बढ़ता मोटापा महिलाओं में बढ़ा रहा है 7 तरह के कैंसर का खतरा, क्यों पुरुषों की तुलना में महिलाएं हो रही हैं ज्यादा शिकार?:

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जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियां दुनिया भर में तेजी से अपने पांव पसार रही हैं और इन सभी बीमारियों के जड़ में है, मोटापा। वल्र्ड ओबेसिटी फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अगर जरूरी और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो 2035 तक दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी मोटापे की शिकार हो जाएगी। अभी दुनिया की 38 प्रतिशत आबादी मोटापे की शिकार है, पर अगर स्थिति ऐसी ही रही तो अगले 12 सालों में यह आंकड़ा 51 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। भारत में मोटापे के शिकार लोगों की संख्या प्रतिवर्ष 5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जिसमें सबसे तेजी से महिलाएं मोटापे की जद में आ रही हैं। महिलाएं न सिर्फ तेजी से मोटापे की शिकार हो रही हैंबल्कि विभिन्न अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि मोटापा पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए आर्थिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से ज्यादा खर्चीला भी है। मोटापे से महिलाओं में लगभग सात तरह के कैंसर का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। बड़ी संख्या में बच्चों में बड़े होने पर स्ट्रोक, डायबिटीज, दिल की बीमारियां और अस्थमा आदि का खतरा सिर्फ इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि जब वे अपनी मां के गर्भ में थे, तब उनकी मां मोटापे से पीड़ित थीं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक हर 16 महिला में से एक और हर 25 में से एक पुरुष भारत में मोटापे से पीड़ित है। पर, मुख्य सवाल यह है कि महिलाएं तेजी से मोटापे की शिकार क्यों हो रही हैं?
हम क्यों बन रही हैं आसान शिकार?

क्या आप वजन बढ़ने को लेकर परेशान हैं, तो आपके लिए वजन बढ़ना एक गंभीर समस्या है क्योंकि मोटापे के साथ डायबिटीज से लेकर दिल की बीमारियां जैसी कई अनेक समस्याएं जुड़ी हुई हैं। इस समस्या को बढ़ने से पहले रोकना ही एकमात्र उपाय है क्योंकि कुछ मामलों में वजन इतना बढ़ जाता है कि वजन कम करने के लिए सर्जरी ही एकमात्र उपाय बचता है। महिलाओं में वजन बढ़ने के मुख्य कारण क्या हैं, आइए जानें:

1 फिजिशियन डॉ. सुनीता नागपाल के मुताबिक जीवन के विभिन्न पड़ावों पर शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव महिलाओं में बढ़ रहे मोटापे के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। पीरियड की उम्र में पीसीओएस यानी पॉलीसीस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी बीमारियां जहां युवाओं को मोटापे का शिकार बना रहा है, वहीं मेनोपॉज के बाद हार्मोन के निर्माण में कमी की वजह से मोटापा तेजी से वार करता है।

2 वजन बढ़ने का प्रमुख कारण तनाव है, यह कहना गलत नहीं होगा। तनाव और मोटापा एक-दूसरे के पूरक हैं। सीनियर फिजिशियन डॉ. विभु क्वात्रा के मुताबिक तनाव की वजह से मोटापा आता है और मोटापे के कारण व्यक्ति तनाव में रहता है। बहुत अधिक तनाव से शरीर में र्कािटसोल नाम के हार्मोन का निर्माण होता है। तनाव में स्वस्थ आहार लेने से भी कोई फायदा नहीं होता क्योंकि तनाव की वजह से बढ़ने वाला र्कािटसोल हार्मोन मेटाबॉलिज्म को सुस्त कर देता है, जिसकी वजह से खाना अच्छे से पच नहीं पाता है और वजन बढ़ता चला जाता है। तनाव के कारण ब्लड शुगर का स्तर भी बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे होता है। तीसरा, तनाव की वजह से शरीर में कोलेस्ट्राल का स्तर भी बढ़ता है और कोलेट्रॉल बढ़ने से वजन बढ़ता है। यदि आप तनाव को ठीक करने के लिए एंटी डिप्रेसेंट दवाओं का सेवन करती हैं, तो उसके प्रभाव से भी वजन बढ़ने लगता है।

3 जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, वह युवावस्था की तरह न तो शारीरिक रूप से सक्रिय रह पाती हैं और न ही व्यायाम कर पाती है। अपने घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों में महिलाएं सबसे पहले अपनी फिटनेस के साथ समझौता करती हैं। बढ़ती उम्र, शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव और धीमा पड़ता मेटाबॉलिज्म साथ मिलकर महिलाओं को मोटापे का आसान शिकार बना देता है।

4 यदि आपको वजन बढ़ने के साथ-साथ उच्च रक्तचाप, त्वचा में परिवर्तन जैसे लक्षण खुद में नजर आ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपका शरीर पोषक तत्वों को सही तरीके से ग्रहण नहीं कर पा रहा है और अतिरिक्त चर्बी शरीर के मध्यम भाग में इकट्ठा हो गई है। इसे कुशिंग सिंड्रोम कहा जाता है।

5 थायरॉइड एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, जो भोजन को उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित करती है। अगर यह ग्रंथि सही तरीकेसे काम न करे तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से एक है मोटापा। थायरॉइड ग्लैंड के बहुत ज्यादा सक्रिय होने की वजह से मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है, जिस वजह से भूख ज्यादा लगती है। सामान्य से अधिक मात्रा में भोजन करने से वजन भी बढ़ने लगता है।

6 यदि आपको पाचन संबंधी समस्या है यानी आपको लगातार कब्ज की शिकायत रही है, तो इस वजह से भी आपका वजन बढ़ सकता है। ऐसा शरीर में तरल पदार्थ की कमी और कम फाइबर वाले भोजन के सेवन से होता है।
मिथक के बल नहीं घटेगा वजन

कम वक्त में ज्यादा वजन घटाने का दावा करने वाले तरीकों की कोई कमी नहीं है। पर, सच्चाई यह है कि जैसे आपका वजन रातोरात नहीं बढ़ा है, ठीक वैसे ही इसे चुटकियों में कम भी नहीं किया जा सकता है। अगर आप भी अपना वजन कम करने की कोशिश में लगी हुई हैं, तो वजन कम करने से संबंधित कुछ मिथक से दूरी बनाए रखने में ही आपकी भलाई है:

    वजन घटाने का कोई भी एकमात्र ऐसा तरीका नहीं है, जिस पर आप पूरी तरह से निर्भर हो सकती हैं। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और अपने इस लक्ष्य में आप तब तक सफल नहीं हो सकती हैं, जब तक कि आप वजन घटाने के एक से ज्यादा तरीकों के बीच सामंजस्य न स्थापित करें।
    ऐसी डाइट जो यह दावा करती है कि कुछ खास तरह का खाना खाने से आप वजन कम कर सकती हैं, आपको फायदे की जगह नुकसान ही पहुंचाएगी। इस बात की संभावना काफी कम है कि क्रैश डाइट की मदद से आप वजन घटाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगी। हां, यह आशंका जरूर है कि हमेशा के लिए आपका वजन कुछ और बढ़ जाए।
    एक और आम धारणा यह है कि चावल और आलू आदि खाने से वजन बढ़ता है, पर सच्चाई यह है कि उचित मात्रा में इनके सेवन से वजन नहीं बढ़ता है। चावल और आलू में फाइबर नहीं होता है, इसलिए सलाह यह दी जाती है कि इनके साथ कुछ हरी सब्जियां खाई जाएं ताकि आपका खाना संतुलित हो जाए।
    कई लोगों का मानना है कि कुछ खास तरह का खाना जैसे पत्ता गोभी का सूप आदि खाने से वजन घटता है। पर, यह संभव नहीं है कि ऐसा खाना खाने से आपका वजन न घटे। वजन घटाने का एकमात्र सही तरीका है, अच्छी डाइट और एक्सरसाइज के बीच सही संतुलन। और यह संतुलन पूरी जिंदगी कायम रहना चाहिए।
    कई लोग वजन घटाने के लिए एक वक्त का खाना नहीं खाते हैं। पर, इससे कुछ फायदा नहीं होता है क्योंकि इससे या तो आप कमजोरी महसूस करने लगेंगी या फिर अगली दफा जब आप खाने बैठेंगी तो कुछ ज्यादा ही खाना खा लेंगी। अतिरिक्त वजन को खुद से दूर रखने का कारगर तरीका है, कैलोरी की मात्रा को कम करना न कि खाना न खाना।

एक माह में कितना कम?

जो लोग वजन कम करने की कोशिशों में लगे होते हैं, वे जल्द-से-जल्द इसका सकारात्मक परिणाम पाने के लिए आतुर रहते हैं। पर, आपको यह याद रखने जरूरत है कि वजन घटना जहां सेहतमंद जिंदगी के लिए जरूरी है, वहीं बहुत तेजी से वजन कम करने की कोशिशों का शरीर पर

नकारात्मक असर भी पड़ता है। हर सप्ताह आधा किलो की गति से वजन कम करना सामान्य है। इस गति से आप एक माह में दो-तीन किलो तक वजन कम कर सकती हैं। वजन कम करने की कोशिश करते वक्त इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि यह सही आहार और व्यायाम का संतुलन होता है। कुछ लोग सिर्फ आहार के बल पर भी वजन कम करते हैं, पर इसकी सलाह विशेषज्ञ भी नहीं देते। सिर्फ आहार के बल पर कम हुआ वजन उतनी ही तेजी से वापस भी लौट आता है।
व्यायाम है सबसे असरदार

सिर्फ आहार में कटौती करके प्रभावी रूप से वजन कम कर पाना संभव नहीं है। नियमित व्यायाम वजन घटाने की आपकी कोशिशों का सबसे बड़ा साथी साबित हो सकता है। एक नए अध्ययन के मुताबिक हर किसी के लिए व्यायाम का सबसे अच्छा वक्त भी होता है। उस वक्त व्यायाम करने से उसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के शेधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि मोटापे के शिकार लोग अगर शाम छह से रात के 12 बजे से पहले नियमित रूप से व्यायाम करें, तो उन्हें सबसे ज्यादा लाभ मिलता है। इस अध्ययन की रिपोर्ट डायबिटीज केयर नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुई है।


जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियां दुनिया भर में तेजी से अपने पांव पसार रही हैं और इन सभी बीमारियों के जड़ में है, मोटापा। वल्र्ड ओबेसिटी फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अगर जरूरी और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो 2035 तक दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी मोटापे की शिकार हो जाएगी। अभी दुनिया की 38 प्रतिशत आबादी मोटापे की शिकार है, पर अगर स्थिति ऐसी ही रही तो अगले 12 सालों में यह आंकड़ा 51 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। भारत में मोटापे के शिकार लोगों की संख्या प्रतिवर्ष 5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जिसमें सबसे तेजी से महिलाएं मोटापे की जद में आ रही हैं। महिलाएं न सिर्फ तेजी से मोटापे की शिकार हो रही हैंबल्कि विभिन्न अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि मोटापा पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए आर्थिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से ज्यादा खर्चीला भी है। मोटापे से महिलाओं में लगभग सात तरह के कैंसर का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। बड़ी संख्या में बच्चों में बड़े होने पर स्ट्रोक, डायबिटीज, दिल की बीमारियां और अस्थमा आदि का खतरा सिर्फ इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि जब वे अपनी मां के गर्भ में थे, तब उनकी मां मोटापे से पीड़ित थीं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक हर 16 महिला में से एक और हर 25 में से एक पुरुष भारत में मोटापे से पीड़ित है। पर, मुख्य सवाल यह है कि महिलाएं तेजी से मोटापे की शिकार क्यों हो रही हैं?
हम क्यों बन रही हैं आसान शिकार?

क्या आप वजन बढ़ने को लेकर परेशान हैं, तो आपके लिए वजन बढ़ना एक गंभीर समस्या है क्योंकि मोटापे के साथ डायबिटीज से लेकर दिल की बीमारियां जैसी कई अनेक समस्याएं जुड़ी हुई हैं। इस समस्या को बढ़ने से पहले रोकना ही एकमात्र उपाय है क्योंकि कुछ मामलों में वजन इतना बढ़ जाता है कि वजन कम करने के लिए सर्जरी ही एकमात्र उपाय बचता है। महिलाओं में वजन बढ़ने के मुख्य कारण क्या हैं, आइए जानें:

1 फिजिशियन डॉ. सुनीता नागपाल के मुताबिक जीवन के विभिन्न पड़ावों पर शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव महिलाओं में बढ़ रहे मोटापे के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। पीरियड की उम्र में पीसीओएस यानी पॉलीसीस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी बीमारियां जहां युवाओं को मोटापे का शिकार बना रहा है, वहीं मेनोपॉज के बाद हार्मोन के निर्माण में कमी की वजह से मोटापा तेजी से वार करता है।

2 वजन बढ़ने का प्रमुख कारण तनाव है, यह कहना गलत नहीं होगा। तनाव और मोटापा एक-दूसरे के पूरक हैं। सीनियर फिजिशियन डॉ. विभु क्वात्रा के मुताबिक तनाव की वजह से मोटापा आता है और मोटापे के कारण व्यक्ति तनाव में रहता है। बहुत अधिक तनाव से शरीर में र्कािटसोल नाम के हार्मोन का निर्माण होता है। तनाव में स्वस्थ आहार लेने से भी कोई फायदा नहीं होता क्योंकि तनाव की वजह से बढ़ने वाला र्कािटसोल हार्मोन मेटाबॉलिज्म को सुस्त कर देता है, जिसकी वजह से खाना अच्छे से पच नहीं पाता है और वजन बढ़ता चला जाता है। तनाव के कारण ब्लड शुगर का स्तर भी बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे होता है। तीसरा, तनाव की वजह से शरीर में कोलेस्ट्राल का स्तर भी बढ़ता है और कोलेट्रॉल बढ़ने से वजन बढ़ता है। यदि आप तनाव को ठीक करने के लिए एंटी डिप्रेसेंट दवाओं का सेवन करती हैं, तो उसके प्रभाव से भी वजन बढ़ने लगता है।

3 जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, वह युवावस्था की तरह न तो शारीरिक रूप से सक्रिय रह पाती हैं और न ही व्यायाम कर पाती है। अपने घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों में महिलाएं सबसे पहले अपनी फिटनेस के साथ समझौता करती हैं। बढ़ती उम्र, शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव और धीमा पड़ता मेटाबॉलिज्म साथ मिलकर महिलाओं को मोटापे का आसान शिकार बना देता है।

4 यदि आपको वजन बढ़ने के साथ-साथ उच्च रक्तचाप, त्वचा में परिवर्तन जैसे लक्षण खुद में नजर आ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपका शरीर पोषक तत्वों को सही तरीके से ग्रहण नहीं कर पा रहा है और अतिरिक्त चर्बी शरीर के मध्यम भाग में इकट्ठा हो गई है। इसे कुशिंग सिंड्रोम कहा जाता है।

5 थायरॉइड एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, जो भोजन को उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित करती है। अगर यह ग्रंथि सही तरीकेसे काम न करे तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से एक है मोटापा। थायरॉइड ग्लैंड के बहुत ज्यादा सक्रिय होने की वजह से मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है, जिस वजह से भूख ज्यादा लगती है। सामान्य से अधिक मात्रा में भोजन करने से वजन भी बढ़ने लगता है।

6 यदि आपको पाचन संबंधी समस्या है यानी आपको लगातार कब्ज की शिकायत रही है, तो इस वजह से भी आपका वजन बढ़ सकता है। ऐसा शरीर में तरल पदार्थ की कमी और कम फाइबर वाले भोजन के सेवन से होता है।
मिथक के बल नहीं घटेगा वजन

कम वक्त में ज्यादा वजन घटाने का दावा करने वाले तरीकों की कोई कमी नहीं है। पर, सच्चाई यह है कि जैसे आपका वजन रातोरात नहीं बढ़ा है, ठीक वैसे ही इसे चुटकियों में कम भी नहीं किया जा सकता है। अगर आप भी अपना वजन कम करने की कोशिश में लगी हुई हैं, तो वजन कम करने से संबंधित कुछ मिथक से दूरी बनाए रखने में ही आपकी भलाई है:

    वजन घटाने का कोई भी एकमात्र ऐसा तरीका नहीं है, जिस पर आप पूरी तरह से निर्भर हो सकती हैं। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और अपने इस लक्ष्य में आप तब तक सफल नहीं हो सकती हैं, जब तक कि आप वजन घटाने के एक से ज्यादा तरीकों के बीच सामंजस्य न स्थापित करें।
    ऐसी डाइट जो यह दावा करती है कि कुछ खास तरह का खाना खाने से आप वजन कम कर सकती हैं, आपको फायदे की जगह नुकसान ही पहुंचाएगी। इस बात की संभावना काफी कम है कि क्रैश डाइट की मदद से आप वजन घटाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगी। हां, यह आशंका जरूर है कि हमेशा के लिए आपका वजन कुछ और बढ़ जाए।
    एक और आम धारणा यह है कि चावल और आलू आदि खाने से वजन बढ़ता है, पर सच्चाई यह है कि उचित मात्रा में इनके सेवन से वजन नहीं बढ़ता है। चावल और आलू में फाइबर नहीं होता है, इसलिए सलाह यह दी जाती है कि इनके साथ कुछ हरी सब्जियां खाई जाएं ताकि आपका खाना संतुलित हो जाए।
    कई लोगों का मानना है कि कुछ खास तरह का खाना जैसे पत्ता गोभी का सूप आदि खाने से वजन घटता है। पर, यह संभव नहीं है कि ऐसा खाना खाने से आपका वजन न घटे। वजन घटाने का एकमात्र सही तरीका है, अच्छी डाइट और एक्सरसाइज के बीच सही संतुलन। और यह संतुलन पूरी जिंदगी कायम रहना चाहिए।
    कई लोग वजन घटाने के लिए एक वक्त का खाना नहीं खाते हैं। पर, इससे कुछ फायदा नहीं होता है क्योंकि इससे या तो आप कमजोरी महसूस करने लगेंगी या फिर अगली दफा जब आप खाने बैठेंगी तो कुछ ज्यादा ही खाना खा लेंगी। अतिरिक्त वजन को खुद से दूर रखने का कारगर तरीका है, कैलोरी की मात्रा को कम करना न कि खाना न खाना।

एक माह में कितना कम?

जो लोग वजन कम करने की कोशिशों में लगे होते हैं, वे जल्द-से-जल्द इसका सकारात्मक परिणाम पाने के लिए आतुर रहते हैं। पर, आपको यह याद रखने जरूरत है कि वजन घटना जहां सेहतमंद जिंदगी के लिए जरूरी है, वहीं बहुत तेजी से वजन कम करने की कोशिशों का शरीर पर

नकारात्मक असर भी पड़ता है। हर सप्ताह आधा किलो की गति से वजन कम करना सामान्य है। इस गति से आप एक माह में दो-तीन किलो तक वजन कम कर सकती हैं। वजन कम करने की कोशिश करते वक्त इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि यह सही आहार और व्यायाम का संतुलन होता है। कुछ लोग सिर्फ आहार के बल पर भी वजन कम करते हैं, पर इसकी सलाह विशेषज्ञ भी नहीं देते। सिर्फ आहार के बल पर कम हुआ वजन उतनी ही तेजी से वापस भी लौट आता है।
व्यायाम है सबसे असरदार

सिर्फ आहार में कटौती करके प्रभावी रूप से वजन कम कर पाना संभव नहीं है। नियमित व्यायाम वजन घटाने की आपकी कोशिशों का सबसे बड़ा साथी साबित हो सकता है। एक नए अध्ययन के मुताबिक हर किसी के लिए व्यायाम का सबसे अच्छा वक्त भी होता है। उस वक्त व्यायाम करने से उसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के शेधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि मोटापे के शिकार लोग अगर शाम छह से रात के 12 बजे से पहले नियमित रूप से व्यायाम करें, तो उन्हें सबसे ज्यादा लाभ मिलता है। इस अध्ययन की रिपोर्ट डायबिटीज केयर नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुई है।


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