भोपाल। मप्र में जल्द ही नए डीजीपी की नियुक्ति होगी। इसे लेकर 21 नवंबर को नई दिल्ली में यूपीएससी की बैठक होने वाली है। जिसमें यूपीएससी के अध्यक्ष या उनके द्वारा नामित कोई सदस्य, केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक प्रतिनिधि, राज्य के मुख्य सचिव, वर्तमान डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह भाग लेंगे। इस संबंध में राज्य सरकार ने डीओपीटी को 9 नामों का पैनल भेज दिया है। माना जा रहा है कि इस पैनल में से जिन तीन नामों का आखिरी पैनल बनेगा, उसमें वर्ष 1988 बैच के आईपीएस अफसर एवं डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार, इसी बैच के पुलिस हाउंसिंग कारपोरेशन के चेयरमेन कैलाश मकवाना और वर्ष 1989 बैच के डीजी ईओडब्ल्यू अजय शर्मा का नाम शामिल है। इन अफसरों के नाम की चर्चा भोपाल से लेकर दिल्ली तक चल रही है। तीनों ही अफसर भी अपने-अपने दावे के साथ मजबूती से इस पद तक पहुंचने का प्रयास भी कर रहे हैं। क्योंकि मप्र में अभी तक नियमानुसार ही डीजीपी का चयन होता आया है।
30 नवंबर को मौजूदा डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना रिटायर हो रहे हैं। इसलिए शासन का लक्ष्य है कि इससे पहले ही नए अफसर का चयन किया जाए। जिन 9 अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजे गए हैं, वे सभी 30 से अधिक साल प्रशासनिक सेवा कर चुके हैं। उनमें डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार, पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र मकवाना, डीजी ईओडब्ल्यू अजय कुमार शर्मा, डीजी जेल जीपी सिंह, स्पेशल डीजी आरएपीटीसी इंदौर वरुण कपूर, पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी उपेंद्र कुमार जैन, स्पेशल डीजी प्रोविजन आलोक रंजन, स्पेशल डीजी महिला सेल प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव और स्पेशल डीजी योगेश मुद्गल का नाम शामिल है। होने वाले पुलिस महानिदेशक को पुलिस मुख्यालय का ओएसडी बनाया जाएगा। इसके बाद उन्हें एक दिसंबर को प्रदेश का मुखिया बनाया जाएगा।
ओडिसा की राजधानी भुवनेश्वर में 28 से 30 नवंबर तक डीजी-आईजी कांफ्रेंस आयोजित होना है। इस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल होंगे। इस कांफ्रेंस के दौरान ही डीजीपी सुधीर सक्सेना रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में यह माना जा रहा है कि उनकी जगह पर पुलिस मुख्यालय के ओएसडी प्रदेश पुलिस की तरफ से लीड कर सकते हैं। जो प्रदेश पुलिस का पक्ष और यहां पर जो काम काज किए गए उनकी जानकारी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के सामने प्रस्तुत करेंगे।
गाइडलाइन के अनुसार 3 महीने पहले पैनल भेजा जाना था। हालांकि, 40 दिन पहले राज्य सरकार ने 9 नामों का पैनल भेजा। इनमें उन अधिकारियों के नाम शामिल हैं, जिन अधिकारियों की सेवा को 30 साल पूरा हो चुका है। इसके साथ ही इन सबका रिकॉर्ड और पूरा ब्यौरा भी भेजा गया है। मप्र में नए नियमों के तहत, डीजीपी पद के लिए उन्हीं अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजे गए हैं, जिनकी सेवा अवधि कम से कम छह माह शेष हो।
पैनल में भेजे गए 9 नाम पर नजर डाली जाए तो पहले तीन नाम वरिष्ठता के आधार पर यूपीएससी चयन कर सकता है। चयन की प्रक्रिया के तहत स्पेशल डीजी के जो नाम यूपीएससी को भेजे गए हैं, इनमें 1988 बैच के अरविंद कुमार और कैलाश मकवाना, 1989 बैच के अजय कुमार शर्मा प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि अरविंद कुमार सबसे पहले मई 2025 में, कैलाश मकवाना दिसंबर 2025 में और अजय कुमार शर्मा अगस्त 2026 में रिटायर होंगे। ऐसी स्थिति में अजय कुमार शर्मा या कैलाश मकवाना की डीजीपी बनने की संभावना सबसे अधिक है। अरविंद कुमार की सेवानिवृत्ति को केवल 6 महीने बचेंगे इसलिए शायद सरकार उनके नाम पर विचार ना करे। हालांकि यह भी नियम है कि राज्य सरकार जब इन तीनों नाम में से एक नाम फाइनल करेगी तो उस अधिकारी को डीजीपी का कार्यभार की तिथि से 2 साल की अवधि के लिए डीजीपी के रूप में पूरा कार्यकाल मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार, राज्य सरकार को इन तीन नामों में से ही एक नाम को चुनकर आदेश जारी करना अनिवार्य होगा।
भोपाल। मप्र में जल्द ही नए डीजीपी की नियुक्ति होगी। इसे लेकर 21 नवंबर को नई दिल्ली में यूपीएससी की बैठक होने वाली है। जिसमें यूपीएससी के अध्यक्ष या उनके द्वारा नामित कोई सदस्य, केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक प्रतिनिधि, राज्य के मुख्य सचिव, वर्तमान डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह भाग लेंगे। इस संबंध में राज्य सरकार ने डीओपीटी को 9 नामों का पैनल भेज दिया है। माना जा रहा है कि इस पैनल में से जिन तीन नामों का आखिरी पैनल बनेगा, उसमें वर्ष 1988 बैच के आईपीएस अफसर एवं डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार, इसी बैच के पुलिस हाउंसिंग कारपोरेशन के चेयरमेन कैलाश मकवाना और वर्ष 1989 बैच के डीजी ईओडब्ल्यू अजय शर्मा का नाम शामिल है। इन अफसरों के नाम की चर्चा भोपाल से लेकर दिल्ली तक चल रही है। तीनों ही अफसर भी अपने-अपने दावे के साथ मजबूती से इस पद तक पहुंचने का प्रयास भी कर रहे हैं। क्योंकि मप्र में अभी तक नियमानुसार ही डीजीपी का चयन होता आया है।
30 नवंबर को मौजूदा डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना रिटायर हो रहे हैं। इसलिए शासन का लक्ष्य है कि इससे पहले ही नए अफसर का चयन किया जाए। जिन 9 अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजे गए हैं, वे सभी 30 से अधिक साल प्रशासनिक सेवा कर चुके हैं। उनमें डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार, पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र मकवाना, डीजी ईओडब्ल्यू अजय कुमार शर्मा, डीजी जेल जीपी सिंह, स्पेशल डीजी आरएपीटीसी इंदौर वरुण कपूर, पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी उपेंद्र कुमार जैन, स्पेशल डीजी प्रोविजन आलोक रंजन, स्पेशल डीजी महिला सेल प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव और स्पेशल डीजी योगेश मुद्गल का नाम शामिल है। होने वाले पुलिस महानिदेशक को पुलिस मुख्यालय का ओएसडी बनाया जाएगा। इसके बाद उन्हें एक दिसंबर को प्रदेश का मुखिया बनाया जाएगा।
ओडिसा की राजधानी भुवनेश्वर में 28 से 30 नवंबर तक डीजी-आईजी कांफ्रेंस आयोजित होना है। इस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल होंगे। इस कांफ्रेंस के दौरान ही डीजीपी सुधीर सक्सेना रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में यह माना जा रहा है कि उनकी जगह पर पुलिस मुख्यालय के ओएसडी प्रदेश पुलिस की तरफ से लीड कर सकते हैं। जो प्रदेश पुलिस का पक्ष और यहां पर जो काम काज किए गए उनकी जानकारी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के सामने प्रस्तुत करेंगे।
गाइडलाइन के अनुसार 3 महीने पहले पैनल भेजा जाना था। हालांकि, 40 दिन पहले राज्य सरकार ने 9 नामों का पैनल भेजा। इनमें उन अधिकारियों के नाम शामिल हैं, जिन अधिकारियों की सेवा को 30 साल पूरा हो चुका है। इसके साथ ही इन सबका रिकॉर्ड और पूरा ब्यौरा भी भेजा गया है। मप्र में नए नियमों के तहत, डीजीपी पद के लिए उन्हीं अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजे गए हैं, जिनकी सेवा अवधि कम से कम छह माह शेष हो।
पैनल में भेजे गए 9 नाम पर नजर डाली जाए तो पहले तीन नाम वरिष्ठता के आधार पर यूपीएससी चयन कर सकता है। चयन की प्रक्रिया के तहत स्पेशल डीजी के जो नाम यूपीएससी को भेजे गए हैं, इनमें 1988 बैच के अरविंद कुमार और कैलाश मकवाना, 1989 बैच के अजय कुमार शर्मा प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि अरविंद कुमार सबसे पहले मई 2025 में, कैलाश मकवाना दिसंबर 2025 में और अजय कुमार शर्मा अगस्त 2026 में रिटायर होंगे। ऐसी स्थिति में अजय कुमार शर्मा या कैलाश मकवाना की डीजीपी बनने की संभावना सबसे अधिक है। अरविंद कुमार की सेवानिवृत्ति को केवल 6 महीने बचेंगे इसलिए शायद सरकार उनके नाम पर विचार ना करे। हालांकि यह भी नियम है कि राज्य सरकार जब इन तीनों नाम में से एक नाम फाइनल करेगी तो उस अधिकारी को डीजीपी का कार्यभार की तिथि से 2 साल की अवधि के लिए डीजीपी के रूप में पूरा कार्यकाल मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार, राज्य सरकार को इन तीन नामों में से ही एक नाम को चुनकर आदेश जारी करना अनिवार्य होगा।