वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान बांके लाल का प्राकट्य उत्सव बड़े ही हर्सोउल्लास के साथ हर्ष साल की भांति इस साल भी मनाया जाएगा. ठाकुर बांके बिहारी के प्राकट्य उत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही है. इस बार भगवान को विशेष व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा और विशेष पोशाक धारण कराई जाएगी. आइये जानते हैं कि इस बार बांके बिहारी का कौन सा प्राकट्य उत्सव मनाया जा रहा है.
मनाया जाएगा 545वां प्राकट्य उत्सव
जन-जन की आराध्य ठाकुर बांके बिहारी का 550 साल पूर्व वृंदावन में प्रकट हुए और तभी से लेकर आज तक उनका प्रकाट्योसव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. ठाकुर जी का यह उत्सव अलौकिक और अद्भुत होता है. हजारों की संख्या में लोग ठाकुर के इस उत्सव में भाग लेने के लिए देश और विदेश से यहां आते हैं.
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने बताया
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी ने लोकल 18 की टीम से बातचीत की. उन्होंने बताया कि भगवान बांके बिहारी का प्राकट्य उत्सव 550 साल से मानते चले आ रहे हैं. इतना ही नहीं भगवान का यह उत्सव एक अद्भुत और अलौकिक छटा वृंदावन में विखेरता है. श्रीनाथ गोस्वामी बताते हैं कि बिहार पंचमी के दिन ठाकुर जी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है. वह पल दिव्य और भव्य होता है.
विशेष व्यंजनों का लगाया जाएगा भोग
उन्होंने कहा कि करीबन पौने 200 साल पूर्व बिहारी जी को मंदिर में विराजमान किया गया है. ब्रजवासियों और बांके बिहारी के भक्तों के लिए बहुत बड़ा पाव यह होता है. निधिवन राज से स्वामी हरिदास जी बधाई लेकर पधारते हैं. ठाकुर बांके बिहारी की सवारी निधिवन से निकलकर बांके बिहारी मंदिर तक पहुंचती है. बैंड बाजों के साथ यह पर्व मनाया जाता है. इस बार ठाकुर जी का 545 प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा. ठाकुर जी को विशेष व्यंजनों का भी भोग लगाया जाएगा.
धूमधाम से मनाया जायेगा उत्सव
करते समय जब तक हरिदास जी महाराज की सवारी बांके बिहारी मंदिर नहीं आ जाती, तो उनका भोग नहीं लगता है. बांके बिहारी और स्वामी हरिदास जी एक साथ बैठकर भोग लगाते हैं. ठाकुर जी की आरती और भोग राज का समय भी बढ़ जाता है.
सोहन हलवे का लगाया जाता है भोग
बिहार पंचमी के दिन ठाकुर जी को पीले वस्त्र धारण कराए जाते हैं. विशेष श्रृंगार किया जाता है. ठाकुर बांके बिहारी जी को सोहन हलवे का भोग लगाया जाता है. मूंग दाल का हलवा भी उसे समय विशेष प्रिय होता है ठाकुर बांके बिहारी को और रास्ते में हलवे का प्रसाद लोगों को बांटते हुए आते हैं.
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान बांके लाल का प्राकट्य उत्सव बड़े ही हर्सोउल्लास के साथ हर्ष साल की भांति इस साल भी मनाया जाएगा. ठाकुर बांके बिहारी के प्राकट्य उत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही है. इस बार भगवान को विशेष व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा और विशेष पोशाक धारण कराई जाएगी. आइये जानते हैं कि इस बार बांके बिहारी का कौन सा प्राकट्य उत्सव मनाया जा रहा है.
मनाया जाएगा 545वां प्राकट्य उत्सव
जन-जन की आराध्य ठाकुर बांके बिहारी का 550 साल पूर्व वृंदावन में प्रकट हुए और तभी से लेकर आज तक उनका प्रकाट्योसव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. ठाकुर जी का यह उत्सव अलौकिक और अद्भुत होता है. हजारों की संख्या में लोग ठाकुर के इस उत्सव में भाग लेने के लिए देश और विदेश से यहां आते हैं.
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने बताया
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी ने लोकल 18 की टीम से बातचीत की. उन्होंने बताया कि भगवान बांके बिहारी का प्राकट्य उत्सव 550 साल से मानते चले आ रहे हैं. इतना ही नहीं भगवान का यह उत्सव एक अद्भुत और अलौकिक छटा वृंदावन में विखेरता है. श्रीनाथ गोस्वामी बताते हैं कि बिहार पंचमी के दिन ठाकुर जी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है. वह पल दिव्य और भव्य होता है.
विशेष व्यंजनों का लगाया जाएगा भोग
उन्होंने कहा कि करीबन पौने 200 साल पूर्व बिहारी जी को मंदिर में विराजमान किया गया है. ब्रजवासियों और बांके बिहारी के भक्तों के लिए बहुत बड़ा पाव यह होता है. निधिवन राज से स्वामी हरिदास जी बधाई लेकर पधारते हैं. ठाकुर बांके बिहारी की सवारी निधिवन से निकलकर बांके बिहारी मंदिर तक पहुंचती है. बैंड बाजों के साथ यह पर्व मनाया जाता है. इस बार ठाकुर जी का 545 प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा. ठाकुर जी को विशेष व्यंजनों का भी भोग लगाया जाएगा.
धूमधाम से मनाया जायेगा उत्सव
करते समय जब तक हरिदास जी महाराज की सवारी बांके बिहारी मंदिर नहीं आ जाती, तो उनका भोग नहीं लगता है. बांके बिहारी और स्वामी हरिदास जी एक साथ बैठकर भोग लगाते हैं. ठाकुर जी की आरती और भोग राज का समय भी बढ़ जाता है.
सोहन हलवे का लगाया जाता है भोग
बिहार पंचमी के दिन ठाकुर जी को पीले वस्त्र धारण कराए जाते हैं. विशेष श्रृंगार किया जाता है. ठाकुर बांके बिहारी जी को सोहन हलवे का भोग लगाया जाता है. मूंग दाल का हलवा भी उसे समय विशेष प्रिय होता है ठाकुर बांके बिहारी को और रास्ते में हलवे का प्रसाद लोगों को बांटते हुए आते हैं.