पेपर लीक, पुरानी पेंशन और कलह; UP में भाजपा ने तलाश लिए हार के 6 कारण:

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नई दिल्ली। बीते लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रदर्शन काफी ही निराशाजनक रहा। इसके बाद से लगातार भगवा पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। हाल के कुछ दिनों में पार्टी की अंदरूनी कहलें बाहर निकलकर सामने आ चुकी है। इस सबके बीच यूपी बीजेपी अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की एक विस्तृत रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को सौंपी है। इस रिपोर्ट में हार के छह संभावित कारणों का उल्लेख किया गया है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हीर के लिए पेपर लीक, सरकारी नौकरियों के लिए संविदा कर्मियों की भर्ती और प्रशासन की मनमानी जैसी चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया है। सूत्र बताते हैं कि इस रिपोर्ट में लगभग 40,000 लोगों से फीडबैक लिया गया है। अयोध्या और अमेठी जैसे लोकसभा सीटों पर पार्टी के प्रदर्शन की अलग से भी चर्चा की गई है।

1. प्रशासन की मनमानी

यूपी बीजेपी ने अपनी रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण प्रशासन की मनमानी को माना है। इसके कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष की स्थिति पनपी है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "विधायक के पास कोई शक्ति नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट और अधिकारी राज करते हैं। इससे हमारे कार्यकर्ता अपमानित महसूस कर रहे हैं। वर्षों से आरएसएस और भाजपा ने मिलकर काम किया है। अधिकारी पार्टी कार्यकर्ताओं की जगह नहीं ले सकते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक है और इसे पार्टी का आधार जमीन से ऊपर उठाने का श्रेय दिया जाता है।

2. पेपर लीक और ओल्ड पेंशन के मुद्दे

उत्तर प्रदेश के हाल के वर्षों में पेपर लीक की कई घटनाएं सामने आई हैं। इसके कारण सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं में सरकार को लेकर नाराजगी है। एनडीटीवी ने एक दूसरे नेता के हवाले से कहा कि पिछले तीन वर्षों में अकेले राज्य में कम से कम 15 पेपर लीक ने विपक्ष के इस कथन को बढ़ावा दिया है कि भाजपा आरक्षण को रोकना चाहती है। उन्होंने कहा, "इसके अलावा सरकारी नौकरियों को संविदा कर्मियों से भरा जा रहा है, जिससे विपक्ष के हमारे बारे में भ्रामक कथन को बल मिलता है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरानी पेंशन योजना जैसे मुद्दे वरिष्ठ नागरिकों के बीच गूंजते रहे। जबकि अग्निवीर और पेपर लीक जैसी चिंताएं युवाओं के बीच गूंजती रहीं।

3. कुर्मी और मौर्य जाति का खिसका समर्थन

रिपोर्ट में चुनाव के दौरान कुर्मी और मौर्य समुदायों से समर्थन में कमी का हवाला दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि दलित वोटों में भी कमी का सामना पार्टी को करना पड़ा है। 

4. मायावती की कमजोर पकड़

यूपी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के घटते वोट शेयर और कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन को भी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खराब प्रदर्शन का कारण माना है।  बीएसपी के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की कमी आई। 

5. नेताओं के बीच मतभेद

लोकसभा चुनाव के दौरान बड़े नेताओं की आपसी मतभेद का खामियाजा भगवा पार्टी को उठाना पड़ा है। रिपोर्ट में केंद्रीय नेतृत्व से अपील की गई है कि समय रहते इसे सुलझाने में ही भलाई है। ऐसा नहीं करने पर आगे और दिक्कत हो सकती है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि नेताओं मनमुटाव को "अगड़ा बनाम पिछड़ा" की लड़ाई बनाने की कोशिश की जा सकती है। इसे रोकने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए।

6.टिकट विटरण में जल्दबाजी

यूपी बीजेपी की रिपोर्ट के मुताबिक, टिकटों के तेजी से वितरण के कारण पार्टी का चुनावी अभियान जल्दी चरम पर पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि छठे और सातवें चरण तक कार्यकर्ता थक गए।


नई दिल्ली। बीते लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रदर्शन काफी ही निराशाजनक रहा। इसके बाद से लगातार भगवा पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। हाल के कुछ दिनों में पार्टी की अंदरूनी कहलें बाहर निकलकर सामने आ चुकी है। इस सबके बीच यूपी बीजेपी अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की एक विस्तृत रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को सौंपी है। इस रिपोर्ट में हार के छह संभावित कारणों का उल्लेख किया गया है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हीर के लिए पेपर लीक, सरकारी नौकरियों के लिए संविदा कर्मियों की भर्ती और प्रशासन की मनमानी जैसी चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया है। सूत्र बताते हैं कि इस रिपोर्ट में लगभग 40,000 लोगों से फीडबैक लिया गया है। अयोध्या और अमेठी जैसे लोकसभा सीटों पर पार्टी के प्रदर्शन की अलग से भी चर्चा की गई है।

1. प्रशासन की मनमानी

यूपी बीजेपी ने अपनी रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण प्रशासन की मनमानी को माना है। इसके कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष की स्थिति पनपी है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "विधायक के पास कोई शक्ति नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट और अधिकारी राज करते हैं। इससे हमारे कार्यकर्ता अपमानित महसूस कर रहे हैं। वर्षों से आरएसएस और भाजपा ने मिलकर काम किया है। अधिकारी पार्टी कार्यकर्ताओं की जगह नहीं ले सकते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक है और इसे पार्टी का आधार जमीन से ऊपर उठाने का श्रेय दिया जाता है।

2. पेपर लीक और ओल्ड पेंशन के मुद्दे

उत्तर प्रदेश के हाल के वर्षों में पेपर लीक की कई घटनाएं सामने आई हैं। इसके कारण सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं में सरकार को लेकर नाराजगी है। एनडीटीवी ने एक दूसरे नेता के हवाले से कहा कि पिछले तीन वर्षों में अकेले राज्य में कम से कम 15 पेपर लीक ने विपक्ष के इस कथन को बढ़ावा दिया है कि भाजपा आरक्षण को रोकना चाहती है। उन्होंने कहा, "इसके अलावा सरकारी नौकरियों को संविदा कर्मियों से भरा जा रहा है, जिससे विपक्ष के हमारे बारे में भ्रामक कथन को बल मिलता है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरानी पेंशन योजना जैसे मुद्दे वरिष्ठ नागरिकों के बीच गूंजते रहे। जबकि अग्निवीर और पेपर लीक जैसी चिंताएं युवाओं के बीच गूंजती रहीं।

3. कुर्मी और मौर्य जाति का खिसका समर्थन

रिपोर्ट में चुनाव के दौरान कुर्मी और मौर्य समुदायों से समर्थन में कमी का हवाला दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि दलित वोटों में भी कमी का सामना पार्टी को करना पड़ा है। 

4. मायावती की कमजोर पकड़

यूपी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के घटते वोट शेयर और कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन को भी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खराब प्रदर्शन का कारण माना है।  बीएसपी के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की कमी आई। 

5. नेताओं के बीच मतभेद

लोकसभा चुनाव के दौरान बड़े नेताओं की आपसी मतभेद का खामियाजा भगवा पार्टी को उठाना पड़ा है। रिपोर्ट में केंद्रीय नेतृत्व से अपील की गई है कि समय रहते इसे सुलझाने में ही भलाई है। ऐसा नहीं करने पर आगे और दिक्कत हो सकती है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि नेताओं मनमुटाव को "अगड़ा बनाम पिछड़ा" की लड़ाई बनाने की कोशिश की जा सकती है। इसे रोकने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए।

6.टिकट विटरण में जल्दबाजी

यूपी बीजेपी की रिपोर्ट के मुताबिक, टिकटों के तेजी से वितरण के कारण पार्टी का चुनावी अभियान जल्दी चरम पर पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि छठे और सातवें चरण तक कार्यकर्ता थक गए।


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