महासमुंद । मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सुशासन की सरकार ने पीएम जनमन योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की खुद के पक्के मकान के सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर कार्य कर रही है। इसी क्रम में बागबाहरा विकासखंड के ग्राम जुनवानीकला के निवासी संतराम कमार एक साधारण ग्रामीण व्यक्ति हैं। उनके परिवार में सिर्फ दो सदस्य हैं - वे और उनकी पत्नी हीराबाई कमार। लंबे समय तक संतराम और उनकी पत्नी के लिए जीवन का संघर्ष भट्ठों पर काम करने तक सीमित था। काम की तलाश में भट्ठों पर जाना उनके जीवन का हिस्सा बन चुका था, जहां अनिश्चितता और कठिनाईयां हमेशा उनके साथ थीं। संतराम का जीवन तब एक निर्णायक मोड़ पर आया, जब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत एक पक्का मकान प्राप्त हुआ। यह योजना उनके लिए सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और स्थायित्व का प्रतीक बन गई। इस पक्के मकान ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्हें एक नई उम्मीद दी।
संतराम को प्रधानमंत्री आवास के साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। पीएम जनमन योजना के तहत उनके सभी जरूरी दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, बैंक खाता, आयुष्मान कार्ड, और राशन कार्ड बन गए। इन दस्तावेजों ने उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़ने में मदद की। इसके साथ ही उनकी पत्नी हीराबाई को महतारी वंदन योजना के अंतर्गत हर महीने मिलने वाली राशि से भी उन्हें वित्तीय सहायता मिलनी शुरू हो गई, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया। सरकारी योजनाओं से मिले लाभ और आत्मनिर्भरता के नए अवसरों ने संतराम को बांस शिल्प का कार्य करने के लिए प्रेरित किया। यह पारंपरिक कला उनके लिए एक रोजगार का साधन बना। बांस शिल्प का कार्य करते हुए, संतराम आसपास के क्षेत्रों में रोज़ी-मजदूरी भी करने लगे, जिससे उनके परिवार की आय में स्थिरता आई। आज संतराम और हीराबाई एक सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं, जहां उनके पास अपना पक्का मकान है, सरकारी योजनाओं से प्राप्त लाभ हैं, और एक स्थायी रोजगार भी। उनकी यह सफलता उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो सरकारी योजनाओं का सही इस्तेमाल करके अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
महासमुंद । मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सुशासन की सरकार ने पीएम जनमन योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की खुद के पक्के मकान के सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर कार्य कर रही है। इसी क्रम में बागबाहरा विकासखंड के ग्राम जुनवानीकला के निवासी संतराम कमार एक साधारण ग्रामीण व्यक्ति हैं। उनके परिवार में सिर्फ दो सदस्य हैं - वे और उनकी पत्नी हीराबाई कमार। लंबे समय तक संतराम और उनकी पत्नी के लिए जीवन का संघर्ष भट्ठों पर काम करने तक सीमित था। काम की तलाश में भट्ठों पर जाना उनके जीवन का हिस्सा बन चुका था, जहां अनिश्चितता और कठिनाईयां हमेशा उनके साथ थीं। संतराम का जीवन तब एक निर्णायक मोड़ पर आया, जब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत एक पक्का मकान प्राप्त हुआ। यह योजना उनके लिए सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और स्थायित्व का प्रतीक बन गई। इस पक्के मकान ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्हें एक नई उम्मीद दी।
संतराम को प्रधानमंत्री आवास के साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। पीएम जनमन योजना के तहत उनके सभी जरूरी दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, बैंक खाता, आयुष्मान कार्ड, और राशन कार्ड बन गए। इन दस्तावेजों ने उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़ने में मदद की। इसके साथ ही उनकी पत्नी हीराबाई को महतारी वंदन योजना के अंतर्गत हर महीने मिलने वाली राशि से भी उन्हें वित्तीय सहायता मिलनी शुरू हो गई, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया। सरकारी योजनाओं से मिले लाभ और आत्मनिर्भरता के नए अवसरों ने संतराम को बांस शिल्प का कार्य करने के लिए प्रेरित किया। यह पारंपरिक कला उनके लिए एक रोजगार का साधन बना। बांस शिल्प का कार्य करते हुए, संतराम आसपास के क्षेत्रों में रोज़ी-मजदूरी भी करने लगे, जिससे उनके परिवार की आय में स्थिरता आई। आज संतराम और हीराबाई एक सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं, जहां उनके पास अपना पक्का मकान है, सरकारी योजनाओं से प्राप्त लाभ हैं, और एक स्थायी रोजगार भी। उनकी यह सफलता उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो सरकारी योजनाओं का सही इस्तेमाल करके अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।