दंतेवाड़ा । दंतेवाड़ा जिला कलेक्टर कार्यालय ने 29 अगस्त को जारी एक पत्र के माध्यम से एनएमडीसी (नेशनल मिनरल्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) लिमिटेड पर 1620.5 करोड़ रुपये का जुर्माना और मुआवजा लगाने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन और खनन कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन के आधार पर रखा गया है।
हालांकि, एनएमडीसी लिमिटेड ने इस दावे को पूरी तरह से अनुचित बताया है और इस संबंध में जिला कलेक्टर, दंतेवाड़ा को एक विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने की योजना बनाई है। एनएमडीसी ने यह तर्क दिया है कि कंपनी को पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से सभी आवश्यक मंजूरी प्राप्त हैं और उन्होंने छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन एवं भंडारण) नियम, 2009 के तहत अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान भी किया है।
एनएमडीसी का दावा है कि उनके द्वारा खनन और लौह अयस्क के परिवहन में कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार रॉयल्टी मूल्यांकन के समय हर छह महीने में इन रिकॉर्डों की पुष्टि करती है और अब तक किसी भी उल्लंघन का मुद्दा नहीं उठाया गया है।
कंपनी ने आगे यह बताया कि तकनीकी कारणों से आरटीपी के निर्माण में 2-3 दिनों की देरी हो सकती है, लेकिन इससे राज्य के खजाने को कोई नुकसान नहीं होता है। एनएमडीसी ने इस मामले में न्यायसंगत और तर्कसंगत दृष्टिकोण की मांग की है।
दंतेवाड़ा । दंतेवाड़ा जिला कलेक्टर कार्यालय ने 29 अगस्त को जारी एक पत्र के माध्यम से एनएमडीसी (नेशनल मिनरल्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) लिमिटेड पर 1620.5 करोड़ रुपये का जुर्माना और मुआवजा लगाने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन और खनन कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन के आधार पर रखा गया है।
हालांकि, एनएमडीसी लिमिटेड ने इस दावे को पूरी तरह से अनुचित बताया है और इस संबंध में जिला कलेक्टर, दंतेवाड़ा को एक विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने की योजना बनाई है। एनएमडीसी ने यह तर्क दिया है कि कंपनी को पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से सभी आवश्यक मंजूरी प्राप्त हैं और उन्होंने छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन एवं भंडारण) नियम, 2009 के तहत अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान भी किया है।
एनएमडीसी का दावा है कि उनके द्वारा खनन और लौह अयस्क के परिवहन में कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार रॉयल्टी मूल्यांकन के समय हर छह महीने में इन रिकॉर्डों की पुष्टि करती है और अब तक किसी भी उल्लंघन का मुद्दा नहीं उठाया गया है।
कंपनी ने आगे यह बताया कि तकनीकी कारणों से आरटीपी के निर्माण में 2-3 दिनों की देरी हो सकती है, लेकिन इससे राज्य के खजाने को कोई नुकसान नहीं होता है। एनएमडीसी ने इस मामले में न्यायसंगत और तर्कसंगत दृष्टिकोण की मांग की है।