नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने
प्रचंड जीत हासिल कर दो-तिहाई से भी ज्यादा बहुमत प्राप्त कर ली है। दिल्ली
में 27 सालों बाद भाजपा की यह जीत पार्टी के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है,
लेकिन इसके साथ ही उसके सामने कुछ गंभीर चैलेंजेज भी हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने भारी समर्थन देकर
बीजेपी को राजधानी दिल्ली की सत्ता की चाबी सौंपी है। ऐसे में अब भारतीय
जनता पार्टी को 3 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।
वैसे तो बीजेपी के सामने चुनौतियों की भरमार खड़ी है, लेकिन 5 ऐसे प्रमुख
चुनौतियां हैं, जिसपर भाजपा को तत्काल रूप से ध्यान देना पड़ेगा।
43,23,110 वोटरों ने भाजपा के पक्ष में किया मतदान
दरअसल, दिल्ली के 43,23,110 वोटरों ने भाजपा के पक्ष में मतदान करके
राजधानी की 70 में से 48 सीटों पर जीत दिलाई हैं। ये दिल्ली की वह जनता है,
जिसे बीजेपी से बहुत ही ज्यादा आशाएं और आकांक्षाएं हैं। लेकिन, सत्ताधारी
दल होने के नाते उसके कंधे पर हर दिल्ली वाले की जिम्मेदारी है और सबकी
भलाई के लिए काम करने का संदेश खुद प्रधानमंत्री मोदी की ओर से मिल चुका
है। ऐसे में आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि दिल्ली में भाजपा सरकार के
लिए कौन सी मुख्य चुनौतियां आने वाली हैं?
फ्री की योजनाओं के लिए सरकारी खजाने पर दबाव?
चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली वालों के लिए कई
लोक-लुभावन वादे किए हैं, जिसमें मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं को जारी
रखने, शिक्षा क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ नए कल्याणकारी वादे, स्वास्थ्य
सुविधाएं बेहतर बनाने और महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं के लिए विशेष
कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं। इन सभी योजनाओं को लागू करने के लिए सरकार
को बड़े पैमाने पर फंड की जरूरत पड़ेगी।
कहां रेवेन्यू कलेक्ट करेगी सरकार?
दिल्ली सरकार के लिए राजस्व जुटाने के मुख्य स्रोत हैं टैक्स कलेक्शन,
केंद्रीय अनुदान, और विभिन्न सेवाओं से प्राप्त शुल्क। दिल्ली एक केंद्र
शासित प्रदेश है, और इसके लिए केंद्र सरकार से सहयोग की आवश्यकता होती है।
क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है, इसे “डबल इंजन” सरकार कहा जाता है,
जो दिल्ली को लाभ पहुंचा सकती है।
राजधानी में व्यापार और उद्योग से राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन आर्थिक
सुस्ती के कारण इस आय में उतार-चढ़ाव देखा गया है। सरकार को टैक्स चोरी को
रोकने और नई नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है ताकि राजस्व बढ़ सके।
साथ ही, नई व्यावसायिक संभावनाओं को बढ़ाकर दिल्ली की अर्थव्यवस्था को
मजबूती देना भी जरूरी है।
नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने
प्रचंड जीत हासिल कर दो-तिहाई से भी ज्यादा बहुमत प्राप्त कर ली है। दिल्ली
में 27 सालों बाद भाजपा की यह जीत पार्टी के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है,
लेकिन इसके साथ ही उसके सामने कुछ गंभीर चैलेंजेज भी हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने भारी समर्थन देकर
बीजेपी को राजधानी दिल्ली की सत्ता की चाबी सौंपी है। ऐसे में अब भारतीय
जनता पार्टी को 3 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।
वैसे तो बीजेपी के सामने चुनौतियों की भरमार खड़ी है, लेकिन 5 ऐसे प्रमुख
चुनौतियां हैं, जिसपर भाजपा को तत्काल रूप से ध्यान देना पड़ेगा।
43,23,110 वोटरों ने भाजपा के पक्ष में किया मतदान
दरअसल, दिल्ली के 43,23,110 वोटरों ने भाजपा के पक्ष में मतदान करके
राजधानी की 70 में से 48 सीटों पर जीत दिलाई हैं। ये दिल्ली की वह जनता है,
जिसे बीजेपी से बहुत ही ज्यादा आशाएं और आकांक्षाएं हैं। लेकिन, सत्ताधारी
दल होने के नाते उसके कंधे पर हर दिल्ली वाले की जिम्मेदारी है और सबकी
भलाई के लिए काम करने का संदेश खुद प्रधानमंत्री मोदी की ओर से मिल चुका
है। ऐसे में आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि दिल्ली में भाजपा सरकार के
लिए कौन सी मुख्य चुनौतियां आने वाली हैं?
फ्री की योजनाओं के लिए सरकारी खजाने पर दबाव?
चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली वालों के लिए कई
लोक-लुभावन वादे किए हैं, जिसमें मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं को जारी
रखने, शिक्षा क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ नए कल्याणकारी वादे, स्वास्थ्य
सुविधाएं बेहतर बनाने और महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं के लिए विशेष
कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं। इन सभी योजनाओं को लागू करने के लिए सरकार
को बड़े पैमाने पर फंड की जरूरत पड़ेगी।
कहां रेवेन्यू कलेक्ट करेगी सरकार?
दिल्ली सरकार के लिए राजस्व जुटाने के मुख्य स्रोत हैं टैक्स कलेक्शन,
केंद्रीय अनुदान, और विभिन्न सेवाओं से प्राप्त शुल्क। दिल्ली एक केंद्र
शासित प्रदेश है, और इसके लिए केंद्र सरकार से सहयोग की आवश्यकता होती है।
क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है, इसे “डबल इंजन” सरकार कहा जाता है,
जो दिल्ली को लाभ पहुंचा सकती है।
राजधानी में व्यापार और उद्योग से राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन आर्थिक
सुस्ती के कारण इस आय में उतार-चढ़ाव देखा गया है। सरकार को टैक्स चोरी को
रोकने और नई नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है ताकि राजस्व बढ़ सके।
साथ ही, नई व्यावसायिक संभावनाओं को बढ़ाकर दिल्ली की अर्थव्यवस्था को
मजबूती देना भी जरूरी है।