केंद्र सरकार का बड़ा कदम: भारत में कहीं भी वर्षा कराने के लिए मिशन मौसम शुरू:

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जलवायु परिवर्तन की वजह से देश में कभी भारी बारिश की वजह से बाढ़ आ जाती है तो कभी कुछ इलाकों में बारिश न होने की वजह से सूखे के हालात बन जाते हैं। केंद्र सरकार ने ऐसी ही चरम मौसमी घटनाओं से निपटने के लिए मिशन मौसम लांच किया है। इससे मौसम के बारे में सटीक अनुमान लगाने के साथ बारिश कराने और बारिश रोकने की विशेषज्ञता भी विकसित की जाएगी।


वैज्ञानिक की घटनाओं को भी रोक सकेंगे


मिशन मौसम के तहत देश के वैज्ञानिक आकाशीय बिजली गिरने और बादल फटने की घटनाओं को भी रोक सकेंगे। सरकार ने मिशन मौसम के पहले चरण के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पहला चरण मार्च 2026 तक चलेगा। इसके तहत 70 रडार, हाई परफार्मेंस कंप्यूटर, 10 विंड प्रोफाइलर और 10 रेडियोमीटर लगाए जाएंगे। दूसरे चरण में निगरानी की क्षमता बढ़ाने के लिए सेटेलाइट और एयरक्राफ्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी।


लैब में कृत्रिम रूप से बनेंगे बादल


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि मिशन के तहत बढ़ते तापमान के संदर्भ में बादलों में हो रहे के अध्ययन के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मेट्रोलाजी,पुणे में क्लाउड चैंबर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम लैब में कृत्रिम रूप से बादल बनाएंगे और प्रयोग करेंगे। इससे विज्ञानियों को इन प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और उनको पता चलेगा कि किस तरह के बादलों में सीडिंग करके बारिश कराई जा सकती है?


सीडिंग के लिए किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और बारिश बढ़ाने ओर या बारिश रोकने के लिए कितनी सीडिंग की जरूरत है? सीडिंग एक प्रक्रिया है,जिसमें बादलों में एक खास सामग्री मिला कर बारिश कराई जाती है।'


रविचंद्रन ने बताया कि हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्ष में कृत्रिम तरीके से बारिश को बढ़ाना और बारिश को नियंत्रित करना है। इसके बाद हम आकाशीय बिजली जैसी दूसरी मौसमी घटनाओं पर फोकस करेंगे।


दिल्ली में लगातार बारिश होने से बाढ़ आ सकती है


मौसम प्रबंधन की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर रविचंद्रन ने कहा कि दिल्ली में लगातार बारिश होने से बाढ़ आ सकती है। ऐसे में अगर हमारे पास बारिश रोकने की तकनीक है तो हम बादलों में ज्यादा सी¨डग करके बारिश को रोक सकते हैं। इसी तरह से सूखाग्रस्त इलाकों में बारिश करवा कर लोगों को सूखे से बचा सकते हैं।


देश में भारी बारिश और सूखे की घटनाएं बढ़ रही


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार वायुमंडलीय प्रक्रियाओं की जटिलता और वर्तमान आब्जर्वेशन और माडल रेजोल्यूशन की सीमाओं के कारण मौसम के बारे में पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है। वहीं, जलवायु परिवर्तन के कारण स्थानीय स्तर पर भारी बारिश और सूखे की घटनाएं बढ़ रही हैं।


बादल फटने, आकाशीय बिजली गिरने और आंधी-तूफान मौसम से जुड़ी ऐसी घटनाएं हैं, जिनके बारे में भारत में बहुत कम समझ है। इस स्थिति से निपटने के लिए बादलों के भीतर और बाहर, सतह पर, ऊपरी वायुमंडल में, महासागरों के ऊपर और ध्रुवीय क्षेत्रों में होने वाली मौसम से जुड़ी हर गतिविधि पर शोध की जरूरत है।


भारत की निगरानी क्षमता


भारतीय मौसम विभाग ने देश भर में अब तक 39 डॉप्लर रडार लगाएं हैं और कोई विंड प्रोफाइलर नहीं है। वहीं, चीन में 260 रडार 128 विंड प्रोफाइलर हैं। अमेरिका में 160 रडार और 100 विंड प्रोफाइलर हैं।


जलवायु परिवर्तन की वजह से देश में कभी भारी बारिश की वजह से बाढ़ आ जाती है तो कभी कुछ इलाकों में बारिश न होने की वजह से सूखे के हालात बन जाते हैं। केंद्र सरकार ने ऐसी ही चरम मौसमी घटनाओं से निपटने के लिए मिशन मौसम लांच किया है। इससे मौसम के बारे में सटीक अनुमान लगाने के साथ बारिश कराने और बारिश रोकने की विशेषज्ञता भी विकसित की जाएगी।


वैज्ञानिक की घटनाओं को भी रोक सकेंगे


मिशन मौसम के तहत देश के वैज्ञानिक आकाशीय बिजली गिरने और बादल फटने की घटनाओं को भी रोक सकेंगे। सरकार ने मिशन मौसम के पहले चरण के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पहला चरण मार्च 2026 तक चलेगा। इसके तहत 70 रडार, हाई परफार्मेंस कंप्यूटर, 10 विंड प्रोफाइलर और 10 रेडियोमीटर लगाए जाएंगे। दूसरे चरण में निगरानी की क्षमता बढ़ाने के लिए सेटेलाइट और एयरक्राफ्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी।


लैब में कृत्रिम रूप से बनेंगे बादल


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि मिशन के तहत बढ़ते तापमान के संदर्भ में बादलों में हो रहे के अध्ययन के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मेट्रोलाजी,पुणे में क्लाउड चैंबर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम लैब में कृत्रिम रूप से बादल बनाएंगे और प्रयोग करेंगे। इससे विज्ञानियों को इन प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और उनको पता चलेगा कि किस तरह के बादलों में सीडिंग करके बारिश कराई जा सकती है?


सीडिंग के लिए किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और बारिश बढ़ाने ओर या बारिश रोकने के लिए कितनी सीडिंग की जरूरत है? सीडिंग एक प्रक्रिया है,जिसमें बादलों में एक खास सामग्री मिला कर बारिश कराई जाती है।'


रविचंद्रन ने बताया कि हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्ष में कृत्रिम तरीके से बारिश को बढ़ाना और बारिश को नियंत्रित करना है। इसके बाद हम आकाशीय बिजली जैसी दूसरी मौसमी घटनाओं पर फोकस करेंगे।


दिल्ली में लगातार बारिश होने से बाढ़ आ सकती है


मौसम प्रबंधन की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर रविचंद्रन ने कहा कि दिल्ली में लगातार बारिश होने से बाढ़ आ सकती है। ऐसे में अगर हमारे पास बारिश रोकने की तकनीक है तो हम बादलों में ज्यादा सी¨डग करके बारिश को रोक सकते हैं। इसी तरह से सूखाग्रस्त इलाकों में बारिश करवा कर लोगों को सूखे से बचा सकते हैं।


देश में भारी बारिश और सूखे की घटनाएं बढ़ रही


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार वायुमंडलीय प्रक्रियाओं की जटिलता और वर्तमान आब्जर्वेशन और माडल रेजोल्यूशन की सीमाओं के कारण मौसम के बारे में पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है। वहीं, जलवायु परिवर्तन के कारण स्थानीय स्तर पर भारी बारिश और सूखे की घटनाएं बढ़ रही हैं।


बादल फटने, आकाशीय बिजली गिरने और आंधी-तूफान मौसम से जुड़ी ऐसी घटनाएं हैं, जिनके बारे में भारत में बहुत कम समझ है। इस स्थिति से निपटने के लिए बादलों के भीतर और बाहर, सतह पर, ऊपरी वायुमंडल में, महासागरों के ऊपर और ध्रुवीय क्षेत्रों में होने वाली मौसम से जुड़ी हर गतिविधि पर शोध की जरूरत है।


भारत की निगरानी क्षमता


भारतीय मौसम विभाग ने देश भर में अब तक 39 डॉप्लर रडार लगाएं हैं और कोई विंड प्रोफाइलर नहीं है। वहीं, चीन में 260 रडार 128 विंड प्रोफाइलर हैं। अमेरिका में 160 रडार और 100 विंड प्रोफाइलर हैं।


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