जब बिना गिरे या चोट लगे भी टूट सकती है हड्डी, एक्सपर्ट बता रहे हैं इसके बारे में सब कुछ:

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हड्डियां बिना गिरे या चोट लगे भी टूट सकती हैं, जिसे डॉक्टरी भाषा मे पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर भी कहा जाता है। कई कारणों से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे शरीर में कमज़ोरी का अनुभव होता है। पहले ये समझने की आवश्यकता है कि पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर क्या है।

अब तक आम तौर पर लोग यह मानते आ रहे हैं कि हड्डियां बिना गिरे या चोट लगे नहीं टूट सकतीं। लेकिन ऐसा नहीं है। हड्डियां (bones) बिना गिरे या चोट लगे भी टूट सकती हैं, जिसे डॉक्टरी भाषा में पेथोलॉजिकल फ्रैक्चर (pathological fracture) भी कहा जाता है। इसका मुख्य कारण हड्डियों की कमजोरी या किसी गंभीर स्वास्थ्य संक्रमण का होना है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि आपके शरीर में पोषण की कमी, कोई बीमारी, या आपकी लाइफस्टाइल संबंधी समस्याएं। पेथोलॉजिकल फ्रैक्चर क्या है, यह क्यों होता है और इसका उपचार क्या हो सकता है, आइए जानते हैं इन सभी के बारे में विस्तार से।

हड्डियां कमजोर क्यों हो जाती हैं?

ऑस्टियोपोरोसिस(Osteoporosis) हड्डियों का कमजोर होना

यह आमतौर पर बुजुर्ग लोगों में और मेनोपॉज की उम्र तक पहुंच चुकी महिलाओं में पाई जाती है। 50 की उम्र के बाद हड्डियों में कैल्शियम सिमटने लगता है। इस वजह से बुजुर्गों में ये दिक्कत आम हो जाती है। इसमें हड्डियां अपना घनत्व खो देती हैं। इसका मेन रीजन कैल्शियम (calcium) और विटामिन डी (vitamin D) की कमी है।

हड्डियों का इंफेक्शन (Osteomyelitis):

हड्डियों का इंफेक्शन बड़ी वजह है कि हड्डियों में अकारण डैमेज होता है और हड्डियां कमज़ोर होती हैं। ऐसा इंफेक्शन ज्यादातर बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसी वजह से फ्रैक्चर की संभावना भी बढ़ जाती है।

कैंसर (Cancer)

हड्डी का कैंसर (bone cancer) या और parts (जैसे breast, lung या prostate cancer) से फैला हुआ कैंसर हड्डियों को कमजोर कर सकता है। यह condition ‘metastatic bone disease’ कहलाती है।

बचपन से मिली बीमारी

कुछ लोग जन्म से ही कमजोर हड्डियों के साथ पैदा होते हैं, जैसे osteogenesis imperfecta. इस बीमारी में आपकी हड्डियां बचपन से ही कमज़ोर रहती हैं।

और भी हैं कारण

स्टेरॉयड दवा का इस्तेमाल भी एक कारण हैं जिससे हड्डियों की सेहत बुरी तरह प्रभावित होती है। लंबे वक्त तक स्टेरॉइड का इस्तेमाल आपकी हड्डियों को भयानक तौर पर नुक़सान पहुंचा सकता है।

शराब और सिगरेट तो वैसे भी सेहत के लिए नुकसानदेह हैं लेकिन हड्डियों के केस में ये आपको और नुकसान पहुंचा सकते हैं।

कौन सी जांच कराएं?

1. बोन डेंसिटी टेस्ट कराएं

यह ऑस्टियोपोरोसिस नाम के रोग की जांच करता है और हड्डियों की मज़बूती मापता है। इससे आपको पता लग जाएगा कि आपकी हड्डियां कितनी सेहतमंद हैं।

2. एमआरआई/सीटी स्कैन:

बोन इंफेक्शन, कैंसर और इंटरनल डैमेज का पता लगाने के लिए आप एमआरआई या सीटी स्कैन अगर कराते हैं तो इन सब रोगों का पता लग जाएगा।

3. रक्त परीक्षण:

Calcium और vitamin D levels की जांच के लिए आप ब्लड टेस्ट करा सकते हैं लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

इलाज़ क्या?

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए डॉक्टर्स आपको कैल्शियम और विटामिन डी की दवाइयां देंगे लेकिन अपने मर्ज़ी से ऐसी कोई भी दवाई नहीं खरीदनी है।

ओस्टियोपाेरोसिस (Osteoporosis) का इलाज करने के लिए यह इलाज़ इस रोग का पहला और अंतिम चारा है। ऐसा हम नहीं डॉक्टर्स भी कहते हैं। इसलिए तनिक भी लापरवाही ना करें।

हड्डियों के इंफेक्शन (Bone infection) के लिए एंटीबायोटिक ज़रूरी है। हां, लेकिन डॉक्टरी सलाह के साथ। खुद ही डॉक्टर क्या इवेन कम्पाउंडर भी ना बनिये। जो डॉक्टर कहे वही करिए।

तो हां, हड्डियों का टूटना बिना चोट लगे भी सम्भव है और सम्भव है उसका प्रॉपर इलाज़। बस आपको ज़रूरत है जागरूकता की और ज़रूरत है सही डॉक्टर की जो आपको सही इलाज़ तक ले जा सके।

पेथोलॉजिकल फ्रैक्चर से बचने और हड्डियों को मजबूत बनाने के उपाय?

1 कैल्शियम हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद है इसलिए Calcium-rich food (दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियां) को खाने में शामिल करें।

2 धूप में वक्त बिताना भी आपके शरीर को विटामिन देता है इसलिए रोजाना sunlight में समय बिताएं ताकि vitamin D की कमी पूरी हो।

3. हल्के व्यायाम (Light Exercise) यानी नियमित रूप से वॉकिंग और योग करते रहना चाहिए। ये आपके शरीर और खासकर हड्डियों को और मजबूत बनाएगा।

4. धूम्रपान (Smoking) और शराब के सेवन (alcohol) से बचें। वरना ये आपकी हड्डियों की सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा और आप परेशान हो सकते हैं।

5. 50 वर्ष की उम्र के बाद नियमित Bone density test कराएं, ताकि आपको पता रहे कि आपकी हड्डियां कितनी स्वस्थ हैं।


हड्डियां बिना गिरे या चोट लगे भी टूट सकती हैं, जिसे डॉक्टरी भाषा मे पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर भी कहा जाता है। कई कारणों से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे शरीर में कमज़ोरी का अनुभव होता है। पहले ये समझने की आवश्यकता है कि पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर क्या है।

अब तक आम तौर पर लोग यह मानते आ रहे हैं कि हड्डियां बिना गिरे या चोट लगे नहीं टूट सकतीं। लेकिन ऐसा नहीं है। हड्डियां (bones) बिना गिरे या चोट लगे भी टूट सकती हैं, जिसे डॉक्टरी भाषा में पेथोलॉजिकल फ्रैक्चर (pathological fracture) भी कहा जाता है। इसका मुख्य कारण हड्डियों की कमजोरी या किसी गंभीर स्वास्थ्य संक्रमण का होना है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि आपके शरीर में पोषण की कमी, कोई बीमारी, या आपकी लाइफस्टाइल संबंधी समस्याएं। पेथोलॉजिकल फ्रैक्चर क्या है, यह क्यों होता है और इसका उपचार क्या हो सकता है, आइए जानते हैं इन सभी के बारे में विस्तार से।

हड्डियां कमजोर क्यों हो जाती हैं?

ऑस्टियोपोरोसिस(Osteoporosis) हड्डियों का कमजोर होना

यह आमतौर पर बुजुर्ग लोगों में और मेनोपॉज की उम्र तक पहुंच चुकी महिलाओं में पाई जाती है। 50 की उम्र के बाद हड्डियों में कैल्शियम सिमटने लगता है। इस वजह से बुजुर्गों में ये दिक्कत आम हो जाती है। इसमें हड्डियां अपना घनत्व खो देती हैं। इसका मेन रीजन कैल्शियम (calcium) और विटामिन डी (vitamin D) की कमी है।

हड्डियों का इंफेक्शन (Osteomyelitis):

हड्डियों का इंफेक्शन बड़ी वजह है कि हड्डियों में अकारण डैमेज होता है और हड्डियां कमज़ोर होती हैं। ऐसा इंफेक्शन ज्यादातर बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसी वजह से फ्रैक्चर की संभावना भी बढ़ जाती है।

कैंसर (Cancer)

हड्डी का कैंसर (bone cancer) या और parts (जैसे breast, lung या prostate cancer) से फैला हुआ कैंसर हड्डियों को कमजोर कर सकता है। यह condition ‘metastatic bone disease’ कहलाती है।

बचपन से मिली बीमारी

कुछ लोग जन्म से ही कमजोर हड्डियों के साथ पैदा होते हैं, जैसे osteogenesis imperfecta. इस बीमारी में आपकी हड्डियां बचपन से ही कमज़ोर रहती हैं।

और भी हैं कारण

स्टेरॉयड दवा का इस्तेमाल भी एक कारण हैं जिससे हड्डियों की सेहत बुरी तरह प्रभावित होती है। लंबे वक्त तक स्टेरॉइड का इस्तेमाल आपकी हड्डियों को भयानक तौर पर नुक़सान पहुंचा सकता है।

शराब और सिगरेट तो वैसे भी सेहत के लिए नुकसानदेह हैं लेकिन हड्डियों के केस में ये आपको और नुकसान पहुंचा सकते हैं।

कौन सी जांच कराएं?

1. बोन डेंसिटी टेस्ट कराएं

यह ऑस्टियोपोरोसिस नाम के रोग की जांच करता है और हड्डियों की मज़बूती मापता है। इससे आपको पता लग जाएगा कि आपकी हड्डियां कितनी सेहतमंद हैं।

2. एमआरआई/सीटी स्कैन:

बोन इंफेक्शन, कैंसर और इंटरनल डैमेज का पता लगाने के लिए आप एमआरआई या सीटी स्कैन अगर कराते हैं तो इन सब रोगों का पता लग जाएगा।

3. रक्त परीक्षण:

Calcium और vitamin D levels की जांच के लिए आप ब्लड टेस्ट करा सकते हैं लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

इलाज़ क्या?

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए डॉक्टर्स आपको कैल्शियम और विटामिन डी की दवाइयां देंगे लेकिन अपने मर्ज़ी से ऐसी कोई भी दवाई नहीं खरीदनी है।

ओस्टियोपाेरोसिस (Osteoporosis) का इलाज करने के लिए यह इलाज़ इस रोग का पहला और अंतिम चारा है। ऐसा हम नहीं डॉक्टर्स भी कहते हैं। इसलिए तनिक भी लापरवाही ना करें।

हड्डियों के इंफेक्शन (Bone infection) के लिए एंटीबायोटिक ज़रूरी है। हां, लेकिन डॉक्टरी सलाह के साथ। खुद ही डॉक्टर क्या इवेन कम्पाउंडर भी ना बनिये। जो डॉक्टर कहे वही करिए।

तो हां, हड्डियों का टूटना बिना चोट लगे भी सम्भव है और सम्भव है उसका प्रॉपर इलाज़। बस आपको ज़रूरत है जागरूकता की और ज़रूरत है सही डॉक्टर की जो आपको सही इलाज़ तक ले जा सके।

पेथोलॉजिकल फ्रैक्चर से बचने और हड्डियों को मजबूत बनाने के उपाय?

1 कैल्शियम हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद है इसलिए Calcium-rich food (दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियां) को खाने में शामिल करें।

2 धूप में वक्त बिताना भी आपके शरीर को विटामिन देता है इसलिए रोजाना sunlight में समय बिताएं ताकि vitamin D की कमी पूरी हो।

3. हल्के व्यायाम (Light Exercise) यानी नियमित रूप से वॉकिंग और योग करते रहना चाहिए। ये आपके शरीर और खासकर हड्डियों को और मजबूत बनाएगा।

4. धूम्रपान (Smoking) और शराब के सेवन (alcohol) से बचें। वरना ये आपकी हड्डियों की सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा और आप परेशान हो सकते हैं।

5. 50 वर्ष की उम्र के बाद नियमित Bone density test कराएं, ताकि आपको पता रहे कि आपकी हड्डियां कितनी स्वस्थ हैं।


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