने के आरोप लग रहे थे, उन्हें ग्रामीण सडक़ में लंबा समय हो गया था। डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा को लूपलाइन में भेजा गया, वह पूर्व की सरकार में चर्चा में रहे थे। उज्जैन जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीना समेत 2015 बैच के पांच आइएएस को जिलों में कलेक्टर बनाकर अवसर दिए हैं। शहडोल जोन एडीजीपी डीसी सागर के खिलाफ जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करने व अपराध रोकने में अनदेखी करने जैसी शिकायतें थीं। श्योपुर की विजयपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। एसपी अभिषेक आनंद की जगह एसपी मऊगंज वीरेंद्र जैन मंत्री रावत की नजर में ज्यादा फिट बताए जा रहे थे इसलिए उन्हें पदस्थ किया। मुरैना पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान, मंदसौर पुलिस अधीक्षक अनुराग सुजानिया को लेकर ठीक फीडबैक नहीं था, इसलिए लूपलाइन में भेजने की चर्चा। विदिशा से हटाए गए 2014 बैच के कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य को लेकर काफी चर्चा है। उन्हें मार्च 2024 में ही कलेक्टरी की कमान दी गई थी। यह पोस्टिंग पूर्व सीएम शिवराज सिंह का विश्वसनीय होने के कारण मिली थी। उनके प्रशासनिक नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव हुआ था। इस बीच शनिवार को समीकरण बदले और उन्हें गृह विभाग में उप सचिव बना दिया गया। बताया जाता है कि धार्मिक स्थल बीजा मंडल को पुरातात्विक विभाग के। के हवाले से मस्जिद बताने वाला पत्र बुद्धेश को हटाने की वजह हो सकता है। जिसका हिन्दू संगठनों ने विरोध किया था। अब 2015 बैच के रौशन सिंह को कलेक्टर बनाया गया है। वे उज्जैन निगमायुक्त रहे हैं। बीते कुछ महीनों से जनसंपर्क विभाग के संचालक थे। सागर हादसे के बाद हटाए गए कलेक्टर दीपक आर्य को सात दिन में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें मप्र ग्रामीण सडक़ विकास प्राधि. का सीईओ बनाया गया है।
मोहन सरकार की उक्त प्रशासनिक सर्जरी आखिरी नहीं है। अभी वल्लभ भवन से लेकर जिलों में जमावट बाकी है। कई अफसरों को हटाया जा सकता कई अफसरों को लूपलाइन से निकालकर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसमें तत्कालीन सरकार में उपेक्षितों को अच्छे पद मिल सकते हैं तो पहले से मलाईदार जैसे पदों पर बैठे अफसरों को लूपलाइन में भेजा जा सकता है। हालांकि सामने राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त है इसलिए बदलाव धीरे से किए जा सकते हैं। उधर, इस प्रशासनिक सर्जरी को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया पर तबादलों को लेकर लिखा कि अब क्या कानून/व्यवस्था की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर होगी, जनता की परेशानियां कम होंगी। पटलवार करते हुए प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पटवारी पर तंज कसते हुए लिखा कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार में जिन्होंने तबादला उद्योग ही चलाया हो, उन्हें प्रशासनिक सुधार और प्रक्रिया की क्या समझ आएगी। पहले आपकी सरकार में सुबह आदेश निकलता था और वल्लभ भवन के भ्रष्टाचारी कांग्रेसी दलालों के माध्यम से शाम को आदेश बदल जाता था।