भोपाल । सूचना का अधिकार अधिनियम प्रदेश में बेमानी साबित हो रहा है। इसकी वजह है सूचना आयोग में आयुक्तों के पद पूरी तरह से खाली होना। इस मामले में सरकार भी लापरवाह बनी हुई है। हालत यह है कि बीते पांच माह से आयुक्तों के अलावा मुख्य सूचना आयुक्त के कमरों में ताले लटके हुए हैं। इसकी वजह से अपीलों पर भी सुनवाई नहीं हो पा रही है।
जिसकी वजह से अब तक सूचना आयोग में 15 हजार से अधिक अपीलें लंबित हो चुकी हैं। प्रदेश के राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के सभी पद मार्च 2024 से रिक्त पड़े हुए हैं। इन्हें भरने के लिए आवेदन भी बुलाए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक चयन समिति तक का गठन तक नहीं हो पाया है। इस समिति में मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक मंत्री सरकार द्वारा नामांकित होता है। प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त नियुक्त किए जा सकते हैं। अभी तक मुख्य सूचना आयुक्त के साथ अधिकतम 7 सूचना आयुक्त रहे हैं। मुख्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला और सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कार्यकाल मार्च 2024 में समाप्त हो गया। इस बीच सामान्य प्रशासन विभाग ने सूचना आयुक्त के लिए आवेदन मंगवाए थे। 185 सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, राज्य प्रशासनिक सेवा, अधिवक्ता सहित अन्य लोगों ने आवेदन किए। इस बीच मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी रिक्त हो गया, इसलिए इसके लिए अलग से आवेदन बुला लिए गए, लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया ही प्रारंभ नहीं हुई। अभी तक चयन समिति ही नहीं बनी है।
कभी नहीं भरे गए 7 से ज्यादा पद
मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का गठन 2005 में हुआ था। आयोग से गठन से लेकर आज तक सात से अधिक पद कभी भी नहीं भरे गए। आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए शिवराज सरकार ने 9 अक्टूबर 2023 को बैठक बुलाई थी। तात्कालीन नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने समय पर बैठक की सूचना नहीं देने और सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए बैठक पर आपत्ति दर्ज कराई थी। बैठक में आने से इंकार करने के साथ बैठक निरस्त नहीं होने पर गोविंद सिंह ने न्यायालय की शरण में जाने की बात कही थी। नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति के बाद बैठक निरस्त कर दी गई थी और इसी दिन विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया था।
आयोग के अधिकारियों का कहना है कि प्रतिमाह 500 से अधिक अपील आती हैं। आयोग में द्वितीय अपील पर सुनवाई कर निर्णय होता है। वहीं, शिकायतों पर सीधे कार्रवाई की जाती है। सुनवाई बंद है, बढ़ रहे लंबित मामले वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के सभी पद रिक्त हैं। इसके कारण सुनवाई बंद है, जिससे लंबित अपील और शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आयोग में नियुक्ति जल्द होंगी। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। बता दें कि नियुक्ति नहीं होने से आयोग में लगातार लंबित अपील और शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है। जुलाई 2024 तक 15 हजार अपील और एक हजार 125 शिकायतें निर्णय के लिए लंबित हैं। जबकि, प्रावधान है कि 180 दिन में अपील का निराकरण हो जाना चाहिए।
भोपाल । सूचना का अधिकार अधिनियम प्रदेश में बेमानी साबित हो रहा है। इसकी वजह है सूचना आयोग में आयुक्तों के पद पूरी तरह से खाली होना। इस मामले में सरकार भी लापरवाह बनी हुई है। हालत यह है कि बीते पांच माह से आयुक्तों के अलावा मुख्य सूचना आयुक्त के कमरों में ताले लटके हुए हैं। इसकी वजह से अपीलों पर भी सुनवाई नहीं हो पा रही है।
जिसकी वजह से अब तक सूचना आयोग में 15 हजार से अधिक अपीलें लंबित हो चुकी हैं। प्रदेश के राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के सभी पद मार्च 2024 से रिक्त पड़े हुए हैं। इन्हें भरने के लिए आवेदन भी बुलाए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक चयन समिति तक का गठन तक नहीं हो पाया है। इस समिति में मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक मंत्री सरकार द्वारा नामांकित होता है। प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त नियुक्त किए जा सकते हैं। अभी तक मुख्य सूचना आयुक्त के साथ अधिकतम 7 सूचना आयुक्त रहे हैं। मुख्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला और सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कार्यकाल मार्च 2024 में समाप्त हो गया। इस बीच सामान्य प्रशासन विभाग ने सूचना आयुक्त के लिए आवेदन मंगवाए थे। 185 सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, राज्य प्रशासनिक सेवा, अधिवक्ता सहित अन्य लोगों ने आवेदन किए। इस बीच मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी रिक्त हो गया, इसलिए इसके लिए अलग से आवेदन बुला लिए गए, लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया ही प्रारंभ नहीं हुई। अभी तक चयन समिति ही नहीं बनी है।
कभी नहीं भरे गए 7 से ज्यादा पद
मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का गठन 2005 में हुआ था। आयोग से गठन से लेकर आज तक सात से अधिक पद कभी भी नहीं भरे गए। आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए शिवराज सरकार ने 9 अक्टूबर 2023 को बैठक बुलाई थी। तात्कालीन नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने समय पर बैठक की सूचना नहीं देने और सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए बैठक पर आपत्ति दर्ज कराई थी। बैठक में आने से इंकार करने के साथ बैठक निरस्त नहीं होने पर गोविंद सिंह ने न्यायालय की शरण में जाने की बात कही थी। नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति के बाद बैठक निरस्त कर दी गई थी और इसी दिन विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया था।
आयोग के अधिकारियों का कहना है कि प्रतिमाह 500 से अधिक अपील आती हैं। आयोग में द्वितीय अपील पर सुनवाई कर निर्णय होता है। वहीं, शिकायतों पर सीधे कार्रवाई की जाती है। सुनवाई बंद है, बढ़ रहे लंबित मामले वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के सभी पद रिक्त हैं। इसके कारण सुनवाई बंद है, जिससे लंबित अपील और शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आयोग में नियुक्ति जल्द होंगी। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। बता दें कि नियुक्ति नहीं होने से आयोग में लगातार लंबित अपील और शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है। जुलाई 2024 तक 15 हजार अपील और एक हजार 125 शिकायतें निर्णय के लिए लंबित हैं। जबकि, प्रावधान है कि 180 दिन में अपील का निराकरण हो जाना चाहिए।