विचाराधीन कैदी ने तोड़ा दम, परिजनों ने लगाए इलाज में घोर लापरवाही के आरोप:

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रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित केंद्रीय जेल एक बार फिर सुर्खियों में है। जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी मोहम्मद सदाफ़ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। इस घटना ने जेल की चिकित्सा व्यवस्था और प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब मृतक के परिजनों ने इलाज में घोर लापरवाही का आरोप लगाया है।

मृतक मोहम्मद सदाफ़ के परिजनों ने जेल प्रशासन पर इलाज में घोर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनके भाई राजा ने बताया कि सदाफ़ पिछले करीब तीन महीने से लगातार बीमार थे और सीने में दर्द की शिकायत कर रहे थे। बार-बार इलाज के नाम उन्हें कथित तौर पर सिर्फ 'गैस की दवा' देकर टाल दिया जाता था, जबकि उनकी हालत गंभीर थी।

परिजनों का कहना है कि सदाफ़ की तबियत इतनी ज़्यादा खराब थी कि उन्हें तत्काल रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए था, लेकिन जेल प्रशासन ने न तो समय पर कोई गंभीर कदम उठाया और न ही परिजनों की गुहार सुनी। परिवार का साफ दावा है कि अगर समय पर और उचित इलाज मिल जाता तो मोहम्मद सदाफ़ की जान बचाई जा सकती थी।

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब इसी रायपुर सेंट्रल जेल में कुछ ही दिन पहले एक और बंदी ओम प्रकाश निषाद की संदिग्ध मौत हुई थी, जिसकी लाश फंदे से लटकी मिली थी। हालांकि प्रशासन इसे आत्महत्या बता रहा है, लेकिन इन लगातार हो रही मौतों ने जेलों की सुरक्षा व्यवस्था, चिकित्सा सुविधाओं और बंदियों के मानवाधिकारों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।

छत्तीसगढ़ की जेलों में 2023 से बंदियों की मौतों का सिलसिला चिंताजनक है, जो राज्य सरकार और गृह विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगाता है।


रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित केंद्रीय जेल एक बार फिर सुर्खियों में है। जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी मोहम्मद सदाफ़ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। इस घटना ने जेल की चिकित्सा व्यवस्था और प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब मृतक के परिजनों ने इलाज में घोर लापरवाही का आरोप लगाया है।

मृतक मोहम्मद सदाफ़ के परिजनों ने जेल प्रशासन पर इलाज में घोर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनके भाई राजा ने बताया कि सदाफ़ पिछले करीब तीन महीने से लगातार बीमार थे और सीने में दर्द की शिकायत कर रहे थे। बार-बार इलाज के नाम उन्हें कथित तौर पर सिर्फ 'गैस की दवा' देकर टाल दिया जाता था, जबकि उनकी हालत गंभीर थी।

परिजनों का कहना है कि सदाफ़ की तबियत इतनी ज़्यादा खराब थी कि उन्हें तत्काल रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए था, लेकिन जेल प्रशासन ने न तो समय पर कोई गंभीर कदम उठाया और न ही परिजनों की गुहार सुनी। परिवार का साफ दावा है कि अगर समय पर और उचित इलाज मिल जाता तो मोहम्मद सदाफ़ की जान बचाई जा सकती थी।

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब इसी रायपुर सेंट्रल जेल में कुछ ही दिन पहले एक और बंदी ओम प्रकाश निषाद की संदिग्ध मौत हुई थी, जिसकी लाश फंदे से लटकी मिली थी। हालांकि प्रशासन इसे आत्महत्या बता रहा है, लेकिन इन लगातार हो रही मौतों ने जेलों की सुरक्षा व्यवस्था, चिकित्सा सुविधाओं और बंदियों के मानवाधिकारों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।

छत्तीसगढ़ की जेलों में 2023 से बंदियों की मौतों का सिलसिला चिंताजनक है, जो राज्य सरकार और गृह विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगाता है।


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