रायपुर. छत्तीसगढ़ में पुस्तक घोटाला मामले की जांच
पूरी हो गई है. अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले ने 1045 पेज की जांच रिपोर्ट
सरकार को सौंप दी है. अफसरों के साथ साठगांठ कर दो लाख की किताबें रद्दी
में बेची गई थी. इस घोटाले में 5 जिले के डीईओ को दोषी पाया गया है.
जांच टीम ने दो IAS समेत 24 लोगों का बयान लिया है. जांच में पाया गया
कि दो लाख सरकारी किताबों को रद्दी के भाव में बेचा गया. इसमें एक लाख
किताबें 2024-25 सत्र की है, बाकी 2014 से 2023 के बीच की है. जिला शिक्षा
अधिकारी कार्यालय की मांग पर किताबें डिपो से निकलीं और फिर कबाड़ी की
दुकान पर गईं. टीम ने 1045 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. जांच
रिपोर्ट में राजनांदगांव, सूरजपुर, धमतरी, जशपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को
पुस्तक घोटाला मामले के दोषी बताए गए हैं.
जांच में पाया गया कि 35 दिन में पेपर मिल तक 80 टन किताबें पहुंचाई गई.
रियल बोर्ड एंड पेपर मिल के मालिक महेश पटेल और विनोद रूढानी ने जांच
समिति को बताया कि उनके पास हर साल निगम की किताबें आती हैं, लेकिन हम सत्र
नहीं देखते.
बता दें कि रायपुर के सिलियारी स्थित पेपर मिल के कबाड़ में लाखों
किताबें मिली थी. इनमें सरकार की ओर से प्रदेश के सभी स्कूलों में बांटी
जाने वाली किताबें भी शामिल थी. सभी किताबें इसी सत्र की थी. इस मामले का
उजागर पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने किया था. इस मामले को लेकर उपाध्याय
ने फैक्ट्री के सामने धरना देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने किताबें खरीदीं और बिना बांटे ही बेच
दीं. मामले में सियासत तेज होने के बाद सरकार ने 5 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई
थी.
रायपुर. छत्तीसगढ़ में पुस्तक घोटाला मामले की जांच
पूरी हो गई है. अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले ने 1045 पेज की जांच रिपोर्ट
सरकार को सौंप दी है. अफसरों के साथ साठगांठ कर दो लाख की किताबें रद्दी
में बेची गई थी. इस घोटाले में 5 जिले के डीईओ को दोषी पाया गया है.
जांच टीम ने दो IAS समेत 24 लोगों का बयान लिया है. जांच में पाया गया
कि दो लाख सरकारी किताबों को रद्दी के भाव में बेचा गया. इसमें एक लाख
किताबें 2024-25 सत्र की है, बाकी 2014 से 2023 के बीच की है. जिला शिक्षा
अधिकारी कार्यालय की मांग पर किताबें डिपो से निकलीं और फिर कबाड़ी की
दुकान पर गईं. टीम ने 1045 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. जांच
रिपोर्ट में राजनांदगांव, सूरजपुर, धमतरी, जशपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को
पुस्तक घोटाला मामले के दोषी बताए गए हैं.
जांच में पाया गया कि 35 दिन में पेपर मिल तक 80 टन किताबें पहुंचाई गई.
रियल बोर्ड एंड पेपर मिल के मालिक महेश पटेल और विनोद रूढानी ने जांच
समिति को बताया कि उनके पास हर साल निगम की किताबें आती हैं, लेकिन हम सत्र
नहीं देखते.
बता दें कि रायपुर के सिलियारी स्थित पेपर मिल के कबाड़ में लाखों
किताबें मिली थी. इनमें सरकार की ओर से प्रदेश के सभी स्कूलों में बांटी
जाने वाली किताबें भी शामिल थी. सभी किताबें इसी सत्र की थी. इस मामले का
उजागर पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने किया था. इस मामले को लेकर उपाध्याय
ने फैक्ट्री के सामने धरना देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने किताबें खरीदीं और बिना बांटे ही बेच
दीं. मामले में सियासत तेज होने के बाद सरकार ने 5 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई
थी.