मौसम के बदलते ही गले में खराश और खांसी जैसी समस्याएं बढ़ने लग जाती हैं। इस मौसम में कभी बारिश तो कभी धूप की वजह से तबीयत बिगड़ने का खतरा ज्यादा होता है। इन समस्याओं से निपटने के लिए लोग एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करते हैं जो हर बार करना ठीक नहीं है। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर आप गले की खराश या खाती की समस्या से राहत पा सकते हैं।
क्या है एक्सपर्ट की सलाह
आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार के अनुसार गले की खराश, जुकाम, कफ, पाचन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए 3 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जिसे त्रिकटु के नाम से जाना जाता है। जिसमें त्रि-का मतलब है तीन और कटु- का मतलब है जड़ी-बूटियां जो गर्म और तीखी होती हैं।
क्या होते हैं ये मसाले
इस मिक्स को बनाने में जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है वह आपकी रसोई में आसानी से मिल जाती हैं। जिसमें पहलगी है मारीच यानी काली मिर्च। दूसरी सामग्री है पिप्पली यानी लंबी काली मिर्च और शुण्ठी यानी सोंठ।
भूख में करता है सुधार
यह भूख में सुधार करता है। साथ ही पेट को एंजाइम उत्पन्न करने के लिए उत्तेजित करता है। ऐसे में ये पाचन में मदद कर सकता है।
खांसी-सर्दी के लिए है अच्छा
यह श्वसन सिस्टम के लिए भी बहुत अच्छा है। खांसी, सर्दी, अस्थमा, एलर्जिक राइनाइटिस जैसी समस्याओं से निपटने में ये मदद करता है।
कई बीमारियों में है फायदेमंद
एक्सपर्ट ने बताया कि इसके इस्तेमाल से फैट बर्न होता है और ये कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। इसके अलावा थायराइड से लेकर गले की खराश और टॉन्सिलाइटिस जैसी गले की बीमारियों में ये फायदेमंद होता है।
कैसे खाएं
एक्सपर्ट के मुताबिक एक दिन में इस चुर्ण को 500 मिलीग्राम से 3 ग्राम तक लिया जा सकता है। खाने के बाद इसे खाना अच्छा माना जाता है। त्रिकटु चूर्ण को शहद या पानी के साथ मिलाकर खा सकते हैं। अगर किसी को इसका स्वाद बहुत तीखा लगता है तो वह खाने में इसे मिला सकते हैं।
तासीर होती है गर्म
इस मिक्स में तीन चीजों का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में एक्सपर्च का कहना है कि त्रिकटु की तासीर गर्म होती है। तो अगर आप इस मिक्स को लेना चाहते हैं तो पहले अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीकों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह लें।
मौसम के बदलते ही गले में खराश और खांसी जैसी समस्याएं बढ़ने लग जाती हैं। इस मौसम में कभी बारिश तो कभी धूप की वजह से तबीयत बिगड़ने का खतरा ज्यादा होता है। इन समस्याओं से निपटने के लिए लोग एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करते हैं जो हर बार करना ठीक नहीं है। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर आप गले की खराश या खाती की समस्या से राहत पा सकते हैं।
क्या है एक्सपर्ट की सलाह
आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार के अनुसार गले की खराश, जुकाम, कफ, पाचन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए 3 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जिसे त्रिकटु के नाम से जाना जाता है। जिसमें त्रि-का मतलब है तीन और कटु- का मतलब है जड़ी-बूटियां जो गर्म और तीखी होती हैं।
क्या होते हैं ये मसाले
इस मिक्स को बनाने में जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है वह आपकी रसोई में आसानी से मिल जाती हैं। जिसमें पहलगी है मारीच यानी काली मिर्च। दूसरी सामग्री है पिप्पली यानी लंबी काली मिर्च और शुण्ठी यानी सोंठ।
भूख में करता है सुधार
यह भूख में सुधार करता है। साथ ही पेट को एंजाइम उत्पन्न करने के लिए उत्तेजित करता है। ऐसे में ये पाचन में मदद कर सकता है।
खांसी-सर्दी के लिए है अच्छा
यह श्वसन सिस्टम के लिए भी बहुत अच्छा है। खांसी, सर्दी, अस्थमा, एलर्जिक राइनाइटिस जैसी समस्याओं से निपटने में ये मदद करता है।
कई बीमारियों में है फायदेमंद
एक्सपर्ट ने बताया कि इसके इस्तेमाल से फैट बर्न होता है और ये कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। इसके अलावा थायराइड से लेकर गले की खराश और टॉन्सिलाइटिस जैसी गले की बीमारियों में ये फायदेमंद होता है।
कैसे खाएं
एक्सपर्ट के मुताबिक एक दिन में इस चुर्ण को 500 मिलीग्राम से 3 ग्राम तक लिया जा सकता है। खाने के बाद इसे खाना अच्छा माना जाता है। त्रिकटु चूर्ण को शहद या पानी के साथ मिलाकर खा सकते हैं। अगर किसी को इसका स्वाद बहुत तीखा लगता है तो वह खाने में इसे मिला सकते हैं।
तासीर होती है गर्म
इस मिक्स में तीन चीजों का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में एक्सपर्च का कहना है कि त्रिकटु की तासीर गर्म होती है। तो अगर आप इस मिक्स को लेना चाहते हैं तो पहले अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीकों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह लें।