लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार तुम्हारा है, तुम जो चाहे वो लिख दो अखबार भी तुम्हारा है - छत्तीसगढ़ सवर्ण संघर्ष समिति के संयोजक संदीप तिवारी
रायपुर (छ.ग.)। छत्तीसगढ़ सवर्ण संघर्ष समिति के संयोजक संदीप तिवारी ने छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार द्वारा लगातार एक के बाद एक सवर्ण अधिकारियों पर टारगेट करने को लेकर कहा कि लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार तुम्हारा है, तुम जो चाहे वो लिख दो अखबार भी तुम्हारा है इसी बात को प्रमाणित कर रही है बीजेपी की साय सरकार। संदीप तिवारी ने कहा कि कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के प्रदेश अध्यक्ष नीलमणी दुबे के एक कर्मचारी हित में बयान देने से तिलमिलाई सरकार ने दुर्भावना पूर्वक इन्हें पद से निलंबित कर दिया है। संदीप तिवारी ने बताया कि इसके पहले भी वे दबंग व्यक्तित्व रखने वाले व कर्तव्यनिष्ठ बीजापुर जिलाधीश अनुराग पांडेय के अनैतिक आधार पर हुये स्थानांतरण को संज्ञान में लेकर राज्यपाल महोदय जी को पत्र प्रेषित किये थे। संदीप तिवारी ने कहा कि अगर सरकार सिर्फ सवर्ण वर्ग वालों के प्रति यही भाव रखेगी तो अच्छे कार्य करने वाले हतोत्साहित होंगे, जिसका खामियाजा आम जनता को भोगना पड़ेगा क्योंकि ऐसे में कोई अधिकारी मन लगाकर और जनहित के काम को नहीं करेंगे।
लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार तुम्हारा है, तुम जो चाहे वो लिख दो अखबार भी तुम्हारा है - छत्तीसगढ़ सवर्ण संघर्ष समिति के संयोजक संदीप तिवारी
रायपुर (छ.ग.)। छत्तीसगढ़ सवर्ण संघर्ष समिति के संयोजक संदीप तिवारी ने छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार द्वारा लगातार एक के बाद एक सवर्ण अधिकारियों पर टारगेट करने को लेकर कहा कि लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार तुम्हारा है, तुम जो चाहे वो लिख दो अखबार भी तुम्हारा है इसी बात को प्रमाणित कर रही है बीजेपी की साय सरकार। संदीप तिवारी ने कहा कि कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के प्रदेश अध्यक्ष नीलमणी दुबे के एक कर्मचारी हित में बयान देने से तिलमिलाई सरकार ने दुर्भावना पूर्वक इन्हें पद से निलंबित कर दिया है। संदीप तिवारी ने बताया कि इसके पहले भी वे दबंग व्यक्तित्व रखने वाले व कर्तव्यनिष्ठ बीजापुर जिलाधीश अनुराग पांडेय के अनैतिक आधार पर हुये स्थानांतरण को संज्ञान में लेकर राज्यपाल महोदय जी को पत्र प्रेषित किये थे। संदीप तिवारी ने कहा कि अगर सरकार सिर्फ सवर्ण वर्ग वालों के प्रति यही भाव रखेगी तो अच्छे कार्य करने वाले हतोत्साहित होंगे, जिसका खामियाजा आम जनता को भोगना पड़ेगा क्योंकि ऐसे में कोई अधिकारी मन लगाकर और जनहित के काम को नहीं करेंगे।