Bilaspur :: दुर्घटना से पैर हुआ क्षतिग्रस्त, डॉक्टर ने बचाई जान:

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Bilaspur। सिम्स प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा मेडिकल कालेज हैं, यहां इलाज कराने के लिए दूसरे शहर समेत अन्य राज्यों से लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। हाल ही में भाटापारा निवासी 45 वर्षीय जीवन लाल पिछले दिनों बाइक से जाते समय ट्रक से दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। जिसमें उनका दाया पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसे सिम्स में इलाज के लिए गंभीर हालत में 18 अगस्त को भर्ती कराया गया। पैर बुरी तरह से छतिग्रस्त हो जाने से उन्हें बचा पाना काफी चुनौतीपूर्ण था। 

तब आर्थोपेडिक सर्जन डाक्टर दीपक जांगड़े ने मरीज़ की जांच की। जांच के दौरान पता चला कि पैर की हड्डियां पूरी तरह टूट गई है। खून का बहाव भी नहीं पहुंच रहा है और पैर के अंगूठे में आक्सीजन भी नहीं बता रहा है। एक तरह से पैर निर्जीव हालत में पहुंच चुका था। ऐसे में मरीज और उसके परिजन भी समझ गए कि अब जान बचानी है तो पैर काटना ही होगा। ऐसे में मरीज ने हार मानते हुए डा़ दीपक से कहा कि साहब पैर काट दो, लेकिन डाक्टर दीपक ने हार नहीं मानी और कहा कि मुझे इलाज करने दो। मैं पैर को बचाने की पूरी कोशिश करूंगा।

इसके बाद सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) के आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के डा़ दीपक जांगड़े और उनकी टीम ने तीन घंटे तक जटिल सर्जरी कर आखिर पैर को बचाने से बचाने में सफल हुए। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अब आने वाले कुछ दिनों में एक बार फिर अपने पैरों पर चलने में सक्षम हो जाएगा।


Bilaspur। सिम्स प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा मेडिकल कालेज हैं, यहां इलाज कराने के लिए दूसरे शहर समेत अन्य राज्यों से लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। हाल ही में भाटापारा निवासी 45 वर्षीय जीवन लाल पिछले दिनों बाइक से जाते समय ट्रक से दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। जिसमें उनका दाया पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसे सिम्स में इलाज के लिए गंभीर हालत में 18 अगस्त को भर्ती कराया गया। पैर बुरी तरह से छतिग्रस्त हो जाने से उन्हें बचा पाना काफी चुनौतीपूर्ण था। 

तब आर्थोपेडिक सर्जन डाक्टर दीपक जांगड़े ने मरीज़ की जांच की। जांच के दौरान पता चला कि पैर की हड्डियां पूरी तरह टूट गई है। खून का बहाव भी नहीं पहुंच रहा है और पैर के अंगूठे में आक्सीजन भी नहीं बता रहा है। एक तरह से पैर निर्जीव हालत में पहुंच चुका था। ऐसे में मरीज और उसके परिजन भी समझ गए कि अब जान बचानी है तो पैर काटना ही होगा। ऐसे में मरीज ने हार मानते हुए डा़ दीपक से कहा कि साहब पैर काट दो, लेकिन डाक्टर दीपक ने हार नहीं मानी और कहा कि मुझे इलाज करने दो। मैं पैर को बचाने की पूरी कोशिश करूंगा।

इसके बाद सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) के आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के डा़ दीपक जांगड़े और उनकी टीम ने तीन घंटे तक जटिल सर्जरी कर आखिर पैर को बचाने से बचाने में सफल हुए। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अब आने वाले कुछ दिनों में एक बार फिर अपने पैरों पर चलने में सक्षम हो जाएगा।


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