इस साल होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार के दिन है. होलिका दहन के अवसर पर लोग उबटन लगाते हैं. उबटन को जहां सुंदरता में सहायक माना जाता है, वहीं इसका संबंध ग्रहों से भी होता है. उबटन लगाने से आपकी त्वचा स्वस्थ्य रहती है, वहीं ग्रहों का दुष्प्रभाव भी दूर हो सकता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार में होलिका दहन पर परिवार के सभी सदस्य उबटन लगाते हैं. फिर शरीर से उतारे गए उबटन या मैल को होलिका दहन के समय आग में डाल देते हैं. यह काम काफी समय से होता आ रहा है. होलिका दहन पर उबटन क्यों लगाते हैं? शरीर से उतारे गए उबटन को आग में क्यों डालते हैं? उबटन में कौन-कौन सी सामग्री डाली जाती है?
होलिका दहन पर क्यों लगाते हैं उबटन?
होलिका दहन के दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा हुई थी और उनको जलाने की कोशिश करने वाली होलिका आग में चलकर मर गई थी. होलिका राक्षसराज हिरण्यकश्यप की बहन थी. होलिका दहन को बुराई का नाश करने वाला माना जाता है, इस वजह से इस दिन शरीर की बुराइयों को दूर करने के लिए उबटन लगाते हैं.
होलिका की आग में जलाते हैं शरीर का उतरा उबटन
होलिका दहन को शरीर में उबटन लगाकर उतार लिया जाता है. फिर उसे ले जाकर होलिका की आग में डाल देते हैं. होलिका के साथ ही शरीर का उतरा हुआ उबटन भी जलकर राख हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरीर का उतरा उबटन होलिका की अग्नि में जलाने से रोग और ग्रह दोष दूर हो जाते हैं. उबटन लगाने से शरीर की नकारात्मकता और दोष भी निकलते हैं, तो आग में जलकर खत्म हो जाते हैं.
कैसे बनाते हैं होलिका दहन का उबटन?
होलिका दहन के दिन सरसों को पीसकर उबटन तैयार किया जाता है. सरसों के पेस्ट में पानी,
सरसों का तेल और हल्दी मिलाते हैं. इससे उबटन बनाकर शरीर पर लगाते हैं. होलिका दहन की शाम या दोपहर में उबटन लगाकर उसके उतारे गए हिस्से को एक जगह रख लेते हैं. होलिका दहन के समय उसे लेजाकर आग में डाल देते हैं.
उबटन का ग्रहों से संबंध
उबटन में हल्दी का संबंध बृहस्पति, तेल का शनि, पानी का संबंध चंद्रमा और शुक्र से होता है. ऐसे में जब आप उबटन लगाते हैं तो इन ग्रहों से जुड़े दोष भी दूर होते हैं और उनका शुभ प्रभाव जीवन में होने लगता है. इनके शुभ प्रभाव से सुख, समृद्धि बढ़ती है, रोग, दोष और दरिद्रता दूर होती है.
इस साल होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार के दिन है. होलिका दहन के अवसर पर लोग उबटन लगाते हैं. उबटन को जहां सुंदरता में सहायक माना जाता है, वहीं इसका संबंध ग्रहों से भी होता है. उबटन लगाने से आपकी त्वचा स्वस्थ्य रहती है, वहीं ग्रहों का दुष्प्रभाव भी दूर हो सकता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार में होलिका दहन पर परिवार के सभी सदस्य उबटन लगाते हैं. फिर शरीर से उतारे गए उबटन या मैल को होलिका दहन के समय आग में डाल देते हैं. यह काम काफी समय से होता आ रहा है. होलिका दहन पर उबटन क्यों लगाते हैं? शरीर से उतारे गए उबटन को आग में क्यों डालते हैं? उबटन में कौन-कौन सी सामग्री डाली जाती है?
होलिका दहन पर क्यों लगाते हैं उबटन?
होलिका दहन के दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा हुई थी और उनको जलाने की कोशिश करने वाली होलिका आग में चलकर मर गई थी. होलिका राक्षसराज हिरण्यकश्यप की बहन थी. होलिका दहन को बुराई का नाश करने वाला माना जाता है, इस वजह से इस दिन शरीर की बुराइयों को दूर करने के लिए उबटन लगाते हैं.
होलिका की आग में जलाते हैं शरीर का उतरा उबटन
होलिका दहन को शरीर में उबटन लगाकर उतार लिया जाता है. फिर उसे ले जाकर होलिका की आग में डाल देते हैं. होलिका के साथ ही शरीर का उतरा हुआ उबटन भी जलकर राख हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरीर का उतरा उबटन होलिका की अग्नि में जलाने से रोग और ग्रह दोष दूर हो जाते हैं. उबटन लगाने से शरीर की नकारात्मकता और दोष भी निकलते हैं, तो आग में जलकर खत्म हो जाते हैं.
कैसे बनाते हैं होलिका दहन का उबटन?
होलिका दहन के दिन सरसों को पीसकर उबटन तैयार किया जाता है. सरसों के पेस्ट में पानी,
सरसों का तेल और हल्दी मिलाते हैं. इससे उबटन बनाकर शरीर पर लगाते हैं. होलिका दहन की शाम या दोपहर में उबटन लगाकर उसके उतारे गए हिस्से को एक जगह रख लेते हैं. होलिका दहन के समय उसे लेजाकर आग में डाल देते हैं.
उबटन का ग्रहों से संबंध
उबटन में हल्दी का संबंध बृहस्पति, तेल का शनि, पानी का संबंध चंद्रमा और शुक्र से होता है. ऐसे में जब आप उबटन लगाते हैं तो इन ग्रहों से जुड़े दोष भी दूर होते हैं और उनका शुभ प्रभाव जीवन में होने लगता है. इनके शुभ प्रभाव से सुख, समृद्धि बढ़ती है, रोग, दोष और दरिद्रता दूर होती है.